भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा के सुप्रीम कोर्ट को लेकर दिए गए बयान से पार्टी ने किनारा कर लिया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि दोनों के बयान उनके निजी विचार हैं और इनसे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर न्यायिक दखल का आरोप लगाया था।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा, “भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका एवं देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना–देना नहीं है। यह इनका व्यक्तिगत बयान है, लेकिन भाजपा ऐसे बयानों से ना तो कोई इत्तेफाक रखती है और ना ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है। भाजपा इन बयान को सिरे से खारिज करती है।”
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका एवं देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना–देना नहीं है। यह इनका व्यक्तिगत बयान है, लेकिन भाजपा ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तेफाक रखती है और न ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है। भाजपा इन बयान…
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) April 19, 2025
गौरतलब है कि झारखंड के गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे ने वक्फ कानून और राष्ट्रपति को दिए गए फैसले को लेकर बयान दिया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा था कि अगर शीर्ष अदालत को ही कानून बनाना है तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि कोर्ट कैसे राष्ट्रपति को आदेश दे सकता है।
सांसद निशिकांत दुबे ने ANI को दिए बयान में कहा, “देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है। अगर हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना ही पड़े तो संसद और विधानसभाएँ बंद कर देनी चाहिए।”
#WATCH | Delhi: "…Supreme Court is responsible for inciting religious wars in the country. The Supreme Court is going beyond its limits. If one has to go to the Supreme Court for everything, then Parliament and State Assembly should be shut…" says BJP MP Nishikant Dubey pic.twitter.com/ObnVcpDYQf
— ANI (@ANI) April 19, 2025
उन्होंने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना पर भी तंज कसा था। उन्होंने कहा था कि चीफ जस्टिस संजीव खन्ना इस देश में गृह युद्ध के लिए जिम्मेदार हैं। उनके साथ ही इस पर उत्तर प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम और वर्तमान में राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने भी कहा था कि संसद को कोई चुनौती नहीं दे सकता, यह बात संविधान में साफ़ लिखी हुई है।
#WATCH | Lucknow, UP | On BJP MP Nishikant Dubey's statement on the Supreme Court, BJP MP Dinesh Sharma says, "…There is an apprehension among the public that when Dr BR Ambedkar wrote the Constitution, the rights of the Legislative and Judiciary were clearly… pic.twitter.com/B28SA04SM3
— ANI (@ANI) April 19, 2025
दिनेश शर्मा ने कहा, “लोगों में यह आशंका है कि जब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान लिखा था, तो उसमें विधायिका और न्यायपालिका के अधिकार स्पष्ट रूप से लिखे गए थे… भारत के संविधान के अनुसार, कोई भी लोकसभा और राज्यसभा को निर्देश नहीं दे सकता है और राष्ट्रपति पहले ही इस पर अपनी सहमति दे चुके हैं। कोई भी राष्ट्रपति को चुनौती नहीं दे सकता, क्योंकि राष्ट्रपति सर्वोच्च हैं।”
भाजपा के इन सांसदों के बयान से किनारा करने के बाद भी विपक्ष उस पर हमलावर है। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने न्यापालिका को धमकी देने का आरोप लगाया है। वहीं AAP ने भी भाजपा सांसदों पर कार्रवाई की माँग की है।
क्यों हो रहा विवाद?
हाल ही में तमिलनाडु के राज्यपाल के विधेयकों को रोकने से जुड़े एक मामले में फैसला सुनाते हुए राष्ट्रपति की ‘जेबी वीटो’ से जुड़ी शक्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी। अदालत ने राष्ट्रपति से कहा था कि वह राज्यपाल द्वारा भेजे गए विधेयकों पर तीन माह के भीतर फैसला लें। इस फैसले के कुछ दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून को लेकर कई टिप्पणियाँ की। इसके बाद से ही न्यायपालिका के दखल को लेकर चर्चा चालू हो गई।