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पुस्तक समीक्षा
जब भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद को भी करनी पड़ी थी ‘घर-वापसी’… ‘क्रांतिदूतों’ की दास्ताँ की छठी क़िस्त, शुरू से अंत तक बाँधे रखती...
कानपुर में भगत सिंह को गणेश शंकर विद्यार्थी जैसा गुरु मिल चुका था, तो चंद्रशेखर आज़ाद और बटुकेश्वर दत्त जैसा साथी भी मिला था। मनीष श्रीवास्तव ने 'क्रांतिदूत' श्रृंखला की 'घर वापसी' में बताई है सारी कहानी।
‘नेशनल कॉलेज’ और भगत सिंह के राजनीतिक गुरु: ‘पगड़ी सँभाल ओ जट्टा’ के पीछे की कहानी कहता है ‘क्रांतिदूत’ का 5वाँ भाग ‘बसंती चोला’
महाराजा रणजीत सिंह की सेना में भगत सिंह के पूर्वज खालसा सरदार थे। 'नेशनल कॉलेज' में गुलामी की ज़ंजीरें मुक्त करने के विचारों की शिक्षा दी जा रही थी।
महाराष्ट्र के छोटे से गाँव से लेकर लंदन तक, वीर सावरकर ने कैसे खड़ी की क्रांतिदूतों की विशाल सेना: पुनः राष्ट्रवाद की अलख जगाती...
'मित्रमेला' वीर सावरकर के द्वारा बनाया गया संगठन था, जो कि विभिन्न सांस्कृतिक, सामाजिक व देशभक्ति से संबंधित आयोजन करता था। कई क्रांतिदूत इससे जुड़े।
मरते हुए पल्लव राजा के दो अधूरे स्वप्न.. पुल्लालूर में भव्य मंदिर… अंग्रेजों-मुगलों नहीं, 7वीं शताब्दी में वातापी के युद्ध पर अरुण कृष्णन की...
बात ये है कि वामपंथी इतिहासकारों और उपन्यास लेखकों ने कभी भारतीय इतिहास को छुआ ही नहीं। अंग्रेजों और मुगलों का गुणगान करते हुए दशकों काट दिए।
अरब को जीतने वाले बप्पा रावल से लेकर औरंगजेब को हराने वाले राज सिंह तक: ओमेंद्र रत्नू की पुस्तक में हजार वर्षों का इतिहास,...
ओमेंद्र रत्नू ने 'Maharanas: A Thousand Year War For Dharma' पुस्तक लिख कर हिन्दू धर्म व राष्ट्र के लिए सराहनीय कार्य किया है। हिंदी में भी है उपलब्ध।
स्वतंत्रता सेनानियों के गुप्त प्रवास की एक गाथा, कैसे जुटाए अर्थ और अस्त्र : क्यों पढ़नी चाहिए ‘क्रांतिदूत’ की झाँसी फाइल्स
काकोरी कांड के बाद जिस तरह अंग्रेजी पुलिस क्रांतिकारियों की तलाश में कुत्तों की तरह घूम रही है। ऐसे में इनका सुरक्षित और गुप्त रहना ज़रूरी था।
क्या विभाजन की विचारधारा आज भी जिन्दा है: अजीत भारती और संजय दीक्षित के बीच बातचीत
संजय दीक्षित की पुस्तक 'Nullifying article 370 and enacting CAA' पर अजीत भारती और संजय दीक्षित के बीच भारत में रह रहे कथित अल्पसंख्यकों के विभाजन की विचारधारा पर बातचीत हुई।
90 के हिन्दू नरसंहार से एयर स्ट्राइक, प्रेम, कौम और राजनीति तक, ‘बाला सेक्टर’ में सब दर्ज हैं
'बाला सेक्टर' उसी 1990 के भयानक रक्तपात से शुरू होती है। जेहादियों के दल ने अपने ही रक्षक को कैसे मौत के घाट उतारा.. ये सब आपको पहले ही खण्ड में मिल जाएगा।
मैं मुन्ना हूँ: कहानी उस बच्चे की जो कभी अंधेरी कोठरी में दाखिल होकर अपनी आँखें मूँद उजाले की कल्पना में लीन हो गया...
उपन्यास के नायक मुन्ना की कहानी आरंभ होती है उसके श्रापित बचपन से जहाँ वह शारीरिक, मानसिक झंझावतों से जूझता किशोरवय के अल्हड़पन को पार कर प्रेम की अनकही गुत्थियों को सुलझाता जीवन यात्रा में आगे बढ़ता रहा।
मैं मुन्ना हूँ: उपन्यास पर मसान फिल्म के निर्माता मनीष मुंद्रा ने स्कैच के जरिए रखी अपनी कहानी
मसान और आँखों देखी फिल्मों के प्रोड्यूसर मनीष मुंद्रा, जो राष्ट्रीय पुरुस्कार प्राप्त निर्माता निर्देशक हैं, ने 'मैं मुन्ना हूँ' उपन्यास को लेकर एक स्केच बना कर ट्विटर किया है।