Friday, March 29, 2024
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ऑल्ट न्यूज के सिन्हा, प्रिंट वाले गुप्ता ने फेक अकाउंट को रीट्वीट कर फैलाई झूठी जानकारी, पकड़े जाने पर ट्वीट डिलीट

एक ट्विटर अकाउंट होता है, जो सालों से बंद पड़ा हुआ। उससे एक ट्वीट किया जाता है, वो वायरल हो जाता है! कैसे? क्योंकि प्रतीक सिन्हा उसे रीट्वीट करता है। फिर शेखर गुप्ता द्वारा उसे रीट्वीट किया जाता है। वामपंथी गैंग की ख़बरों का नैरेटिव ऐसे ही गढ़ा जाता है।

एक ट्विटर अकाउंट होता है, जो कई दिनों से बंद पड़ा हुआ है। उस ट्विटर अकाउंट से अचानक से एक वीडियो ट्वीट किया जाता है, जिसमें एक महिला डॉक्टर बताती है कि किस तरह डॉक्टरों को सरकार द्वारा कुछ भी सुविधाएँ नहीं दी जा रही हैं। वो बताती हैं कि उसने जो मास्क पहना हुआ है, वो काफ़ी पुराना है और उसे बार-बार धो कर उसे पहनना पड़ रहा है। विडम्बना देखिए कि वो ट्विटर अकाउंट काफ़ी दिनों से बंद पड़ा हुआ था जबकि उसे 2011 में ही बनाया गया था।

वो डॉक्टर बताती हैं कि वो एक सप्ताह से यही मास्क पहन रही हैं। इस ट्विटर अकाउंट के काफ़ी कम फॉलोवर हैं, मात्र 314 ही। फिर वो ट्वीट वायरल कैसे होगा? ऐसे में प्रतीक सिन्हा आगे आते हैं और वो उस ट्वीट को रीट्वीट करते हैं। वही प्रतीक सिन्हा, कथित फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज़’ के संस्थापक। इसके बाद ‘द प्रिंट’ के संस्थापक शेखर गुप्ता द्वारा उसे रीट्वीट किया जाता है। बस हो गया वायरल। वामपंथी गैंग की ख़बरों का नैरेटिव ऐसे ही गढ़ा जाता है।

और सबसे अच्छी बात तो ये है कि ये अकाउंट किसी पुरुष के नाम पर था, जिसका हैंडल है- विक्रमादित्य। पहले नाम भी किसी पुरुष का था लेकिन इसको वायरल करने के लिए इसे किसी महिला के नाम पर बना दिया गया। लेकिन, चोरी पकड़ी इसीलिए गई क्योंकि इस ट्विटर अकाउंट ने नाम तो बदल लिया लेकिन वो अपना यूजरनेम या फिर ट्विटर हैंडल का नाम नहीं बदल पाए। तैयारी अधूरी रह गई और प्रपंच पकड़ा गया। इसका मतलब है कि प्रतीक सिन्हा ने एक फेक अकाउंट का ट्वीट शेयर किया, ताकि इसके आधार पर मोदी सरकार पर निशाना साधा जा सके।

प्रतीक सिन्हा ने रीट्वीट किया फेक हैंडल का ट्वीट

अब उस अकाउंट ने अपने सारे ट्वीट्स डिलीट कर लिए हैं। अगस्त 2011 में बने उस अकाउंट पर अगर आप अभी जाएँगे तो आपको कुछ नहीं दिखेगा क्योंकि उसने सारे ट्वीट्स हटा दिए हैं। पकड़े जाने के बाद गिरोह विशेष ने ऐसा करवाया है। अक्सर ये आरोप लगाया जाता है कि फलाँ ट्विटर हैंडल ने कुछ ग़लत सूचना साझा कर दी तो इसके लिए पीएम मोदी जिम्मेदार हैं क्योंकि वो इसे फॉलो करते हैं। ठीक ऐसे ही, इस ट्विटर हैंडल को जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद फॉलो कर रही थीं। अब आप समझ सकते हैं कि किसके तार कहाँ और किस-किस से जुड़े हुए हैं।

और भी कई लोग थे, जिन्होंने मोदी सरकार के विरोध में ट्वीट देखते ही इस हैंडल को फॉलो कर दिया। उनमें से एक नाम ज्योति यादव का भी है, जो ‘द प्रिंट’ नामक प्रोपेगंडा पोर्टल में कार्यरत हैं। इस ट्विटर हैंडल का नाम पहले ‘विक्रमादित्य सांगवान’ था। आप ऊपर की तस्वीर में उसकी फोटो भी देख सकते हैं, जो कि देखने में स्पष्ट रूप से एक पुरुष लग रहा है। फिर मोदी के विरोध के प्रोपेगंडा की आग में उसने ख़ुद को औरत क्यों बना लिया, ये समझ से परे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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