Sunday, November 3, 2024
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‘लड़कियाँ स्कूल जा नहीं सकती, पर मर्द 2-3 निकाह करेंगे’: बोले असम CM इसको बदलना होगा, कहा- हम चाहते हैं वे स्कूल-कॉलेजों में पढ़ें

असम के सीएम ने कहा कि वह ‘सबका साथ सबका विकास’ को आगे लाने की कोशिश कर रहे हैं। सीएम ने कहा कि आजाद भारत में रहने वाले मर्दों को तीन-चार स्त्रियों से (बिना पूर्व शौहर को तलाक दिए) विवाह करने का कोई अधिकार नहीं हो सकता। हमें मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए काम करना होगा।

अपने बेबाक बयानों से चर्चा में रहने वाले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक बार फिर से मुस्लिमों को लेकर बड़ा बयान दिया है। हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है, “हम उस व्यवस्था के खिलाफ हैं जहाँ मुस्लिम लड़कियाँ स्कूल में नहीं पढ़ सकती हैं और मुस्लिम पुरुष 2-3 महिलाओं से निकाह करते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की व्यवस्था को बदलना होगा।

असम के सीएम ने गुरुवार (8 दिसंबर, 2022) को मोरीगाँव की एक सभा में कहा कि उनकी पार्टी मुस्लिमों की उस व्यवस्था के खिलाफ है, जिसमें कई बीवियाँ रखने का चलन है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वो उस व्यवस्था के खिलाफ हैं जहाँ मुस्लिम लड़कियाँ स्कूल में नहीं पढ़ सकती हैं और मुस्लिम पुरुष 2-3 महिलाओं से निकाह करते हैं।

असम के सीएम ने आगे कहा कि वह ‘सबका साथ सबका विकास’ को आगे लाने की कोशिश कर रहे हैं। सीएम ने कहा कि आजाद भारत में रहने वाले मर्दों को तीन-चार स्त्रियों से (बिना पूर्व शौहर को तलाक दिए) विवाह करने का कोई अधिकार नहीं हो सकता। हमें मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए काम करना होगा।

हिमंत बिस्वा सरमा ने आगे कहा कि अगर असमिया हिंदू परिवारों से डॉक्टर हैं तो फिर मुस्लिम परिवारों से भी डॉक्टर होने चाहिए। उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते कि ‘पोमुवा’ मुस्लिम छात्र मदरसों में पढ़कर जुनाब, इमाम बनें। वह चाहते हैं कि वे स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ें। उन्होंने कहा कि कई विधायक ऐसी सलाह इसलिए नहीं देते क्योंकि उन्हें ‘पोमुवा’ मुसलमानों के वोट चाहिए। बांग्लादेश से आने वाले बंगाली भाषी मुसलमानों को असम में ‘पोमुवा मुस्लिम’ कहा जाता है।

असम के सीएम सरमा का निशाना एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल पर था। पिछले दिनों उन्होंने हिंदुओं के विवाह को लेकर तथ्यहीन व आपत्तिजनक बयान दिया था। जिसकी वजह से उन्हें माफी भी माँगनी पड़ी थी। असम के सीएम ने बदरुद्दीन अजमल के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि एआईयूडीएफ प्रमुख की सलाह के अनुसार महिलाएँ 20-25 बच्चे पैदा कर सकती हैं लेकिन उनके भविष्य में भोजन, कपड़े और शिक्षा पर होने वाला सारा खर्चों को विपक्ष (बदरुद्दीन) को वहन करना होगा।

आपको बता दें कि असम के करीमगंज में सांसद बदरुद्दीन ने कहा था कि एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने हिंदुओं को नसीहत दी कि उन्हें मुस्लिमों की तरह अपनी लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र में कर देनी चाहिए। बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि मुस्लिम लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र में हो जाती है, लेकिन हिंदू लड़कियों की शादी 40 साल की उम्र में भी नहीं होती। हिंदू 40 साल की उम्र तक अवैध पार्टनर रखते हैं। बच्चे नहीं पैदा करते और पैसे बचाते हैं। उन्होंने सलाह दिया कि हिंदुओं को मुस्लिम फॉर्मूले को स्वीकार करना चाहिए और अपने बच्चों की शादी 20-22 साल की उम्र में कर देनी चाहिए। उनके अनुसार 18-20 साल की उम्र में लड़कियों की शादी करा दो और फिर देखो कितने बच्चे पैदा होते हैं। बदरुद्दीन ने आगे कहा कि जब आप उपजाऊ जमीन में बीज बोएँगे, तभी खेती अच्छी होगी। उसके बाद तरक्की ही तरक्की होगी।

हालाँकि इस बयान पर बवाल मचने के बाद उन्होंने माफी माँगी थी। अजमल ने कहा था, “अगर मेरे शब्दों से किसी की भावना को ठेस पहुँची है तो मैं अपने शब्द वापस लेता हूँ।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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