सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों द्वारा पारी किए गए अधिनियमों पर हस्ताक्षर को लेकर राज्यपालों और यहाँ तक कि देश के राष्ट्रपति तक के लिए भी समयसीमा तय कर दी है। वहीं वक़्फ़ संशोधन क़ानून पर भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। हर मामले की न्यायिक समीक्षा वाले खतरनाक ट्रेंड के बीच उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट को अपने अधिकारों की याद दिलाई है। उन्होंने न्यायपालिका की कमज़ोर होती साख को लेकर भी बात की है। बता दें कि जगदीप धनखड़ खुद लंबे समय तक अधिवक्ता रहे हैं और क़ानून के जानकार हैं।
उप-राष्ट्रपति ने 14-15 मार्च की रात हुए नई दिल्ली में एक जज के यहाँ आग लगने के बाद बड़ी मात्रा में कैश बरामद होने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक सप्ताह तक इसके बारे में किसी को कुछ पता ही नहीं चला। उन्होंने पूछा कि क्या इस देरी का कारण समझा जा सकता है, क्या ये माफ़ी योग्य है, क्या इससे कुछ बुनियादी सवाल नहीं उठते? उन्होंने कहा कि किसी भी समय परिस्थिति में या फिर क़ानून के नियमों के हिसाब से स्थिति कुछ और होती। उन्होंने याद दिलाया कि 21 मार्च को एक अख़बार के माध्यम से जनता को इस घटना का पता चला।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि जब इस घटना का पता चला तब लोग अनिश्चितता के भाव में थे, इस खुलासे से चिंतित व परेशान थे। उप-राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ दिनों बाद हमें एक आधिकारिक स्रोत (सुप्रीम कोर्ट) की तरफ से इनपुट आया। उन्होंने तंज कसा कि इस इनपुट से जज के दोषी होने का संकेत मिला, लेकिन यह संदेह नहीं हुआ कि कुछ गड़बड़ है या फिर जाँच की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अब लोग बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं, क्योंकि एक ऐसी संस्था कटघरे में है जिसे वो सर्वोच्च सम्मान व आदर के साथ देखते आ रहे हैं।
जगदीप धनखड़ ने कहा कि अबतक एक महीने का समय हो चुका है, लेकिन कोई सूचना नहीं है। उन्होंने कहा कि भले ही ये कीड़ों से भरा डब्बा हो या फिर अलमारी में कंकाल भरे हुए हों, इसे उड़ाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि डब्बे का ढक्कन हटाने का समय आ गया है, अलमारी को ध्वस्त करने का समय आ गया है – ताकि ये कीड़े और कंकाल कम से कम सार्वजनिक परिदृश्य में तो आएँ और इनकी सफाई हो सके। जगदीप धनखड़ के इस बयान को न्यायपालिका की गिरती शुचिता को लेकर चिंता जताने का माध्यम बताया जा रहा है।
Let me take incidents that are most recent. They are dominating our minds. An event happened on the night of the 14th and 15th of March in New Delhi, at the residence of a judge. For seven days, no one knew about it. We have to ask questions to ourselves: Is the delay… pic.twitter.com/fqiT8t5a3l
— Vice-President of India (@VPIndia) April 17, 2025
उन्होंने आगे कहा कि तो क्या हम ऐसे हालात में आ गए कि समय के साथ यह बात चली जाएगी? उन्होंने स्पष्ट किया कि लोगों के दिल पर इस घटना से गहरी चोट लगी है, लोगों का विश्वास डगमगा गया है। इस दौरान उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक सर्वे की भी चर्चा की, जिसमें पता चला था कि न्यायपालिका में लोगों का विश्वास कम हो रहा है। धनखड़ ने कहा कि कार्यपालिका, विधायिका व न्यायपालिका पारदर्शी हों व क़ानून के सामने सबके बराबर होने के सिद्धांत का पालन करें – ये हमारे लोकतंत्र का आधार है।
तो क्या हम ऐसे हालात में आ गए कि समय के साथ यह बात चली जाएगी? लोगों के दिल पर इस घटना से गहरी चोट लगी है, लोगों का विश्वास डगमगा गया है।
— Vice-President of India (@VPIndia) April 17, 2025
There was a survey conducted recently by a media house that indicated that public confidence in the institution of Judiciary is dwindling.
It… pic.twitter.com/DjuCS8WYTL
गुरुवार (17 अप्रैल, 2025) को राज्यसभा इंटर्न्स के छठे बैच को संबोधित करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस देश में किसी के ख़िलाफ़ FIR हो सकती है, उनके ख़िलाफ़ भी, लेकिन इस मामले में कोई FIR दर्ज नहीं हुई है। बता दें कि जिस जज की बात जगदीप धनखड़ कर रहे थे, उनका नाम यशवंत वर्मा है। उनके खिलाफ FIR दर्ज किए जाने की PIL को भी दिल्ली हाईकोर्ट ने असामयिक बताकर ख़ारिज कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी कह चुके हैं कि इस मामले में CJI की अनुमति के बाद ही FIR दर्ज की जा सकती है।
मुख्य न्यायधीश ने मामले की जाँच के लिए एक समिति गठित की है। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में आग लगने के बाद दमकल विभाग की गाड़ियाँ पहुँची थीं, आग बुझाने के दौरान ही कैश मिला था। जगदीप धनखड़ ने इस घटना और राष्ट्रपति के लिए डेडलाइन तय करने के फ़ैसले का जिक्र करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ‘सुपर संसद’ बन जाएगा और विधायी जिम्मेदारियाँ भी निभाने लगेगा, इसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी। उन्होंने कहा कि क़ानून बनाना संसद का अधिकार है और सरकार जनता के प्रति जिम्मेदार है चुनावों में।
जगदीप धनखड़ ने संविधान के अनुच्छेद 142 का जिक्र करते हुए कहा कि इसके तहत मिले कोर्ट को विशेष अधिकार लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ 24×7 उपलब्ध न्यूक्लियर मिसाइल बन गए हैं। इसके तहत सुप्रीम कोर्ट को किसी भी मामले में पूर्ण फ़ैसला देने का अधिकार है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकती है। बता दें कि वक़्फ़ क़ानून पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई चल रही है और इसे लेकर भी सर्वोच्च न्यायालय आलोचना का शिकार बन रहा है।