Saturday, April 20, 2024
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AG के पास पहुँचा TMC वाला साकेत गोखले, हमारे खिलाफ चलाना चाहता है अदालत की अवमानना का मामला: हम अपने शब्दों पर अब भी कायम

ऑपइंडिया एडिटर नुपूर शर्मा ने तृणमूल के साकेत गोखले की माँग पर कहा, "ऐसे समय में जब हमें अवमानना कार्रवाई को लेकर चिंतित होना चाहिए कि अगर एजी ने इस माँग को स्वीकार लिया तो क्या होगा। मैं ये पूरे विश्वास के साथ ये लिखती हूँ- हमने कुछ गलत नहीं कहा।"

देश-विदेश से मिल रही रेप और हत्याओं की धमकियों के बीच 1 जुलाई 2022 को भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नुपूर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर गुहार लगाई थी कि उनकी सारी एफआईआर दिल्ली में ट्रांस्फर करवा दी जाए।

उन्होंने ये नहीं कहा था कि एफआईआर को खारिज किया जाए या फिर वो जाँच में सहयोग नहीं करेंगी। लेकिन फिर भी कोर्ट में उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीशों ने हैरान करने वाली टिप्पणियाँ कीं और उनपर तंज कसे।

अजीब बात ये थी कि सुनवाई के दौरान की गई टिप्पणियाँ लिखित आदेश में सम्मिलित नहीं की गई जिसके बाद लोगों ने इसे सर्वोच्च न्यायालय की नहीं, बल्कि जजों की निजी राय मानते हुए अपनी प्रतिक्रियाएँ दीं।

ऑपइंडिया की संपादक नुपूर शर्मा ने भी इसी क्रम में अपने विचार प्रस्तुत किए और पूछा कि क्या जैसे भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपूर शर्मा की ‘बेलगाम जुबान’ को इस्लामी हिंसा का कारण बताया जा रहा है। क्या वैसे ही अन्य मामले जिसमें कोर्ट के फैसलों के बाद कट्टरपंथी सड़क पर उतरे, उन मामलों में भी कोर्ट के जजों को जिम्मेदार कहा जाएगा क्या।

रिपोर्ट में सवाल किया गया था कि जब एक ओर जजों के फैसला देने के बाद उन्हें मिल रही धमकियों के मद्देनजर उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई जा रही थी, तो फिर नुपूर शर्मा को मिल रही धमकियों को नजरअंदाज कैसे किया जा सकता है।

अब इन्हीं सवालों के पूछे जाने के बाद तृणमल कॉन्ग्रेस के नेता साकेत गोखले ने अटॉर्नी जनरल को पत्र लिखकर ऑपइंडिया और उसकी एडिटर-इन-चीफ नुपूर शर्मा के खिलाफ अदालत की अवमानना का केस शुरू करने की अपील की। इस पत्र में कहा गया कि ऑपइंडिया के खिलाफ ये कार्रवाई हो क्योंकि मामले से संबंधित लेखों ने सुप्रीम कोर्ट की साख को नुकसान पहुँचाया है।

साकेत गोखले ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट के बयान से छेड़छाड़ की। जाहिर है वो साबित करना चाहते थे कि अगर सुप्रीम कोर्ट के जज उनके पक्ष में फैसला सुनाएँ तो फिर उनकी आलोचना किसी कीमत पर नहीं की जानी चाहिए।

ऑपइंडिया एडिटर नुपूर शर्मा ने तृणमूल के साकेत गोखले की माँग पर कहा, “ऐसे समय में जब हमें अवमानना कार्रवाई को लेकर चिंतित होना चाहिए कि अगर एजी ने इस माँग को स्वीकार लिया तो क्या होगा। मैं ये पूरे विश्वास के साथ ये लिखती हूँ- हमने कुछ गलत नहीं कहा। हम अब भी अपने शब्दों पर कायम हैं।”

गौरतलब है कि जिन सवालों को उठाने पर ऑपइंडिया के विरुद्ध साकेत गोखले ने अवमानना का केस चलाने की माँग की है, वैसे ही सवाल दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एसएन ढींगरा भी मीडिया में आकर उठाए हैं। उन्होंने साफ साफ सुप्रीम कोर्ट के जजों की टिप्पणी को न केवल गैर-जिम्मेदाराना कहा है, बल्कि उसे गैरकानूनी भी बताया है।

उन्होंने ये भी पूछा था कि अगर जजों की बातें जायज थीं तो आखिर लिखित आदेश में ये सब बातें क्यों नहीं कही गई। इसके अलावा एसएन ढींगरा ने ये भी कहा था कि अगर जजों को बिन प्रक्रिया को अपनाए किसी को दोषी देना है तो उन्हें बताना होगा कि उन्होंने ये कैसे कहा। अगर इसी तरह सुप्रीम कोर्ट के जज मौखिक टिप्पणी करके याचिकाकर्ता को दोषी बताते रहे तो ये कोर्ट का स्तर गिरना होगा।

इसके अलावा सामान्य यूजर्स भी सुप्रीम कोर्ट के जजों की टिप्पणियों पर सवाल पूछ रहे हैं। उन्हें दुख हो रहा है कि महिला गुहार लेकर गई कि उसे रेप कि धमकियाँ मिल रही है और बदले में उसके ऊपर इस्लामी कट्टरपंथियों के कृत्य का ठीकरा फोड़ दिया गया।

नोट: यह पूरा लेख ऑपइंडिया की एडिटर-इन-चीफ नुपूर शर्मा की प्रतिक्रिया पर आधारित है जिसे उन्होंने अंग्रेजी में लिखा है। आप उस पूरे लेख को इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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