विषय
swachch bharat
स्वच्छ भारत अभियान के कारण मिट्टी-पानी में प्रदूषण हुआ कम, UNICEF ने की प्रशंसा
रिपोर्ट में कहा गया है कि जो गाँव खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त नहीं हुए हैं उनका भूजल उन गाँवों से अधिक गंदा है जहाँ अब लोग खुले में शौच करने नहीं जाते।
हम किस दौर में जी रहे हैं? पैर धोकर फोटो खिंचाए जा रहे हैं! ये रहा जवाब
मोदी के ऐसे प्रतीकात्मक कार्य आपको नौटंकी ही लगेंगे क्योंकि आप न तो लोयथम रिचर्ड को जानते हैं, न ही नाइदो तनियम को। आप उन हजारों उत्तर-पूर्व के लोगों को नहीं समझ पाते, और उनकी वेशभूषा पर टिप्पणियाँ करते हुए, उसके बालों के कारण उसकी जान ले लेते हैं।
मेरे प्यारे PRIME MINISTER: खुले में शौच पर रोकथाम, स्वच्छता अभियान की मुहीम को आगे बढ़ाएगी यह फ़िल्म
ट्रेलर में एक तंज भी है, जब कन्हैया नोट को ध्यान से अपने दोस्तों को दिखाते हुए कहता है, "माँगने से कुछ नहीं होता, करने से होता है और वह सिर्फ़ एक ही आदमी कर सकता है- गाँधी जी।"
उज्जैन में स्वच्छता अभियान: बदली क्षिप्रा की तस्वीर, कचरे से रोज़गार और कमाई भी
इस परियोजना के तहत हर महीने क़रीब पाँच टन कचरे से लगभग 10 हज़ार फाइले बनाई जाएँगी। इन फाइलों को उज्जैन के स्थानीय सरकारी दफ्तरों में 8 रुपए प्रति फाइल की दर पर बेचा जाएगा।
जब सूट-बूट वाली सरकार ने आम आदमी को वो दिया जो उन्हें 50 साल पहले मिलना था
लड़कियाँ स्कूल सिर्फ इस कारण नहीं जाना चाहती हैं क्योंकि वहाँ उनके पास शौचालय जाने जैसे सुविधाएँ ही नहीं मिल पाती हैं। उन्हें उन तमाम मनोवैज्ञानिक असुविधाओं से गुजरना होता है, जिनके बारे में हम कल्पना तक नहीं कर सकते हैं।
विश्व की सबसे बड़ी सेनिटेशन योजना ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से हमें क्या मिला
साठ के दशक के आरंभिक दिनों में जब विद्याधर सूरजप्रसाद नायपॉल अपने पुरखों की भूमि भारत आए थे तब उन्हें कश्मीर से लेकर मद्रास...