Friday, May 23, 2025
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विनोद दुआ की प्रणय रॉय को धमकी: NDTV के बवाल में मारने-खत्म करने से लेकर हिम्मत/अंडकोष तक का जिक्र

“जब भी आपके पास बॉल्स (हिंदी का शब्दानुवाद अंडकोष)/हिम्मत होगा, हम आमने-सामने मिलेंगे प्रणय रॉय। मुझे विश्वास है, उन्हें मारने का समय आ गया है... मुझे कुछ महीने लग सकते हैं लेकिन मैं उन्हें मार दूँगा"

पत्रकार विनोद दुआ के निधन के बाद, कुछ लोगों ने, खासकर मीडिया से जुड़े लोगों ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। कुछ ने यह भी बताया कि वह अब तक के सबसे महान पत्रकारों में से एक थे। इन्हीं में से एक थे NDTV के चीफ प्रणय रॉय।

कई लोगों ने यह साझा करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया कि कैसे वे रॉय और दुआ द्वारा टेलीविजन स्क्रीन पर राजनीतिक विश्लेषण देख कर बड़े हुए।

हालाँकि, इन सबके साथ विनोद दुआ के निधन के बाद 2013 का एक स्क्रीनशॉट भी वायरल हो रहा है।

साभार: विनोद दुआ की फेसबुक टाइमलाइन (2013)

‘मैं उन्हें मार दूँगा’

जून 2013 में, विनोद दुआ ने प्रणय रॉय पर हमला करने के लिए फेसबुक का सहारा लिया और उन पर एक राजनीतिक पत्रकार के रूप में उनका करियर बर्बाद करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा था, “इस आदमी ने मुझे धोखा दिया है और मैं अपना बदला लूँगा।” उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट किया था, “मुझे विश्वास है, उन्हें मारने का समय आ गया है… मुझे कुछ महीने लग सकते हैं लेकिन मैं उन्हें मार दूँगा… इंडियन ब्रॉडकास्टिंग के ये चोर। हमारे द्वारा वित्त पोषित।” हालाँकि यह स्पष्ट नहीं था कि दुआ का मतलब उन्हें शब्दों से मारना था या वाकई में वो उन्हें मार डालना चाहते थे।

विनोद दुआ ने तब कहा कि उन्होंने रॉय पर एक वीकेंड राजनीतिक कार्यक्रम तैयार करने का भरोसा किया था, जिसका उनसे वादा किया गया था। हालाँकि रॉय ने उनका विश्वास तोड़ दिया, उन्हें धोखा दिया। उन्होंने कहा कि वह इसे सार्वजनिक रूप से इसलिए बता रहे हैं क्योंकि रॉय के निजी सचिव हन्ना भी उनका फोन नहीं उठा रहे थे। उन्होंने कहा, “आपने ही मुझे अपने साथ काम करने के लिए आमंत्रित किया था।” आगे दुआ ने कहा कि उन्होंने कभी भी अपने ‘आउटफिट’ के लिए काम करने के लिए नहीं कहा। उन्होंने पोस्ट में लिखा था, “चूँकि आपने मेरे करियर को डिजाइन नहीं किया है, इसलिए मैं आपको अपना अंत नहीं करने दूँगा।”

उन्होंने पोस्ट किया था, “जब भी आपके पास बॉल्स (हिंदी का शब्दानुवाद अंडकोष) / हिम्मत होगा, हम आमने-सामने मिलेंगे प्रणय रॉय। वरना हम टीवी पर मेरे राजनीतिक करियर को खत्म करने की कोशिश करने के लिए आपसे संपर्क करेंगे।”

आपको बता दें कि 1980 के दशक में विनोद दुआ ने प्रणय रॉय के साथ दूरदर्शन पर चुनावी विश्लेषण शुरू किया था। बताया जा रहा है कि वह 2004 में एनडीटीवी ज्वाइन किए थे, लेकिन वह राजनीतिक शो के बजाय फूड शो को होस्ट करते थे। प्रणय रॉय ने भी उसी समय करियर की शुरुआत की थी, लेकिन वह मीडिया के जाने-माने नाम थे, जबकि दुआ उसी ‘आउटफिट’ में सिर्फ एक अंशकालिक सलाहकार थे। उस समय दुआ और रॉय के बीच लड़ाई ने काफी कौतूहल और मनोरंजन का माहौल बना दिया था।

2013 में ट्विटर पर दुआ का मेल्टडाउन

अगस्त 2013 तक, यह बिल्कुल स्पष्ट था कि मोदी लहर आ रही है और 2014 के आम चुनाव एक पत्रकार के रूप में कवर करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनावों में से एक होंगे। ‘जायके का सफर’ के मेजबान शायद अब तक के सबसे महान चुनावों का हिस्सा नहीं होने से नाराज थे। तब वो प्रणय रॉय पर जमकर बरसे और उन पर उनका करियर बर्बाद करने का आरोप लगाया। इसके तुरंत बाद, उन्होंने NDTV से अपना जुड़ाव समाप्त कर लिया, जहाँ वे एक ‘अंशकालिक सलाहकार’ थे।

हालाँकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि दुआ को फेसबुक पर मेल्टडाउन से पहले या बाद में एनडीटीवी से निकाल दिया गया। आखिरकार, फरवरी 2014 में, आम चुनावों के ठीक बीच में दुआ राघव बहल के नेटवर्क 18 में शामिल हो गए थे।

विनोद दुआ और पाखंड

विनोद दुआ के निधन पर उनकी बेटी मल्लिका ने कहा – अब वो स्वर्ग में मेरी माँ के साथ घूमेंगे-गाएँगे। हालाँकि शायद खुद विनोद दुआ स्वर्ग में यकीन नहीं करते थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर विनोद दुआ बोले थे कि ये हमारे देश का पाखंड है कि किसी के देहांत के बाद उसे महापुरुष बना दिया जाता है। और तो और, ये वही विनोद दुआ थे, जिन्होंने गोधरा में ट्रेन में जलाकर मार डाले गए राम भक्तों को लेकर उपहास किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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