Thursday, October 3, 2024
Homeरिपोर्टमीडियाIFWJ ने PTI पर लगाया नेपोटिज़्म का आरोप, कहा- कॉन्ग्रेस के मुखपत्र के रूप...

IFWJ ने PTI पर लगाया नेपोटिज़्म का आरोप, कहा- कॉन्ग्रेस के मुखपत्र के रूप में काम करती आई है संस्था, जाँच की माँग

प्रधानमंत्री और सूचना व प्रसारण मंत्री को एक पत्र के जरिए, IFWJ ने अवगत कराया था कि पीटीआई को संसद मार्ग पर आलिशान भवन निर्माण के लिए सब्सिडी वाली रियायती भूमि सहित केंद्र सरकारों से विभिन्न सहायता मिलती आई हैं। यह सब राजकीय खजाने और भारतीय कर दाताओं के रुपयों से किया गया था।

प्रसार भारती द्वारा समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इण्डिया (पीटीआई) को ‘राष्ट्रीय हितों के अनुरूप काम नहीं’ करने वाला बताते हुए उसकी सेवाएँ लेना बंद करने की चेतावनी दी गई है। प्रसार भारती ने कहा कि पीटीआई से अपने संबंधों को आगे जारी रखने को लेकर समीक्षा कर रहा है।

प्रसार भारती के समर्थन में अब देश के सबसे बड़े पत्रकारों के संगठन आईएफडब्लूजे (इण्डियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स) ने भी एक पत्र के जरिए प्रधानमंत्री से पीटीआई की फाइनेंस और कार्यप्रणाली की जाँच की माँग की है और कई अहम खुलासे किए हैं। आईएफडब्लूजे के महासचिव विपिन धुलिया ने एक फेसबुक पोस्ट शेयर करते हुए इसकी सूचना दी है।

विपिन धुलिया ने पीटीआई में होने वाले भाई-भतीजावाद, गलत वित्तीय प्रबंधन और निहित स्वार्थों का खुलासा करते हुए बताया है कि किस प्रकार पीटीआई हमेशा सत्ताधारी पार्टी, मुख्यतः कॉन्ग्रेस के मुखपत्र के रूप में काम करता आया है।

विपिन धुलिया द्वारा शेयर किए गए लेख के अनुसार, इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (IFWJ) ने पिछले कई वर्षों के दौरान भारत सरकार द्वारा प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) को उपलब्ध कराए गए विभिन्न फंड (अनुदान), सब्सिडी, ऋण और वित्तीय मदद की न्यायिक जाँच की माँग की है।

प्रधानमंत्री और सूचना व प्रसारण मंत्री को एक पत्र के जरिए, IFWJ ने अवगत कराया था कि पीटीआई को संसद मार्ग पर आलिशान भवन निर्माण के लिए सब्सिडी वाली रियायती भूमि सहित केंद्र सरकारों से विभिन्न सहायता मिलती आई हैं। यह सब राजकीय खजाने और भारतीय कर दाताओं के रुपयों से किया गया था।

आईएफडब्ल्यूजे ने पीटीआई मैनेजमेंट पर अपने संस्थान के संघ को विभाजित करने, केवल वफादारों का पक्ष लेने और कर्मचारियों को विभिन्न वैधानिक वेतन पुरस्कारों के तहत उनके कानूनी बकाए से वंचित करने जैसे कर्मचारी-विरोधी उद्देश्यों के लिए सरकारी धन के दुरुपयोग का भी आरोप लगाया है।

IFWJ seeks probe into PTI finances Appeal to Prime Minister NEW DELHI June 30: The Indian Federation of Working…

Vipin Dhuliya द्वारा इस दिन पोस्ट की गई मंगलवार, 30 जून 2020
https://www.facebook.com/story.php?story_fbid=3422835454428537&id=100001063475529

रिपोर्ट के अनुसार, पीटीआई के वर्तमान प्रबंधन ने विधिवत निर्वाचित पदाधिकारियों को रिझाने के लिए एक सेवानिवृत्त कार्यालय के साथ एक समानांतर संघ बनाया था। कोरोना वायरस के कारण जारी वर्तमान लॉकडाउन के दौरान भी प्रबंधन ने कर्मचारियों को उनके आर्थिक अधिकारों से वंचित कर दिया।

जब तक इसके प्रबंधन में पी उन्नीकृष्णन, एनडी प्रभु और के.पी. जैसे काम करने वाले पत्रकार थे, पीटीआई को पेशेवर पैटर्न पर चलाया जाता था। लेकिन जिस क्षण रोजगार की नापाक संविदा प्रणाली और आधिपत्य का शासन शुरू हुआ, समाचार एजेंसी पीटीआई भाई-भतीजावाद यांनी नेपोटिज्म की खान बन गई।

प्रसार भारती द्वारा पीटीआई को सदस्यता की समीक्षा के मुद्दे के साथ प्रेस की स्वतंत्रता को जोड़ने वाले कुछ तत्वों पर टिप्पणी करते हुए, IFWJ ने कहा कि अधिक जरूरी है कि मजदूरों की भूख से मुक्ति की माँग की जाए, क्योंकि उन्हें समाचार पत्रों, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और समाचार एजेंसियों द्वारा छँटनी समाप्ति, बर्खास्तगी का सामना करना पड़ता है।

आईएफडब्ल्यूजे ने पीटीआई प्रबंधन पर हमेशा बेशर्मी से खुद को सत्ताधारी पार्टी, खासकर कॉन्ग्रेस के मुखपत्र के रूप में बदलने का आरोप लगाया है। संगठन ने आरोप लगाया है कि जब स्वतंत्र बहुभाषी समाचार एजेंसी, यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (यूएनआई) में सरकारी मदद की आवश्यकता थी। परिणामस्वरूप पिछले दस वर्षों में यूएनआई कर्मचारियों के पेंडिंग वेतन भुगतान बहुत बढ़ गया है।

यूएनआई के अधिकांश कर्मचारियों को तीन से चार वर्षों में पूर्ण वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। दो राष्ट्रीय समाचार एजेंसियों के बीच भेदभाव की इस दुखद स्थिति ने केवल पत्रकारिता की स्वतंत्रता और पेशेवर अखंडता को बर्बाद कर दिया है। UNI को धीरे-धीरे मरने के लिए छोड़ दिया गया था।

यहाँ तक ​​कि तत्काल ऋण, जो UNI द्वारा अनुरोध किया गया था, मोदी सरकार द्वारा नहीं दिया गया था। आईएफडब्ल्यूजे ने आरोप लगाया कि पीटीआई को 100 करोड़ रुपए का ऋण मिला है, जो इस्तेमाल तक नहीं किया गया।

दूसरी ओर, UNI कर्मचारियों को केंद्र सरकार द्वारा 25 करोड़ रुपए के अल्प ऋण से भी वंचित कर दिया गया था। आईएफडब्ल्यूजे ने चीन के राजदूत के साथ पीटीआई द्वारा विशेष साक्षात्कार का भी उल्लेख किया। यह ऐसे समय में किया गया था जब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने मीडिया के माध्यम से वस्तुतः युद्ध की स्थिति घोषित कर दी थी। पीटीआई की कहानी इस प्रकार अपने छिपे हुए एजेंडे के बारे में संदेह पैदा करती है।

पीटीआई को प्रसार भारती की चेतावनी

उल्लेखनीय है कि हाल ही में प्रसार भारती के अधिकारियों ने पत्रकारों से कहा कि सार्वजनिक प्रसारणकर्ता अपनी अगली बोर्ड बैठक से पहले पीटीआई को एक सख्त पत्र भेज रहा है, जिसमें पीटीआई द्वारा राष्ट्र विरोधी रिपोर्टिंग पर गहरी नाराजगी व्यक्त की गई है।

पीटीआई ने चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री के हवाले से कहा था – “चीन को तनाव कम करने के लिए अपनी जिम्मेदारी समझते हुए लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के अपनी तरफ वापस जाना होगा।”

पीटीआई के एक अन्य ट्वीट में मिस्री ने कहा – “चीन को एलएसी के भारतीय हिस्से की ओर अतिक्रमण के प्रयास और संरचनाओं को खड़ा करने की कोशिश को रोकना होगा।”

पीटीआई द्वारा शेयर किए गए इस इंटरव्यू में मिस्री के एलएसी पर चीन को लेकर दिए गए बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सर्वदलीय बैठक में दिए उस बयान के विपरीत थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि न कोई हमारी सीमा में घुस आया है, न ही कोई घुसा हुआ है। पीएम मोदी ने कहा था कि न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्ज़े में है।

ऐसे में पीटीआई द्वारा चीनी राजदूत के बयान को प्रमुखता देने पर प्रसार भारती ने चिंता व्यक्त की थी। प्रसार भारती ने एक पत्र भेजकर कहा था कि पीटीआई की न्यूज़ रिपोर्टिंग राष्ट्र हित में नहीं है। प्रसार भारती का यह भी कहना है कि वह पीटीआई को फ़ीस के रूप में हर साल मोटी रकम देता है और अब तक करोड़ों रुपए उसे दे चुका है।

गौरतलब है कि इससे पहले भी पीटीआई ने भारत में चीन के राजदूत सुन वीदांग का इंटरव्यू लिया था, जिसे लेकर काफी विवाद हुआ था। चीनी दूतावास ने इस इंटरव्यू का एक छोटा संस्करण अपनी वेबसाइट पर प्रस्तुत किया था, जिसे लेकर पीटीआई की आलोचना भी हुई। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने राजदूत सुन के बयानों पर जवाब दिया था।

इण्डियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (IFWJ)

IFWJ भारतीय वर्किंग पत्रकारों का संगठन है, जिसकी स्थापना अक्टूबर 28, 1950 को नई दिल्ली में की गई थी। 1954 में संघ और राज्य सरकारों ने वर्किंग पत्रकारों के प्रतिनिधि निकाय के रूप में IFWJ को मान्यता दी थी। भारत के हर शहर, कस्बे और प्रकाशन केंद्र में कार्यरत पत्रकारों के एकमात्र पेशेवर निकाय के रूप में, IFWJ की क्षेत्रीय इकाइयों ने प्रेस क्लब, प्रेस अकादमी, संदर्भ पुस्तकालय, प्रशिक्षण संस्थान और अध्ययन मंडल स्थापित किए हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

गिर सोमनाथ में बुलडोजर कार्रवाई रोकने से हाई कोर्ट का इनकार, प्रशासन ने अवैध मस्जिदों, दरगाह और कब्रों को कर दिया था समतल: औलिया-ए-दीन...

गुजरात हाई कोर्ट ने 3 अक्टूबर को मुस्लिमों की मस्जिद, दरगाह और कब्रों को तोड़ने पर यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश देने से इनकार कर दिया।

इतना तो गिरगिट भी नहीं बदलता रंग, जितने विनेश फोगाट ने बदल लिए

विनेश फोगाट का बयान सुनने के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है कि राजनीति में आने के बाद विनेश कितनी सच्ची और कितनी झूठी हो गई हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -