Tuesday, July 8, 2025
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PM मोदी विरोधी कार्टूनिस्ट मंजुल को ममता बनर्जी पर पुराने कार्टून के लिए बंगाल पुलिस का नोटिस, सेंसरशिप का इल्जाम: क्या फ्रेंडली मैच खेल रही TMC सरकार?

मोदी विरोधी कार्टूनिस्ट मंजुल अब पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार के निशाने पर हैं। 2019 में ममता बनर्जी पर बनाए गए दो कार्टून को लेकर बंगाल पुलिस ने उन्हें नोटिस भेजा है। मंजुल ने इसे सेंसरशिप और सत्ता का दुरुपयोग बताया, लेकिन क्या ये वाकई फ्रेंडली फायर है?

मोदी सरकार की आलोचना के लिए पहचाने जाने वाले कार्टूनिस्ट मंजुल अब पश्चिम बंगाल पुलिस की कार्रवाई के निशाने पर हैं। उन्हें 2019 में ममता बनर्जी पर बनाए गए दो कार्टून के लिए नोटिस मिला है। मंजुल ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया और सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया।

मंजुल को बुधवार (18 जून 2025) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स से एक ईमेल मिला, जिसमें बताया गया कि उनके अकाउंट @MANJULtoons के दो ट्वीट को पश्चिम बंगाल साइबर अपराध शाखा ने आपत्तिजनक माना है।

एक्स ने मंजुल को सूचित किया कि इन ट्वीट्स को भारतीय कानूनों का उल्लंघन माना गया है, लेकिन प्लेटफॉर्म ने अभी कोई कार्रवाई नहीं की। एक्स ने कहा कि वे अपने यूजर्स की आवाज का सम्मान करते हैं और कानूनी अनुरोध की जानकारी देना उनकी नीति है।

स्क्रीनशॉट: मंजुल को प्राप्त ईमेल

ये पोस्ट मई 2019 के हैं। पहला ट्वीट 28 मई 2019 का है, जब टीएमसी के दो विधायक और 50 से ज्यादा नगर पार्षद भाजपा में शामिल हुए थे। इसमें ममता बनर्जी पर एक व्यंग्यात्मक कार्टून था।

स्क्रीनशॉट: मंजुल द्वारा अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट किए गए कार्टून

दूसरा ट्वीट 15 मई 2019 का है, जिसमें चिटफंड घोटाले पर ममता को निशाना बनाया गया था।

स्क्रीनशॉट: मंजुल द्वारा अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट किए गए कार्टून

22 जून 2025 को मंजुल को एक और ईमेल मिला, जिसमें कोलकाता पुलिस ने फिर से उसी 6 साल पुराने कार्टून को फ्लैग किया।

स्क्रीनशॉट :मंजुल को प्राप्त ईमेल

मंजुल ने निराशा जताते हुए एक्स पर ट्वीट किया, “लगता है कोलकाता पुलिस के पास अब कोई काम नहीं बचा।” उन्होंने इसे सेंसरशिप का प्रयास बताया और कहा कि पुराने पोस्ट को बार-बार निशाना बनाना सत्ता का गलत इस्तेमाल है।

मंजुल पहले भी विवादों में रहे हैं। ऑपइंडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि मंजुल ने मोदी सरकार की छवि खराब करने के लिए फर्जी खबरें फैलाईं और सुभाष चंद्र बोस की विरासत को कमतर दिखाने की कोशिश की। हालाँकि मंजुल के समर्थकों का कहना है कि यह कार्रवाई उनकी आलोचनात्मक आवाज को दबाने की कोशिश है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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