बिहार के एक वामपंथी विधायक ने अपने आतंक की कहानी कैमरे पर सुनाई है। उन्होंने एक जमींदार की हत्या करने की बात कैमरे पर कबूली है और अपनी दहशत को भी बताया है। यह सारी बातें MLA ने एक इंटरव्यू में बताई है। इस इंटरव्यू की कुछ क्लिप अब सामने आ रही हैं।
CPI (ML) के विधायक सत्यदेव राम ने यह सारी बातें बताई हैं। उन्होंने पहले बताया कि वह किस तरह एक गरीब परिवार से आने के बाद भी अमीर बने। उन्होंने दावा किया कि इसके बाद उन्हें गाँव का ही जमींदार परेशान करने लगा। जिसके बाद उन्होंने हत्या की।
सत्यदेव राम ने कहा, “मैंने तय कर लिया जमींदारी ठाट को खत्म करेंगे। हमने इस पार्टी (CPI-ML) में शामिल हुए। हम देखे थे कि ये लोग लड़ता है। एक साल तक गाँव में लड़े। उस जमींदार को खत्म कर दिए। उसका समाप्ति कर दिए। इसके बाद राजनीतिक समझ आ गई।”
इस बीच पत्रकार ने सत्यदेव राम को टोका कि क्या उन्होंने जमींदार को जान से मार दिया था। इस पर उन्होंने कहा, “और क्या ऐसे ही, और कौन चीज।” इस पर पत्रकार ने पूछा कि क्या इस अपराध के लिए आप जेल नहीं गए। इस पर MLA ने कहा. “जेल क्यों जाएँगे, जेल में क्यों रहेंगे?”
नीचे लगे वीडियो में यह बातचीत वाला यह हिस्सा आप 11 मिनट से 15 मिनट के बीच सुन सकते हैं।”
सत्यदेव राम ने इसके बाद बताया, “वो लोग तो केस भी हम पर नहीं किए। डर के चलते केस नहीं किए। पुलिस ने रात 9 बजे तक गाँव घेरा रखा। लेकिन हम अपने तरीके से निकल गए। वो लोग इसके बाद डर गए। इसके बाद इधर राजनीतिक सूझबूझ बढ़ गई।” सत्यदेव राम ने बताया कि उनके डर से तब लोग दरवाजा बंद कर लेते थे।
सत्यदेव राम ने इसके बाद बताया कि वह दूसरे गाँव में जमींदारों से लड़ने लगे। उन्होंने बताया कि इसके बाद वह कई इलाकों में हमले करते रहे। सत्यदेव राम ने बताया कि उनका लक्ष्य जमींदारों के खिलाफ लड़ना था। सत्यदेव राम ने इस दौरान यह भी स्वीकार किया वह हत्या के बाद कई जगह घूमते रहे।
61 वर्षीय सत्यदेव राम पाँच बार के विधायक हैं। वह पहली बार मैरवा से 1995 में विधायक बने थे। यहाँ से वह 3 बार विधायक बन चुके हैं। 2015 और 2020 में वह CPI (ML) के टिकट से सीवान जिले की दरौली विधानसभा से विधायक बने हैं। इसके बावजूद भी वह कैमरे पर कबूल रहे हैं कि उन्होंने एक व्यक्ति की हत्या की और उनका कुछ नहीं हुआ।
दरअसल, सत्यदेव राम जो कह रहे हैं, वह सुनने में अटपटा लग सकता है। लेकिन यही 1990 के दशक के बिहार की सच्चाई है। यह लालू यादव और राबड़ी देवी के जंगलराज की सच्चाई है। यह उस दौर की सच्चाई है जब के भी खेत पर लाल झंडा गाड़ दिया जाता था और विरोध करने पर आदमी जान-माल से हाथ धो बैठता था।
इसी दौर ने कई वामपंथी हत्यारे बिहार को दिए। आज वह माननीय का दर्जा लेकर बैठे हैं। कैमरे पर शान से बताते हैं कि कैसे उन्होंने एक जमींदार की हत्या कर दी। वह यह भी स्वीकार करते हैं कि हत्या के बाद उन्होंने लोगों को डराए रखा और कभी भी कानून के शिकंजे में नहीं आए। आज यही क़ानून बनाने बैठे हैं।