Friday, October 11, 2024
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न कोर्ट में जीत पाई केस, न ब्रिटेन देगा नागरिकता: ISIS वाली ‘जिहादी बेगम’ के काम नहीं आई BBC की डॉक्यूमेंट्री

पिछले महीने स्पेन सीरियाई शरणार्थी शिविरों से IS लड़ाकों के परिवारों को वापस लाया था। जिन्हें वापस लाया गया, उनमें दो स्पेनिश महिलाएँ और 13 स्पेनिश बच्चे हैं। इन्हें मैड्रिड के पास टोरेजोन सैन्य हवाई अड्डे पर लाया गया था।

‘जेहादी बेगम’ नाम से दुनिया भर में कुख्यात शमीमा बेगम को ब्रिटेन की नागरिकता नहीं मिलेगी। आतंकी शमीमा कोर्ट में यह केस हार गई है। ईराक-सीरिया में अत्याचारों के दौरान विश्व के सबसे क्रूर आतंकवादी संगठन IS (ISIS) के साथ जुड़ने के कारण ब्रिटेन की उसकी नागरिकता छिनी थी। शमीमा के पक्ष में BBC का प्रोपगेंडा डॉक्यूमेंट्री भी काम नहीं आया।

ISIS की तरफ से लड़ने के लिए ब्रिटेन छोड़कर भागने वाली शमीमा अब कभी ब्रिटेन नहीं लौट पाएगी। शमीमा की अपील पर सुनवाई करने वाली ब्रिटेन की कोर्ट ने कहा कि वह ब्रिटेन में वापस आने के काबिल नहीं है। ऐसे में उसे ब्रिटेन में नहीं आने दिया जा सकता है।

सुनवाई के दौरान विशेष आव्रजन अपील आयोग (सियाक) ने इस बार पर संदेह जताया कि शमीमा बेगम की यौन शोषण के लिए तस्करी की गई थी। सियाक पैनल की ओर से बुधवार (22 फरवरी 2023) को प्रकाशित फैसले को लिखने वाले जस्टिस रॉबर्ट जय ने लिखा। उन्होंने कहा कि राज्य की स्थिति को देखते हुए ही गृह सचिव ने उनकी नागरिकता छिनी होगी।

बता दें कि शमीमा बेगम साल 2015 में अपने दो स्कूली दोस्तों के साथ पूर्वी लंदन स्थित अपने घर निकलकर सीरिया चली गई थी। उस समय उसकी उम्र 15 साल थी। सीरिया में रहते हुए बेगम ने एक ISIS आतंकी से निकाह किया और कई साल तक रक्का में बिताए। इस दौरान वह गर्भवती हुई। उसके दो बच्चे कुपोषण और बीमारी से मर गए।

इसके बाद बेगम 2019 में 39,000 लोगों के सीरियाई शरणार्थी शिविर अल-हवल में प्रकट हुई। यहाँ उसने ब्रिटेन से अपील की कि उसे वापस आने दिया जाए, ताकि वह अपने बच्चे को जन्म दे सके और उसका पालन पोषण कर सके। उसी साल फरवरी में उसने अपने बेटे जर्राह को जन्म दिया। बाद में उसकी भी मौत हो गई

शमीमा बेगम अभी 23 साल की है और वह सीरिया की एक शरणार्थी कैंप में रह रही है। उत्तर-पूर्वी सीरिया के शरणार्थी शिविर अल-हवल में मिलने और ब्रिटेन आने की अपील के बाद ब्रिटेन ने उस पर कार्रवाई की। ब्रिटेन के तत्कालीन गृह सचिव साजिद जाविद ने 19 फरवरी 2019 में उसकी ब्रिटिश नागरिकता छीन ली थी।

रेप्रीव की निदेशक माया फोआ ने कहा, “अदालत ने स्वीकार किया कि यह मानने का अच्छा कारण है कि शमीमा बेगम तस्करी की शिकार थीं। उसे एक बच्चे के रूप में ऑनलाइन तैयार किया गया था और ब्रिटेन को उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए, क्योंकि यह किसी भी ब्रिटिश किशोरी की तस्करी है।

बता दें कि पिछले महीने स्पेन सीरियाई शरणार्थी शिविरों से IS लड़ाकों के परिवारों को वापस लाया था। जिन्हें वापस लाया गया, उनमें दो स्पेनिश महिलाएँ और 13 स्पेनिश बच्चे हैं। इन्हें मैड्रिड के पास टोरेजोन सैन्य हवाई अड्डे पर लाया गया था।

अभी कुछ दिन पहले लोगों में सहानुभूति पैदा करने के लिए बीबीसी ने ‘जिहादी दुल्हन’ के नाम से शमीमा बेगम पर 90 मिनट की एक डॉक्यूमेंट्री जारी की थी। इस डॉक्यूमेंट्री के जरिए बीबीसी ने शमीमा बेगम का ‘चरित्र चित्रण’ की कोशिश की गई। डॉक्यूमेंट्री के पॉडकास्ट ‘आई एम नॉट ए मॉन्स्टर’ के 10 एपिसोड में शमीमा बेगम की ब्रिटेन से सीरिया तक की यात्रा के बारे में बताया गया है। साथ ही उसके प्रति सहानुभूति पैदा करने की कोशिश गई है।

बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में शमीमा बेगम ने कहा है कि जब वह ब्रिटेन से भागकर सीरिया पहुँची थी, तब वहाँ ISIS का एक आतंकी बस लेकर उसका इंतजार कर रहा था। उसने दावा किया कि जब वह ब्रिटेन से भागकर सीरिया गई तो उसे आईएसआईएस के आतंक के बारे में नहीं पता था, लेकिन,बाद में उसने ISIS की भयानक करतूतों के वीडियो देखे थे। इसके बाद भी उसने पीछे न हटने का फैसला किया।

‘जिहादी बेगम’ ने यह भी कहा है कि वह उत्तरी सीरिया के एक शरणार्थी शिविर में रह रही है। वहाँ रहना जेल में रहने से भी बदतर है। उसने यह भी कहा है कि कम से कम जेल की सजा के बारे में यह पता होता है कि सजा कब खत्म होगी, लेकिन शरणार्थी शिविर में जो हो रहा है यह सब कब खत्म होगा पता नहीं।

बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री का ब्रिटेन में जमकर विरोध हो हुुआ। बीबीसी द्वारा बार-बार प्रोपेगैंडा डॉक्यूमेंट्री बनाने को लेकर लोगों ने कहा कि वे अब बीबीसी को पैसे नहीं देंगे। लोग बीबीसी के सब्सक्रिप्शन को रिन्यू न कराने की भी बात कही। ट्विटर पर बीबीसी के खिलाफ #DeFundTheBBC का हैशटैग भी चला।

एक यूजर ने लिखा था, “बीबीसी ने बकवास डॉक्यूमेंट्री बनाई। बीबीसी ने उसे अपने फैसलों को सही और उचित बताने के लिए एक मंच दिया। बीबीसी, ब्रिटेन में रहने वाले लोगों का हितैषी नहीं है। वह हम पर हँसी उड़ाते हुए हमारा अपमान कर रहा है। अब समय आ गया है हम बीबीसी को पैसे नहीं देंगे।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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