मोदी कैबिनेट ने मंगलवार (24 दिसंबर 2019) को 2021 में होने वाली जनगणना की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया। इस बाबत राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू करने को भी मंजूरी दी गई। पहले चरण में अगले साल अप्रैल-सितंबर तक प्रत्येक घर और उसमें रहने वाले व्यक्तियों की सूची बनाई जाएगी। असम को छोड़ देश के अन्य हिस्सों में यह काम होगा। दूसरे चरण में 9 फरवरी से 28 फरवरी 2021 तक जनसंख्या की गणना का काम होगा। जनगणना प्रक्रिया पर 8754.23 करोड़ रुपए और एनपीआर को अपडेट करने पर 3941.35 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।
एनपीआर को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद से विपक्ष उसी तरह अफवाह फैलाने में जुट गया है जैसा उसने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर किया। जिस तरीके से CAA को NRC से जोड़ा गया, उसी तरह अब NPR को भी NRC से जोड़कर दिखाने की कोशिश हो रही है। जबकि तथ्य यह है नागरिकता कानून 1955 और नागरिकता नियम 2003 के तहत NPR पहली बार 2010 में तैयार किया गया था। आधार से जोड़े जाने के बाद 2015 में इसे अपडेट किया गया था। 2010 में जब इसकी शुरुआत हुई तब केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार हुआ करती थी।
क्या आप जानते हैं कि एनपीआर के तहत सबसे पहले किसका डाटा अपडेट हुआ था? जवाब सुन शायद आप चौंक जाएँ। एनपीआर का पहला डाटा देश की इकलौती महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का था। 25 जुलाई 2007 से 25 जुलाई 2012 तक वह राष्ट्रपति रही थीं।
6 जुलाई 2012 में राष्ट्रपति भवन में एनपीआर में उनका नाम दर्ज किया गया था। इसके बाद उन्होंने देश के सभी लोगों से सरकार की इस प्रमुख योजना में अपना रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित कराने को कहा था। इस दौरान उनके साथ तब के केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम भी थे। देखे वीडियो;
National Population Register(NPR)
— Sambit Patra (@sambitswaraj) December 24, 2019
Then & Now pic.twitter.com/X4EK9RWa8M
यदि आपको लगे कि यह वीडियो तो भाजपा के प्रवक्ता ने पोस्ट किया है तो यह प्रेस रिलीज पढ़ लीजिए। भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की साइट पर यह आज भी उपलब्ध है।
इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है, “एनपीआर तैयार करने के लिए जनसांख्यिकीय आँकड़े अप्रैल से सितंबर 2010 के दौरान पूरे देश में घर-घर जाकर गणना कर एकत्रित किए गए थे। आँकड़ों का तब से अंकीकरण किया जा रहा था और वर्तमान में बॉयो-मीट्रिक नामांकन का कार्य चल रहा है। एकत्र किए गए एनपीआर आँकड़ों को बॉयोमीट्रिक्स के साथ UIDAI के पास यूआईडी संख्याओं (आधार) के डि-डुप्लिकेशन और अपक्रमण के लिए भेजा जाएगा। सरकार का एनपीआर के अधीन निवासी पहचान (स्मार्ट) कार्ड जारी करने का भी प्रस्ताव है।” साथ ही कहा गया है कि NPR में पंजीकरण कराना देश के सभी नागरिकों के लिए नागरिकता अधिनियम 1955 और नागरिकता नियम 2003 के अंतर्गत आवश्यक है।
अब जिनको लगता है कि गॉंधी परिवार का बयान ही शासन है। तो उनके लिए एक और जानकारी। प्रतिभा पाटिल गॉंधी परिवार की बेहद करीबी बताई जाती हैं। कितनी करीबी? कॉन्ग्रेस के ही एक नेता के अनुसार-
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल किसी जमाने में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गाँधी के घर में रसोई सँभालती थीं। इसी वफादारी के नतीजे में सोनिया गाँधी ने उन्हें राष्ट्रपति बना दिया। यह बात फरवरी 2011 में अमीन खान ने राजस्थान के पाली में कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कही थी। उस समय राजस्थान में कॉन्ग्रेस की सरकार हुआ करती थी और अशोक गहलोत ही उस समय भी मुख्यमंत्री थे। खान उनकी कैबिनेट में पंचायत और वक्फ राज्यमंत्री हुआ करते थे। अमीन खान ने निष्ठा और समर्पण के उदाहरण के रूप में प्रतिभा पाटिल का हवाला देते हुआ कहा था, ‘जब इंदिरा गाँधी 1977 में चुनाव हारने के बाद प्रधानमंत्री नहीं थी, तब वह (प्रतिभा पाटिल) उनके घर पर रसोई में भोजन बनाती थीं और बर्तन धोती थीं। वह अनुशासित कार्यकर्ता रहीं, इसलिए आज राष्ट्रपति हैं।”
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