राजस्थान के अजमेर के लवेरा गाँव में दलित दूल्हे की बारात को लेकर भारत के जाने-माने मीडिया संस्थान टाइम्स ऑफ इंडिया ने झूठ फैलाने का काम किया है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी खबर में बताया कि लवेरा में एक अनुसूचित जाति के दूल्हे की बारात में भारी पुलिस बल (100 से अधिक) साथ-साथ था क्योंकि गाँव में ऊँची जाति के लोगों ने उसके घोड़ी चढ़ने का विरोध किया था…।
देख सकते हैं कि टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी खबर को शेयर करते हुए ट्वीट में भी यही लिखा। अब सच्चाई असल में क्या है आइए बताते हैं।

लवेरा गाँव में जिस दूल्हे की बारात में पुलिस की मौजूदगी को लेकर टाइम्स ऑफ इंडिया ने झूठ फैलाया है, उस दूल्हे का नाम विजय रैगर है, जिनकी शादी लवेरा गाँव के रहने वाले नारायण खोरवाल की बेटी अरुणा से 21 जनवरी 2025 को हुई।
विजय की बारात में पुलिस की मौजूदगी का कारण ये नहीं था कि गाँव में किसी ऊँची जाति वाले ने उन्हें घोड़ी पर बैठने से रोका, बल्कि ये मामला तो ऊँची-नीची जाति का था ही नहीं।
रिपोर्टों के अनुसार, गाँव की बहुल आबादी गुर्जरों की है यानी ओबीसी समुदाय की। सबसे दिलचस्प बात ये है कि खबरें भी यही बताती हैं कि गुर्जर समाज ने दूल्हे को घोड़ी से नहीं उतारा। उलटा उसका ऐसा स्वागत किया कि गुर्जर समाज के पंच पटेल व ग्रामीण खुद उसकी बारात में शामिल हो गए। वहीं दुल्हन को भी इसी समुदाय के लोगों ने ऐसे विदा किया जैसे वो इनकी अपनी बेटी हो।
अब रही बात पुलिस कर्मियों की मौजूदगी की… तो बारात में पुलिस वाले सिर्फ इसलिए शामिल थे ताकि किसी भी तरह के विवाद की आशंका न रहे। ये आशंका भी इसलिए क्योंकि 20 साल पहले गाँव में ऐसी घटना हुई थी। साल 2005 में नारायण की बहन सुनीता की शादी खरवा निवासी दिनेश के साथ हो रही थी, मगर ग्रामीणों ने बारात आने पर विरोध कर दिया था।
बताया जा रहा है कि तब दिनेश को चूँकि घोड़ी पर बैठने नहीं दिया गया था, इसलिए पुलिस उसे जीप से लेकर आई थी। उस वक्त भी शादी में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन मौजूद था। इसी घटना को देखते हुए विजय रैगर की बारात में विवाद की आशंका उठी। अरुणा के पिता ने पुलिस प्रशासन से अपील की और पुलिस सुरक्षा लिहाज से बारात के साथ रही।
हालाँकि, बाद में दुल्हन के पिता ने खुद ये बोला कि उन्हें डर था कि कहीं ऐसा विवाद न हो, लेकिन बारात वाले दिन किसी ने कुछ नहीं कहा।बारात 2:30 बजे लवेरा गाँव के राजकीय आयुर्वेद औषधालय पहुँची। वहाँ से 5 ढोल वालों के साथ बारात में शामिल लोग नाचते गाते अलग-अलग मार्ग से होते हुए वधू के घर पहुँचे और फिर शादी रीति-रिवाज से संपन्न हुई।
खबरों से स्पष्ट है कि 20 साल पहले हुए विवाद के कारण पुलिस ने एहतियातन कदम उठाए थे लेकिन न तो 20 साल पहले हुए विवाद में इसमें ऊँची जाति के लोग इसमें शामिल थे और न अब उनके कारण ऐसी कोई आशंका थी… जैसा कि टाइम्स ऑफ इंडिया ने ऊँची जाति लिखकर पाठकों को भ्रमित करने की कोशिश की।