गुजरात के राजकोट में पुलिस ने फारूक मुसानी समेत 8 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताकर हिंदू दुकानदारों की दुकानों पर जबरन कब्जा कर लिया था और उनके सामान को सड़कों पर फेंक दिया था।
इस मामले में पुलिस की कार्रवाई के बारे में जानकारी देते हुए गुजरात के गृह राज्यमंत्री हर्ष सांघवी ने कहा है कि सभी दुकानें खुल चुकी हैं और आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस मामले की गहन जाँच कर रही है और वक्फ बोर्ड के आदेश की वैधता की भी जाँच की जा रही है। उन्होंने जो तस्वीर साझा की है, उसमें आरोपित फारूक और उसके साथी नजर आ रहे हैं।
सभी दुकानें खुल गई हैं और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
— Harsh Sanghavi (@sanghaviharsh) January 3, 2025
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रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुकानदार वीरेंद्रभाई कोटेचा ने फारूक मुसानी और अन्य के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी, जिसमें बताया गया कि यह हमला अचानक किया गया, बिना किसी पूर्व सूचना या नोटिस के। कोटेचा ने कहा कि वक्फ बोर्ड के नियमों के अनुसार, कब्जे के लिए तीन महीने पहले नोटिस दिया जाता है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। फारूक मुसानी ने 19 दिसंबर 2024 का एक कथित आदेश दिखाया और इसे आधार बनाकर दुकानों पर कब्जा कर लिया।
ये घटना 31 दिसंबर 2024 की रात को घटी थी, जब फारूक मुसानी के नेतृत्व में करीब 20-25 लोगों की भीड़ ने पुरानी दानपीठ इलाके में दो दुकानों के ताले तोड़ दिए और सामान सड़क पर फेंक दिया। इस दौरान उन्होंने दावा किया था कि ये दुकानें वक्फ बोर्ड की संपत्ति हैं और उन्हें खाली करवाना है। हिंदू दुकानदारों ने स्पष्ट किया कि ये दुकानें दशकों से पट्टे पर ली गई हैं और वास्तव में ये जमीन PWD विभाग की है, ना कि वक्फ बोर्ड की।
दुकानदारों ने वक्फ बोर्ड के नाम पर हुई इस गुंडागर्दी से बचाव और न्याय की माँग की थी, जिसके बाद सक्रिय हुए प्रशासन ने उन हिंदू दुकानकारों को दुकानों का कब्जा वापस दिला दिया है। इस मामले में पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि ऐसी अवैध गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।