Friday, December 6, 2024
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कॉन्ग्रेस नेता लावण्या ज्ञानवापी पर ASI की रिपोर्ट को मानती हैं ‘सर्वे’, संघियों को देने लगीं गाली… सोशल मीडिया पर लोगों ने रगड़ा

नूपुर जे शर्मा की पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए कॉन्ग्रेस नेता लावण्या ने ASI की रिपोर्ट पर ही सवाल खड़ा कर दिया और कहा कि यह एक सर्वे है, ना कि निष्कर्ष। लावण्या ने अपनी पोस्ट में लिखा, "यह एक सर्वेक्षण है न कि पुरातत्व संबंधी निष्कर्ष। कट्टरता के अलावा संघियों की खोपड़ी में और क्या है?"

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी ढाँचे को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष में विवाद चल रहा है। यह मामला न्यायालय के विचाराधीन है। जिस जगह पर ढाँचा खड़ा किया गया है, उसे काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनाया गया है। इसको लेकर हिंदू पक्ष ने कोर्ट में वाद दायर किया है, जिसकी सुनवाई जारी है।

इस बीच पर कोर्ट के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने ढाँचे अंदर जाँच की। ASI ने कोर्ट में 839 पेज की रिपोर्ट पेश की, जिसे हाल ही सार्वजनिक किया गया है। रिपोर्ट इस बात की ओर साफ इशारा कर रही है कि ज्ञानवापी ढाँचे की जगह कभी बड़ा हिंदू मंदिर था।

अपनी रिपोर्ट में ASI ने कहा है कि विवादित स्थान पर मंदिर होने के 32 सबूत मिले हैं। इनमें संस्कृत सहित कई भाषाओं में शिलालेख, देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियाँ, खंभे और उन पर बनी कलाकृतियाँ, प्राचीन दिवारें आदि शामिल हैं। दीवार के नीचे 1 हजार साल पुराने अवशेष भी मिले हैं।

हालाँकि, तुष्टीकरण में डूबी कॉन्ग्रेस ASI द्वारा इकट्ठा किए गए प्रमाणों को ही नकारने लगी है। कॉन्ग्रेस की प्रवक्ता लावण्य बल्लाल जैन ने ASI की रिपोर्ट और उसमें दिए गए सबूतों पर सवाल खड़े किए हैं। अब सोशल मीडिया यूजर लावण्या की समझ पर ही सवाल खड़े रहे हैं।

दरअसल, ऑपइंडिया की एडिटर-इन-चीफ नूपुर जे शर्मा ने ASI की रिपोर्ट का हवाला देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट किया। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा, “इससे कहा जा सकता है कि वर्तमान ढाँचे को बनाने से पहले वहाँ (ज्ञानवापी ढाँचे की जगह) एक विशाल हिंदू मंदिर था।- ज्ञानवापी पर ASI की सर्वे रिपोर्ट।”

नूपुर जे शर्मा की पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए कॉन्ग्रेस नेता लावण्या ने ASI की रिपोर्ट पर ही सवाल खड़ा कर दिया और कहा कि यह एक सर्वे है, ना कि निष्कर्ष। लावण्या ने अपनी पोस्ट में लिखा, “यह एक सर्वेक्षण है न कि पुरातत्व संबंधी निष्कर्ष। कट्टरता के अलावा संघियों की खोपड़ी में और क्या है?”

लावण्या की इस ‘परिभाषा’ पर सोशल मीडिया यूजर भड़क उठे। भट नेचुरली नाम के एक यूजर ने लिखा, “हे भगवान, असल में उन्होंने (लावण्या ने) सोचा था कि यह मार्केट रिसर्च की तरह 100 लोगों से उनकी राय पूछने के बारे में था?”

इसी तरह, AI भगवा नाम के एक यूजर ने लिखा, “ASI में ‘A’ का मतलब ‘आर्कियोलॉजिकल’ लावण्या जी है।”

वहीं, डॉक्टर गणेश श्रीनिवास प्रसाद ने कटाक्ष करते हुए लिखा, “लावण्या बीजे के अनुसार… भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण लोगों से उनकी राय पूछकर सर्वेक्षण करता है। राजस्व अधिकारी भी राजस्व रिकॉर्ड की जांँच करके नहीं, बल्कि लोगों से पूछकर भूमि का सर्वेक्षण करते हैं कि जमीन किसकी है।”

पुनिता तोरासकर नाम की एक यूजर ने लिखा, “मूर्ख होना एक बात है, लेकिन इसे मुकुट की तरह पहनना सिर्फ लावण्या बीजे ही कर सकती हैं।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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