पश्चिम बंगाल से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। राजधानी कोलकाता के पास के न्यू टाउन इलाके में पाथरघाटा गाँव के एक मंदिर में पुलिसकर्मियों द्वारा तोड़-फोड़ की गई है। ग्रामीणों के मुताबिक गाँव के इस मंदिर में धार्मिक समारोह के मौके पर एक लाउडस्पीकर लगाया गया था, जिसको लेकर पुलिस आपत्ति जता रही थी। इसके बाद ग्रामीणों और पुलिसकर्मियों में विवाद बढ़ गया।
आरोप है कि पुलिस ने इसके बाद मंदिर में घुसकर जमकर तोड़-फोड़ की। पुलिस की तोड़-फोड़ से नाराज ग्रामीणों ने अपना विरोध जताते हुए गाँव में घुसने के रास्ते को बंद कर दिया है और पुलिस की गाड़ियाँ भी तोड़ी हैं। विरोध में लोग सड़कों पर टायर जलाकर प्रदर्शन भी कर रहे हैं। ग्रामीणों ने टीएमसी विधायक सब्यसाची दत्ता के ख़िलाफ़ नारे भी लगाए।
लाउडस्पीकर बंद करने के बाद भी पुलिस ने की तोड़फोड़
ख़बरों के अनुसार पुलिस ने रात में इसलिए लाउडस्पीकर बजाने का विरोध किया था, क्योंकि बच्चों की परीक्षाएँ चल रहीं थी। बताया जा रहा है कि पुलिस के समझाने के बाद लोगों ने लाउडस्पीकर बंद कर दिया था। लेकिन फिर भी पुलिस ने मंदिर में घुसकर तोड़-फोड़ की।
मामले पर पुलिस का दावा है कि ग्रामीणों ने उन पर हमला किया और एक अधिकारी को घायल कर दिया। मामले को बढ़ता देख जोन-1 के जिलाधिकारी रविन्द्रनाथ बनर्जी और असिस्टेंड कमिश्नर ऑफ़ पुलिस, अनिमेश घटनास्थल पर पहुँच गए। उन्होंने कहा कि मामले की जाँच की जाएगी और दोषियों को सजा दिया जाएगा।
इससे पहले भी ऐसी घटनाएँ आ चुकी हैं सामने
यह पहला अवसर नहीं है जब ऐसी ख़बर सामने आई हो, इससे पहले 2017 में स्कूल में सरस्वती पूजा मना रहे मासूम छात्रों पर पुलिसकर्मियों ने बंदूक से हमला किया था।
2015 में भी पुलिस प्रशाासन द्वारा मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा विरोध किए जाने पर बीरभूम जिले की नलहाटी में शारदीय (नवरात्रि) दुर्गा पूजा को लगातार 3 साल तक रोका गया था। बता दें कि इसी तरह, 2017 में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार ने राज्य में दुर्गा पूजा समारोह के दौरान मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाई थी। सरकार ने मूर्ति विसर्जन इसलिए रद्द कर दिया था, क्योंकि उसी दिन मुहर्रम भी था।