Tuesday, May 13, 2025
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गाँधी भी ख़ुद को बताते थे अंग्रेज वायसराय का ‘वफादार सेवक’: वीर सावरकर पर टिप्पणी को लेकर राहुल गाँधी को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा – आपकी दादी भी करती थीं तारीफ़

कोर्ट ने कहा, "हमारे स्वतंत्रता सेनानियों पर एक शब्द भी नहीं। उन्होंने हमें आज़ादी दिलाई और क्या हम उनके साथ ऐसा व्यवहार करेंगे?" कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि विवादास्पद बयानों के चलते मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा जारी किए गए समन आदेश पर फिलहाल रोक लगाई जाती है।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (25 अप्रैल, 2025) को कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी द्वारा स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर पर की गई टिप्पणी को लेकर कड़ी आपत्ति जताई। राहुल गाँधी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान कहा था कि सावरकर अंग्रेजों के सहयोगी थे और उन्हें उनसे पेंशन मिलती थी।

इस पर न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और मनमोहन की पीठ ने नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि ऐसे बयान स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान के खिलाफ हैं और पूरी तरह गैर-जिम्मेदाराना हैं। पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में राहुल गाँधी इस प्रकार के बयान देंगे, तो न्यायालय स्वतः संज्ञान लेते हुए उचित कार्रवाई करेगा।

कोर्ट ने कहा, “हमारे स्वतंत्रता सेनानियों पर एक शब्द भी नहीं। उन्होंने हमें आज़ादी दिलाई और क्या हम उनके साथ ऐसा व्यवहार करेंगे?” कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि विवादास्पद बयानों के चलते मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा जारी किए गए समन आदेश पर फिलहाल रोक लगाई जाती है।

सुनवाई के दौरान न्यायालय ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि “क्या आपके मुवक्किल को पता है कि महात्मा गाँधी ने भी वायसराय को संबोधित करते समय ‘आपका वफादार सेवक’ शब्द का इस्तेमाल किया था? क्या आपके मुवक्किल को पता है कि उनकी दादी (इंदिरा गाँधी) जब प्रधानमंत्री थीं, तो उन्होंने भी स्वतंत्रता सेनानी सावरकर की प्रशंसा करते हुए एक पत्र भेजा था?”

पीठ ने राहुल गाँधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा, “क्या उन्हें ये बातें पता हैं? उन्हें स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास और योगदान को समझे बिना इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं देने चाहिए।” मामला उस याचिका से जुड़ा है जिसमें राहुल गाँधी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा जारी समन को रद्द करने से इनकार किया गया था।

हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि राहुल गाँधी को पहले दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 397 के तहत सत्र न्यायालय में अपील करनी चाहिए थी। अधिवक्ता नृपेंद्र पांडे ने नवंबर 2022 में राहुल गाँधी की टिप्पणी को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। अधिवक्ता ने आरोप लगाया कि गाँधी की टिप्पणियाँ समाज में नफरत फैलाने के इरादे से की गई थीं।

ट्रायल कोर्ट ने इन बयानों को प्रथम दृष्टया अपराध मानते हुए गाँधी को समन जारी किया था। बाद में कोर्ट ने गैर-हाजिर रहने पर उन पर 200 रुपए का जुर्माना भी लगाया। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने समन पर रोक लगाते हुए, यह भी स्पष्ट कर दिया कि भविष्य में स्वतंत्रता सेनानियों पर कोई भी गैर-जिम्मेदाराना बयान अदालत की नजर में आएगा।

तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (25 अप्रैल 2025) को कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी द्वारा स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर पर की गई टिप्पणी को लेकर कड़ी आपत्ति जताई। राहुल गाँधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कहा था कि सावरकर अंग्रेजों के सहयोगी थे और उन्हें उनसे पेंशन मिलती थी।

इस पर न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और मनमोहन की पीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ऐसे बयान स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान के खिलाफ हैं और पूरी तरह गैर-जिम्मेदाराना हैं। पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में राहुल गाँधी इस प्रकार के बयान देंगे, तो न्यायालय स्वतः संज्ञान लेते हुए उचित कार्रवाई करेगा।

कोर्ट ने कहा, “हमारे स्वतंत्रता सेनानियों पर एक शब्द भी नहीं। उन्होंने हमें आज़ादी दिलाई और क्या हम उनके साथ ऐसा व्यवहार करेंगे?” कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि विवादास्पद बयानों के चलते मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा जारी किए गए समन आदेश पर फिलहाल रोक लगाई जाती है।

सुनवाई के दौरान न्यायालय ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि “क्या आपके मुवक्किल को पता है कि महात्मा गाँधी ने भी वायसराय को संबोधित करते समय ‘आपका वफादार सेवक’ शब्द का इस्तेमाल किया था? क्या आपके मुवक्किल को पता है कि उनकी दादी (इंदिरा गाँधी) जब प्रधानमंत्री थीं, तो उन्होंने भी स्वतंत्रता सेनानी सावरकर की प्रशंसा करते हुए एक पत्र भेजा था?”

पीठ ने राहुल गाँधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा, “क्या उन्हें ये बातें पता हैं? उन्हें स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास और योगदान को समझे बिना इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं देने चाहिए।” मामला उस याचिका से जुड़ा है जिसमें राहुल गाँधी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा जारी समन को रद्द करने से इनकार किया गया था।

हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि राहुल गाँधी को पहले दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-397 के तहत सत्र न्यायालय में अपील करनी चाहिए थी। अधिवक्ता नृपेंद्र पांडे ने नवंबर 2022 में राहुल गाँधी की टिप्पणी को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी।

अधिवक्ता ने आरोप लगाया कि गाँधी की टिप्पणियाँ समाज में नफरत फैलाने के इरादे से की गई थीं। ट्रायल कोर्ट ने इन बयानों को प्रथम दृष्टया अपराध मानते हुए गाँधी को समन जारी किया था। बाद में कोर्ट ने गैर-हाजिर रहने पर उन पर 200 रुपए का जुर्माना भी लगाया।

फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने समन पर रोक लगते हुए, यह भी स्पष्ट कर दिया कि भविष्य में स्वतंत्रता सेनानियों पर कोई भी गैर-जिम्मेदाराना बयान अदालत की नजर में आएगा। तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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विवेकानंद मिश्र
विवेकानंद मिश्र
एक पत्रकार और कंटेंट क्रिएटर। राजनीति, संस्कृति, समाज से जुड़ी अनसुनी कहानियाँ सामने लाने के लिए प्रतिबद्ध।

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