शाहीन बाग़ ने अपने चहेते मीडियाकारों के साथ मिलकर रोज थोड़ा-थोड़ा प्रयासों से दिल्ली में हिन्दुओं के खिलाफ नरसंहार की तैयारियाँ शुरू की। बीस साल के दिलबर नेगी की मौत हो, चाहे आईबी अधिकारी अंकित शर्मा का चार सौ बार चाकुओं से गोदा गया शरीर हो, इस सबकी पटकथा शाहीनबाग ने ही आधार दिया इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
24 फरवरी की उस काली रात को याद कर बबीता की आवाज थम जाती है। बुजुर्ग नरेश चंद्र फूट-फूटकर रोने लगते हैं। सुधा उस वक्त को याद कर अब भी सिहरने लगती है। दंगाइयों से इन्होंने जान भले बचा ली, पर उनके दिए जख्म शायद ही भरे।
आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। कुछ ही देर पहले ताहिर ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में सरेंडर करने जा रहा था। ताहिर हुसैन पर आइबी कांस्टेबल अंकित शर्मा की हत्या में शामिल होने के साथ-साथ, हिंसा भड़काने, साजिश रचने समेत कई अन्य मामले दर्ज किए गए हैं।
वीडियो में स्पष्ट देख सकते हैं कि डीसीपी अमित शर्मा भीड़ के बीच फँसे हुए हैं, जिसके बाद कई पुलिसकर्मी वहाँ पहुँचते हैं और वो डीसीपी अमित शर्मा को पत्थरबाजों और भीड़ के चंगुल से बचाते हैं। चाँद बाग हिंसा में एसीपी अनुज भी घायल हुए थे।
विडियो में देखा जा सकता है कि पुलिस कार्रवाई के बाद वहाँ मौजूद भीड़ आगे की तरफ भागती है। तभी दूसरी ओर से आई उपद्रवियों की भारी भीड़ पुलिस पर हमला कर देती है। भीड़ में शामिल बुर्का धारी महिलाएँ भी पुलिस पर हमला करते हुए नजर आती हैं।
25 फरवरी की शाम राहुल कुछ सामान लेने घर से निकला। तभी दंगा भड़क गया। वह डरकर एक टंकी के नीचे छिप गया। लेकिन दंगाइयों ने उसे वहाँ भी नहीं छोड़ा और उसके ऊपर तेजाब से भरी बोतल फेंक दी। इससे उसका चेहरा बुरी तरह झुलस गया।
वेम्पती ने बीबीसी की योगिता लिमये की उस रिपोर्ट का भी हवाला दिया है जिसमें दिल्ली पुलिस को एकपक्षीय बताया गया है। लेकिन, उस दंगाई भीड़ का जिक्र नहीं है जिसने हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की जान ली।
ऐसा लगता है कि दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों की आड़ में अंकित शर्मा की जानबूझकर हत्या की गई। घटनाक्रम, प्रथम दृष्टया मिली जानकारी, कुछ बयान और डॉक्टरों की शुरुआत राय इसी ओर इशारा कर रहे हैं। उनकी हत्या के तार बांग्लादेशी आतंकियों से जुड़ रहे हैं।
दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगे हुए। लेकिन प्रोपेगेंडा पोर्टलों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने दंगाइयों को बचाने के लिए हिंदुओं के खिलाफ घृणा परोसी। इसका असर अब दिखने लगा है। हिंदुओं को उनकी पहचान के लिए निशाना बनाया जा रहा है।