बसु चाहती हैं कि लोग यह मानें कि भारतीय सशस्त्र बलों ने नरेंद्र मोदी के इशारे पर अपने ही सैनिकों की हत्या कर दी है। और सोचने वाली बात यह है कि बसु ने यह ट्वीट जैश-ए-मुहम्मद द्वारा हमले के लिए जिम्मेदारी का दावा करने के लंबे समय बाद पोस्ट किया है।
गृह मंत्री ने शाम में कहा था कि सेना को हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया गया है। इस बयान के कुछ समय बाद ही सरकार द्वारा हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा वापस लेने की बात कही जा रही है।
जवानों की शहादत पर लोगों ने जम्मू शहर में जौहरी चौक, पुरानी मुंडी, रेहरी, शक्तिनगर, पक्का डंगा, जानीपुर, गाँधीनगर और बख्शीनगर समेत कई जगहों पर बड़े पैमाने पर पाकिस्तान के विरोध में नारे लगाते हुए प्रदर्शन किया।
शहीद जवान को कंधा देने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ,जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक और भारतीय सेना के उत्तरी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने पुलवामा हमले में शहीद सीआरपीएफ के जवानों को श्रद्धांजलि भी दी।
निधि के पोस्ट को लेकर सोशल मीडिया पर कई लोगों ने एनडीटीवी से पूछा कि क्या वह अपने कर्मचारी के विचार से सहमत हैं? फेसबुक पर किए गए उनके पोस्ट को ट्विटर पर स्क्रीनशॉट डालते हुए लोगों ने उनकी कड़ी निंदा की।