भारत ने 7 मई, 2025 को पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए हमले किए। इसके बाद पाकिस्तानी फौज ने भारतीय सेना को निशाना बनाने का प्रयास किया। हालाँकि, वह बुरी तरह से फेल हुआ।
इस दौरान पाकिस्तानी फौज की नाकामी का बड़ा कारण चीन से लिए गए हथियार रहे। चाहे चीनी फाइटर जेट हों, एयर डिफेन्स सिस्टम हो या फिर उसके बनाए ड्रोन, सब बुरी तरह भारत के खिलाफ नाकाम हुए। अब इससे बिलबिलाया चीन प्रोपेगेंडा पर उतर आया है।
चीन अपने हथियारों की नाकामी को छुपाने के लिए अब ग्लोबल मीडिया पोर्टल्स में पीआर कर रहा है। इसमें यह पोर्टल्स उसका साथ भी दे रहे हैं। इन सभी जगह पर चीनी हथियारों की प्रशंसा करते हुए खबरें बनाई गई हैं।
रणभूमि में जो चीनी हथियार कबाड़ सिद्ध हुए हैं, उन्हें प्रभावी दिखाने का प्रयास चल रहा है। इसके लिए क्लिकबेट हेडलाइन्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस चीनी प्रोपेगेंडा को ब्लूमबर्ग, FRANCE24 और द गार्जियन जैसे विदेशी मीडिया संस्थान हवा दे रहे हैं।
अमेरिकी मीडिया संस्थान ने इस चीनी प्रोपेगेंडा को सबसे पहले हवा दी। उसने 13 मई, 2025 को एक खबर लिखी। इसकी हेडलाइन थी, ‘भारत-पाकिस्तान में तनाव के बाद बढ़ी चीनी हथियारों की विश्वसनीयता’ (Chinese Weapons Gain Credibility After India-Pakistan Conflict)।

इस खबर में चीन के हथियारों के विषय में बात की गई। खबर का मुख्य फोकस चीन के बनाए लड़ाकू विमान J-10C और PL-15 मिसाइल पर था। पूरी खबर में दावा किया गया कि पाकिस्तान ने चीन में बने J-10C विमानों का उपयोग भारत के खिलाफ किया।
ब्लूमबर्ग ने यह भी दावा किया कि इस लड़ाकू विमान ने भारत के 5 फाइटर जेट गिरा दिए। इसके लिए उसने पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार और उसकी फौज के बयानों का सहारा लिया। उसने अपने स्तर पर कहीं यह नहीं पुष्टि की कि ऐसा कुछ हुआ भी है या नहीं।
सच्चाई यह है कि पाकिस्तान एक भी भारतीय विमान का मलबा तक नहीं दिखा पाया है। उसके रक्षा मंत्री को इस दावे के चलते सरेआम टीवी पर बेइज्जत होना पड़ा था। पाकिस्तानी फ़ौज ने भी अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मात्र दावे ही किए और कोई भी सबूत नहीं दिखाए।
ब्लूमबर्ग ने यह सूचनाएँ किनारे करते हुए चीनी विमान को विजेता घोषित कर दिया। उसने उस चीनी मिसाइल PL-15 की तारीफों के भी पुल बाँधे, जो भारत में आकर ताश के पत्ते की तरह गिर गई थी। यह मिसाइल होशियारपुर में बिना कुछ हिट किए पूरी बरामद हुई थी।
ब्लूमबर्ग ने इसे भी प्रभावित बताने की कोशिश की। इस खबर की लिखावट से ही समझ आ जाता है कि यह एक प्रोपेगेंडा आर्टिकल है। इसका सबूत भी ब्लूमबर्ग ने अपनी हरकतों से दे ही दिया। जब 13 मई, 2025 को यह खबर प्रकाशित की गई थी, तब इसके लेखकों के रूप में जोश शियाओ और यिआन ली का नाम दिख रहा था।
यह दोनों संभवतः चीनी प्रोपेगेंडा बढ़ाने वाले पत्रकार हैं। हवा-हवाई दावे को लेकर जब लोगों ने प्रश्न उठाए, तो ब्लूमबर्ग ने 14 मई, 2025 को चुपके से इसमें से एक नाम हटा कर एक भारतीय नाम सुधी रंजन सेन जोड़ दिया। ब्लूमबर्ग का यह कदम स्पष्ट तौर पर विश्वसनीयता बचाने का एक प्रयास नजर आया।

सिर्फ ब्लूमबर्ग ही नहीं बल्कि इस चीनी प्रोपेगेंडा की कतार में FRANCE24, द यूरेशियन टाइम्स और द गार्जियन और रायटर्स जैसे संस्थानों ने भी अपना-अपना हिस्सा दिया। FRANCE24 तो फ्रांस का सरकारी मीडिया संस्थान होने के बाद भी उसी देश में बने राफेल विमानों पर प्रश्न उठाते नजर आया।
FRANCE24 ने भी कुछ-कुछ वैसी ही बातें लिखीं जैसी ब्लूमबर्ग के लेख में लिखी गई थी। FRANCE24 ने भी चीन का J-10 को लेकर प्रोपेगेंडा आगे बढ़ाया। हालाँकि, उसने इस लेख में चीन के HQ-9 और HQ-16 एयर डिफेन्स सिस्टम की कमियाँ भी गिनाईं। यह एयर डिफेन्स सिस्टम भारतीय हमले को नहीं रोक सका था।
इसी तरह ब्रिटिश समाचार संस्थान द गार्जियन ने भी एक खबर छापी, इसमें तो हेडलाइन में ही चीन में बने J-10 और PL-15 मिसाइल को प्रभावी बता डाला। इसमें भी उन्हीं विशेषज्ञों की राय ली गई, जिनसे चीनी हथियारों के विषय में ब्लूमबर्ग या बाकी संस्थानों ने बात की थी।

इन सब लेखों में चीन के हथियारों के प्रभावी होने के दावे कहीं पाकिस्तानी तो कहीं चीन स्रोतों के आधार पर किए गए हैं। सभी मीडिया संस्थानों में एक ही तरह की टोन, भाषा और एक ही जैसे विचार रखने वाले दावे आना कोई सुखद संयोग वैसे भी नहीं हो सकता।
इसके अलावा चीन पर पहले भी पश्चिमी मीडिया संस्थानों में घुसपैठ करने के आरोप लगते ही रहे हैं। ऐसे में उनका एक साथ चीनी हथियारों को लेकर एक ही स्वर में हुआ-हुआ यही दिखाता है कि यह एक चीनी प्रोपेगेंडा है ना कि उसकी सैन्य क्षमताओं का ईमानदार आकलन।
चीनी हथियारों की सच्चाई और उनकी असल क्षमताएँ क्या हैं, यह भारतीय हमले में पहले ही स्पष्ट हो चुका है। पाकिस्तान, बीते कुछ वर्षों में चीन से लगभग ₹40 हजार करोड़ का सैन्य साजोसामान खरीदा है। इसमें ड्रोन से लेकर JF-17 जैसे विमान भी शामिल हैं। लेकिन भारतीय वायु सेना ने स्पष्ट किया है कि उसने पाकिस्तान के कुछ विमान उड़ाए हैं।
संभावना है कि यह JF-17 जैसे विमान रहे हों। चीन के ड्रोन भी भारत में नहीं घुस पाए और उन्हें मार गिराया गया। असल बात ये है कि भारत के हथियारों ने इस तनाव में अद्भुत प्रदर्शन दिखाया है जबकि चीनी हथियार कबाड़ साबित हुए हैं, इसका असर कुछ समय में अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार में दिखेगा।
इस लड़ाई के दौरान चीनी हथियारों की हुई फजीहत उनकी बिक्री पर असर डालेगी। जबकि इस बात की बड़ी संभावना है कि भारतीय हथियार के लिए कई देश आगे आएँ। ऐसे में अपना आर्थिक नुकसान बचाने को भी चीन यह हरकत कर रहा है, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता।