Saturday, April 20, 2024

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इतिहास

प्यारे टीपू सुल्तान के बारे में एक भी शब्द मत बदलो: ‘बुद्धिजीवी’ कमेटी मैसूर के हत्यारे शासक के पक्ष में

कुछ लोग इस मत के हैं कि टीपू के शासन की असलियतें जैसे हिन्दुओं को हाथियों के पैरों से बाँध कर मारना आदि, पाठ्यक्रम में शामिल कर इस्लामी शासन की पोल खोली जाए।

डॉ राजेंद्र प्रसाद को राष्ट्रपति बनने से रोकने के लिए नेहरू ने बोला झूठ तो पटेल ने कहा- शादी नक्की

"अगर दूल्हा भाग न जाए तो शादी नक्की"- सरदार पटेल की इस एक लाइन ने डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की राह में रोड़े अटकाने वाले नेहरू के अरमानों पर पानी फेर दिया। नेहरू ने डॉक्टर प्रसाद को रोकने के लिए झूठ तक बोला लेकिन उनकी पोल खुल गई।

जब चमकी मारवाड़ी तलवार तो सलावत खान के दिल के हो गई पार, दरबार छोड़ नंगे पाँव भागा शाहजहाँ

ये कहानी है उस योद्धा की, जिसकी गाथा मारवाड़ में आज भी सुनाई जाती है। वो राठौड़, जिसके प्रताप से भयभीत होकर शाहजहाँ नंगे-पाँव अपने ही दरबार से भाग खड़ा हुआ। जिसकी वीरता देख मुगलों ने छल का सहारा लिया और प्रपंच की आड़ ली।

इतिहास में गुम हैं मुगलों को 17 बार हराने वाले अहोम योद्धा: देश भूल गया ब्रह्मपुत्र के इन बेटों को

राजपूतों और मराठों की तरह कोई और भी था, जिसने मुगलों को न सिर्फ़ नाकों चने चबवाए बल्कि उन्हें खदेड़ कर भगाया। असम के उन योद्धाओं को राष्ट्रीय पहचान नहीं मिल पाई, जिन्होंने जलयुद्ध का ऐसा नमूना पेश किया कि औरंगज़ेब तक हिल उठा। आइए, चलते हैं पूर्व में।

वैज्ञानिकों ने सबूत के साथ साबित किया सरस्वती नदी का अस्तित्व: वैदिक ऋचाओं पर रिसर्च की मुहर

78,000 ईसापूर्व से लेकर 18,000 ईसापूर्व और 7000 ईसापूर्व से लेकर 2500 ईसापूर्व की समयावधि में सरस्वती नदी निरंतर बिना किसी रुकावट के बहा करती थी। इसके साथ ही ऋग्वेद की उन कई ऋचाओं पर भी मुहर लग गई है, जिनमें सरस्वती नदी का जिक्र है।

पेशवा की ‘छबीली’: चीते का शिकार करने वाली वो वीरांगना जिसकी तलवारों से फिरंगी भी कॉंपे

पड़ोसी राज्य ओरछा व दतिया के हमलों को नाकाम करने वाली रानी जिसे अंग्रेजों ने घेर लिया, फिर भी उसने घुटने नहीं टेके। 29 साल की उम्र में वीरगति को प्राप्त करने वाली उस मर्दानी की वीरगाथा सदियों तक यूॅं ही गूॅंजती रहेगी।

हिन्दू धर्म के प्रति निष्ठावान थी इंदिरा गाँधी: वो 6 बातें, जिनसे आज के कॉन्ग्रेस को सीखने की ज़रूरत है

पुलवामा और उरी के हमले अगर इंदिरा सरकार के समय में हुए होते, तो भी पाकिस्तान को कमोबेश वैसा ही जवाब मिलता, जैसे मोदी ने दिया। लेकिन वही 26/11 के बाद, बनारस, दिल्ली से लेकर मुंबई, हैदराबाद और दंतेवाड़ा अनेकों बम धमाकों के बाद भी यूपीए सरकार ने लचर रुख अख्तियार किया।

जब इंदिरा गाँधी ने JNU की गुंडागर्दी पर लगा दिया था ताला: धरी रह गई थी नारेबाजी और बैनर की राजनीति

जेएनयू छात्रों की हड़ताल में जर्मन कोर्स की एक छात्रा शामिल नहीं होना चाहती थी, इसलिए वह क्लास करने के लिए जर्मन फैकल्टी की ओर बढ़ी। उसका नाम था मेनका गाँधी- संजय गाँधी की पत्नी और इंदिरा गाँधी की बहू।

पुणे में बैठ कर दिल्ली चलाने वाला मराठा: 16 की उम्र में सँभाली कमान, निज़ाम और मैसूर को किया चित

16 वर्ष के बच्चे ने मराठा साम्राज्य की कमान सँभाली। जलवा ऐसा कि दिल्ली के सिंहासन पर कौन बैठेगा, ये भी उसके इशारे पर तय होता था। जानिए, कौन था मैसूर के हैदर अली और हैदराबाद के निज़ाम को धूल चटाने वाला महायोद्धा?

‘सावरकर से प्रॉब्लम होगी, कुछ और कर लो’ – कॉन्ग्रेसी सरकार वाले राजस्थान के यूनिवर्सिटी का टके-सा जवाब

राजस्थान में (जहाँ कॉन्ग्रेस का शासन है) इतिहास की पाठ्य पुस्तकों से उनके नाम से 'वीर' हटा दिया गया और अब इतिहासकारों की स्वायत्त संस्था ICHR को राजस्थान यूनिवर्सिटी ने कह दिया है कि यूनिवर्सिटी कैम्पस में सावरकर छोड़ कर किसी भी विषय पर सम्मेलन हो सकता है।

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