Friday, April 19, 2024

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Ravish Kumar

बधाई हो रवीश जी, आज आपने विदेशियों को अंग्रेजी में बताया कि भारत नॉर्थ कोरिया बन गया है

पिछले पाँच सालों में रवीश की पूरी पत्रकारिता, सेलेक्टिव रही है। यह कह कर उन्माद फैलाने की कला सिर्फ रवीश को आती है कि जिसमें बार-बार एक समुदाय को कहा जाता है कि 'डर का माहौल है', हिन्दू तुम्हें लिंच कर रहे हैं, संभल कर रहो। भारत की स्थिति सोमालिया या नॉर्थ कोरिया से भी बदतर बताने में ये आदमी लायडिटेक्टर मशीन को भी धोखा दे देगा।

रोमिला थापर जी, सीवी न सही सुरख़ाब के जो पर लगे हैं आप पर वही दिखा दीजिए हमें…

आखिर रोमिला थापर से सीवी क्यों न माँगी जाए? इसे ऐसे क्यों दिखाया जा रहा है कि विश्वविद्यालय ने रोमिला थापर के ऊपर कोई परमाणु हथियार डेटोनेट कर दिया है? लिबरपंथी और वामपंथी क्षुब्ध क्यों हैं? एक कागज का टुकड़ा माँगने पर इसे अपने सम्मान पर लेने जैसी कौन सी बात हो गई?

मीडिया को सत्ता का गुंडा बताने वाले रवीश के 4P- प्रपंच, पाखंड, प्रोपेगेंडा, प्रलाप

रवीश कुमार ने बीजगणित के अध्याय की तरह सब कुछ अब 'मान लिया' है। इससे बड़ी हानि यह है कि वो चाहते हैं कि उनके इसी 'मान लेने' को बाकी लोग भी मान लें, जबकि उनकी यह बीजगणित एकदम ऊसर है, इससे कुछ भी सृजन नहीं हो सकता है।

‘हैकरमैन अर्थशास्त्री’ ने दी नोट छापकर जनता में बाँटने की राय, मैग्सेसे विजेता ने कहा- सहमत दद्दा

अनिंद्यो चक्रवर्ती रवीश कुमार को समझा रहे हैं कि यदि सरकार खूब सारे रुपए छापकर जनता में बाँट दे तो अर्थव्यवस्था तुरंत ठीक हो सकती है। इस पर रवीश कुमार भी अपनी सहमति दर्ज कराते नजर आए रहे हैं। बता दें कि हाल ही में रवीश कुमार को प्रतिष्ठित रैमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

घोघो रानी कित्ता पानी: सुप्रीम कोर्ट ने बता दिया हिंदी मीडिया में कूड़ा परोसने वाले कौन

आज के प्राइम टाइम में सुप्रीम कोर्ट को भी गोदी बता दिया जाना चाहिए। आज ऑड दिवस है, आज सुप्रीम कोर्ट का निर्णय घोघो रानी के मनमुताबिक़ नहीं है। ऐसा लगता है मानो खेल दिवस पर घोघो रानी खेल कर गई।

‘लोग घरों में मेरा शो नहीं देखने देते’ कहने वाले रवीश जी, लोगों को आपके बेकार शो मे रूचि नहीं रही

कुंठायुक्त विरोधाभासी रवैये की पराकाष्ठा पर टीवी फोड़ डालने की सलाह देने वाले रवीश कुमार ने इस बात पर नाराज़गी जताई कि लोग उनके शो के दौरान टीवी बंद कर देते हैं। आप ख़ुद दोनों वीडियो देखिए और सोचिए कि रवीश आख़िर चाहते क्या हैं?

मिस्टर चिदंबरम को, पूर्व गृह मंत्री, वित्त मंत्री को ऐसे उठाया CBI ने… तो? चावल के लोटे में पैर लगवाते?

अगर एनडीटीवी को सीबीआई के दीवार फाँदने पर मर्यादा और 'तेलगी को भी सम्मान से लाया गया था' याद आ रहा है तो उसे यह बात भी तो याद रखनी चाहिए पूर्व गृह मंत्री को कानून का सम्मान करते हुए, संविधान पर, कोर्ट पर, सरकारी संस्थाओं पर विश्वास दिखाते हुए, एक उदाहरण पेश करना चाहिए था।

बात रवीश कुमार के ‘सूत्रों’, ‘कई लोगों से मैंने बात की’, ‘मुझे कई मैसेज आते हैं’, वाली पत्रकारिता की

ये है वामपंथी पत्रकारिता जो खबरों को देखता नहीं, दिखाता नहीं, बल्कि खबरों को बनाता है, मेकअप करता है उनका और तब आपको गंभीर चेहरे के साथ बताता है कि भाई साहब आप देखते कहाँ हैं, रवीश का हलाल खबर शॉप यहाँ है!

रवीश जी, पत्रकार तो आप घटिया बन गए हैं, इंसानियत तो बचा लीजिए!

अनुभवी आदमी शब्दों को अपने हिसाब से लिख सकता है कि वो एक स्तर पर श्रद्धांजलि लगे, एक स्तर पर राजनैतिक समझ की परिचायक, और गहरे जाने पर वैयक्तिक घृणा से सना हुआ दस्तावेज। रवीश अनुभवी हैं, इसमें दोराय नहीं।

अलीगढ़ और रवीश: शाह ने नोचा इंटरनेट का तार, मोदी ने तोड़ा टावर, नहीं हो रहा दुखों का अंत

अलीगढ़ मुद्दे के साम्प्रदायिक न होने की वजह से अब भारत का समुदाय विशेष शर्मिंदा नहीं हैं, न ही बॉलीवुड की लम्पट हस्तियाँ शर्मिंदगी के बोझ से मेकअप पिघला पा रही हैं, न ही पत्रकारों में वो मुखरता देखने को मिल रही है कि वो अपनी बेटी से नज़रें नहीं मिला पा रहे कि वो उनके लिए कैसा समाज छोड़े जा रहे हैं।

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