Saturday, April 20, 2024

विषय

JNU

लाज़िम है वो NDTV नहीं देखेंगे: चैनल ने लेफ्ट को बताया JNU फसाद की जड़, वामपंथियों ने कहा- धोखा

NDTV अब भले ही वामपंथियों को ख़ुश करने के लिए भाजपा व एबीवीपी को इस हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए 1000 लेख लिखे, डैमेज हो चुका है। वो कहते हैं न, सच छिपाए नहीं छिपता। शायद एनडीटीवी पर यही कहावत फिट बैठती है। वामपंथी 'अपने' ही चैनल से निराश हैं।

JNU हमला 26/11 की तरह, गुंडों को आतंकवादी बोला जाए: ठाकरे पिता-पुत्र ने चली कॉन्ग्रेस की चाल

"इन हमलों की वजह से देश की छवि पूरी दुनिया में खराब हो रही है। इन गुंडों को आंतकवादी कहना चाहिए, क्योंकि वे भी मुँह छिपाकर ही आते हैं। इस पर तय समय के अंदर कार्रवाई होनी चाहिए, वरना विदेश के छात्र यहाँ पढ़ने नहीं आएँगे।"

JNU की जिस प्रेसिडेंट का रात में फूटा माथा, दिन में वो खुद नक़ाबपोश हमलावरों के साथ थीं – Video Viral

रात में जितना भी बवाल होता है, जितनों को चोट लगती है - सबका आरोप ABVP के ऊपर मढ़ दिया जाता है। और खुद JNUSU प्रेसिडेंट की सर फटी तस्वीर से नैरेटिव फिट भी बैठ रहा था वामपंथियों का... लेकिन ट्विस्ट आता है 2 वीडियो के जरिए। एक में भीड़ द्वारा छात्र-छात्राओं को पीटा जाना, दूसरे में मास्क पहने या मुँह ढँकी भीड़ के साथ खुद JNUSU प्रेसिडेंट का होना।

प्रशासन ने बताई JNU में हमलावरों की ‘पहचान’: विपक्ष जबरदस्ती ठहरा रहा सरकार को जिम्मेदार

पुलिस को पूरे मामले पर जानकारी दी गई। लेकिन पुलिस के घटनास्थल पर पहुँचने से पहले ही ये छात्रों का समूह अपना उत्पात मचा चुका था। कई शांत छात्रों को उनके कमरों में घुसकर मारा गया था और कई शिक्षकों पर भी हमले हुए थे। सुरक्षाकर्मियों के भी इस हमले में घायल होने की खबर है।

‘जामिया में पुलिस क्यों घुसी’ से लेकर ‘JNU में पुलिस क्यों नहीं गई’ तक: गिरोह विशेष का दोहरा रवैया

जब जामिया में पुलिस घुसी थी, तो इन्होने ही पुलिस की निंदा की थी। आज ये पूछ रहे हैं कि जेएनयू में पुलिस क्यों नहीं घुसी? कल जब वामपंथी दंगाइयों को गिरफ़्तार किया जाएगा, मीडिया उनके परिवार का इंटरव्यू लेगा और उन्हें निर्दोष बताएगा। दिल्ली पुलिस ही बलि का बकरा क्यों बने?

JNU हिंसा का इंटरनेशनल कनेक्शन, घायल छात्रा ने खोली पोल: शॉल में पत्थर छिपाए दंगाइयों ने मचाया आतंक

इंटरनेशनल नंबरों से व्हाट्सप्प ग्रुप में घुस कर ABVP के नाम पर बातचीत की गई। छात्र-छात्राओं को कॉल कर के धमकियाँ और गालियाँ दी जा रही हैं। वेलेंटिना ने बताया कि शॉल के अंदर पत्थर छिपा कर आए उपद्रवियों ने डंडों से भी हमला किया। रजिस्ट्रेशन रोकने के लिए ऐसा किया गया।

‘चल निकल दलाल… तेरी माँ की…’- रिपब्लिक भारत का रिपोर्टर देखते ही प्रदर्शनकारी ने दिखाई अपनी हकीकत

सोशल मीडिया पर वामपंथी गिरोह के लोगों द्वारा रिपब्लिक टीवी को केंद्र सरकार का गुणगान करने वाले चैनल के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। ऐसे में इस चैनल के रिपोर्टर को देखकर जेएनयू प्रदर्शनकारी के द्वारा माँ की गाली देना वामपंथियों के विरोध से ज्यादा मोदी व हिंदू घृणा दर्शाती है।

JNU में हमला कर रही नकाबपोश गुंडी ABVP कार्यकर्ता नहीं है, फैलाया जा रहा झूठ: Fact Check

क्या नकाबपोश गुंडी और शाम्भवी, दोनों एक ही हैं? सच जानने के लिए हमें दोनों तस्वीरों को बारीकी से देखना चाहिए। दोनों की शारीरिक बनावट एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है। शर्ट का चेक पैटर्न भी अलग। जूते से लेकर कलावा तक में अंतर - लेकिन प्रोपेगेंडा फैलाना ही एकमात्र काम हो तो कोई क्या करे!

500 नक्सली JNU में घुस आए थे, जान बचा कर जंगलों से भागा: BPSC अफसर की आपबीती

"...लेकिन 5 मिनट के अंदर ही ऐसा लगा कि हॉस्टल के शीशे टूट रहे हैं, मैं लॉबी में गया, देखा नकाबपोश लोग हाथों में लोहे का रॉड तथा डंडे लिए पेरियार हॉस्टल के हरेक कमरे में घुसते चले जा रहे हैं, और डंडों से बेतरतीब प्रहार करके दरवाजे और खिड़कियों को तोड़ रहे हैं।"

JNU हिंसा में वामपंथी हुए बेनकाब! एक मोबाइल नंबर, एक व्हॉट्सअप ग्रुप और कई स्क्रीनशॉट से पर्दाफाश

ABVP को बदनाम करने के लिए जिस ग्रुप चैट का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर JNU की पूर्व अध्यक्ष गीता द्वारा शेयर किया गया, उसमें कई नंबर साफ नजर आए। जब इन नंबरों की पड़ताल हुई तो एक नंबर उसमें अमन सिन्हा का निकला। अमन सिन्हा कोई और नहीं बल्कि वामपंथी है, कन्हैया से लेकर उमर खालिद और अफजल गुरु तक वो...

ताज़ा ख़बरें

प्रचलित ख़बरें

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe