Thursday, May 9, 2024

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लिबरल गिरोह

ध्रुव राठी, आकाश बनर्जी, पीईंग हृयूमन, कुणाल कामरा… तुम करो तो प्यार-व्यार, हम करें तो…

वामपंथियों की पैदल सेना में सबसे ज्यादा लोग दिल्ली जैसी जगहों के कॉलेजों के नए बच्चे होते हैं। व्यवस्थित तरीके से उनके दिमाग में झूठ का सहारा ले कर खास धर्म और विचार के खिलाफ जहर भरा जाता है। रवीश और केजरीवाल से ले कर कामरा, राठी, बनर्जी, पीईंग ह्यूमन आदि इसकी पूरी योजना बनाते हैं।

धोखा, बेशर्म, पाखंड… विलाप कर रहे लिबरल गैंग की बहुत बुरी जली, शब्दों से दे रहे खुद को तसल्ली

"6 साल पहले राहुल गाँधी के कॉन्ग्रेस उपाध्यक्ष बनने से पहले उनकी माँ ने उन्हें चेतावनी दी थी कि 'पवार ज़हर हैं'। लेकिन, राहुल ने उनकी चेतावनी को ठीक से न समझते हुए 'पावर ज़हर है' पर भाषण दिया। लेकिन, अब उन्हें पता चल गया होगा कि..."

सुप्रीम कोर्ट पहुँची ऑपइंडिया की रिपोर्ट: लिबरल्स को आया रोना, सोशल मीडिया पर मचाया हाय-तौबा

मीडिया के इस वर्ग की सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि इसके लोग अपने से भिन्न विचार वाले इंसान को देखना तक नहीं चाहते। इनके मुताबिक मुख्यधारा की चर्चाओं में एक आम नागरिक के लिए कोई जगह नहीं है, चर्चा का यह मंच सिर्फ और सिर्फ इलीट क्लब के लोगों का एकाधिकार है। यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट में ऑपइंडिया की खबर का ज़िक्र हुआ- यह सुनकर उनके कान खड़े हो गए।

अयोध्या: लिबरल गैंग का छलका दर्द, कहा- SC के फ़ैसले ने VHP को किया पुरस्कृत

फासिस्ट फकीरा ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को 'न्याय' न बताकर 'निर्णय' करार दिया और लिखा कि INDIA को आज आधिकारिक रूप से HINDU REPUBLIC घोषित किया गया है।

रोहिंग्या से नेहरू तक, Howdy Modi पर लोगों ने अर्बन नक्सलियों के कुतर्कों को एक-एक कर काटा

अनैतिक मार्केटिंग के तीन “सी” (Convince, Confuse और Corrupt) का इस्तेमाल करने की पुरजोर कोशिश की गई और किसी तरह से Howdy Modi से कुछ अच्छा न निकल जाए, ये प्रयास हुआ। थोड़ी सी फजीहत पर जो मान जाए वो लिबटार्ड कैसा? इसलिए इतनी बेइज्जती पर उनका मन नहीं भरा।

शरद पवार लिबरल हिप्पोक्रेसी का नया नमूना, ब्रोकन चेयर ले जाकर कोई दिखाए पाकिस्तान की बर्बरता

मजहब को टोपी-चादर के नाम पर लुभाने की राजनीति अब देश की सरकार को झूठा बता पाकिस्तानी प्रोपगेंडा को हवा देने तक पहुॅंच गई है। ऐसे लोगों को न तो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद दिखाई दे रहा और न ही बलूचिस्तान का नरसंहार। पूरा का पूरा लिबरल गिरोह और मानवाधिकार के कथित पैरोकार मौन हैं।

रोमिला थापर जी, सीवी न सही सुरख़ाब के जो पर लगे हैं आप पर वही दिखा दीजिए हमें…

आखिर रोमिला थापर से सीवी क्यों न माँगी जाए? इसे ऐसे क्यों दिखाया जा रहा है कि विश्वविद्यालय ने रोमिला थापर के ऊपर कोई परमाणु हथियार डेटोनेट कर दिया है? लिबरपंथी और वामपंथी क्षुब्ध क्यों हैं? एक कागज का टुकड़ा माँगने पर इसे अपने सम्मान पर लेने जैसी कौन सी बात हो गई?

बुद्धिजीवी की बुद्धि की भुर्जी: जब अपशब्दों के बुलबुले उठने लगें, तेल निकल कर अलग होने लगे तो…

भुर्जी बनाने के लिए पहले बुद्धिजीवी की किसी बात का एक छोर पकड़ लें। फिर उसको खींचना शुरू करें। जब बुद्धिजीवी के साथ उसके नाते-रिश्तेदार और खानदान भी उछलता दिखने लगे तब बीच-बीच में एक दो ट्वीट छोड़ते हुए धीरे-धीरे बुद्धिजीवी को पकने दें, आप देखेंगे कि वह गर्म हो रहा है। उसकी बातों में आपको भाप उड़ती हुई साफ़ दिखने लगेगी।

Animal Lover सोनम कपूर को क्यों कह रहे हैं लोग फर्जी एक्टिविस्ट?

इन तस्वीरों में सोनम कपूर के हाथों में एक पर्स (हैंड बैग) नजर आ रहा है और इसके साथ ही उन्होंने तस्वीर में इस्तेमाल किए गए सभी ब्रांड्स के नाम भी Tag किए हैं। यह हैण्ड बैग साँप या अजगर की खाल जैसा नजर आ रहा है।

‘फासीवादी, उनके हाथ खून से सने’ – अरुण जेटली के निधन पर लिबरपंथियों ने ऐसे मनाया जश्न!

स्व-घोषित 'उदारवादियों' और लिबरपंथियों का यह रेगुलर पैटर्न बन गया है। ये किसी भी भाजपा नेता की मृत्यु के बाद जश्न मनाते हैं। संवेदना, संस्कृति, जीवन-मरण जैसे शब्द इनकी डिक्शनरी में मानो है ही नहीं। अगर होता तो शायद ये वो नहीं होते, जो आज ये बन चुके हैं!

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