इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने धर्म परिवर्तन को लेकर कल ही एक बड़ा आदेश जारी किया था। न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा था कि केवल विवाह के लिए धर्म परिवर्तन स्वीकार्य नहीं है। इसके अलावा न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि धर्म परिवर्तन का उद्देश्य अलग है, उसका विवाह से कोई सरोकार नहीं है।
अब न्यायालय के इस आदेश पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि सरकार भी ‘लव जिहाद’ के मामलों पर रोक लगाने के लिए क़ानून लेकर आएगी। इसके बाद उन्होंने कहा, “ऐसे लोगों के लिए चेतावनी है, जो अपनी पहचान छिपा कर हमारी बहनों के सम्मान के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास करते हैं।”
#WATCH Allahabad HC said religious conversion isn’t necessary for marriage. Govt will also work to curb ‘Love-Jihad’, we’ll make a law. I warn those who conceal identity & play with our sisters’ respect, if you don’t mend your ways your ‘Ram naam satya’ journey will begin: UP CM pic.twitter.com/7Ddhz15inS
— ANI UP (@ANINewsUP) October 31, 2020
जौनपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लेख करते हुए कहा, “हमने जो कहा था, वह करके दिखाया है। साथ ही यह भी कहने के लिए आए हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश दिया है शादी ब्याह के लिए धर्म परिवर्तन आवश्यक नहीं है। ऐसा नहीं किया जाना चाहिए और न ही इसे मान्यता मिलनी चाहिए। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार भी निर्णय ले रही है कि हम लव जिहाद को सख्ती से रोकने का प्रयास करेंगे।”
इस मुद्दे पर आगे बोलते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा:
“हम लव जिहाद के मामलों को रोकने के लिए एक प्रभावशाली क़ानून बनाएँगे। छद्म वेश में, चोरी-छिपे नाम बदल कर जो लोग बहन-बेटियों की इज्जत के साथ खिलवाड़ करते हैं, उनके लिए पहले से मेरी चेतावनी है। अगर वह सुधरे नहीं तो राम नाम सत्य है की यात्रा अब निकलने वाली है। हम लोग मिशन शक्ति के कार्यक्रम को इसलिए आगे बढ़ा रहे हैं। मिशन शक्ति के कार्यक्रम का मतलब है कि हम हर बेटी को, हर बहन को सुरक्षा की गारंटी देंगे। इन सारी बातों के बावजूद अगर किसी ने दुस्साहस किया तो उनके लिए ऑपरेशन शक्ति अब तैयार है। इसका उद्देश्य यही है कि हम हर हाल में लड़कियों की सुरक्षा करेंगे और उनके सम्मान की सुरक्षा करेंगे। इसके अलावा न्यायालय के आदेश का भी पालन होगा और बहन-बेटियों का सम्मान सुनिश्चित होगा।”
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने धर्म परिवर्तन और विवाह को लेकर जो अहम फैसला सुनाया था, उसके अनुसार विवाह से धर्म परिवर्तन का कोई सरोकार नहीं है। धर्म परिवर्तन करने के बाद विवाह करने वाले एक जोड़े ने संरक्षण के लिए माँग करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। इस याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने यह आदेश सुनाया था।
न्यायालय ने 2014 के नूर जहां बेगम मामले के आदेश का हवाला देते हुए आदेश सुनाया और कहा कि ऐसे मामलों में न्यायालय पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि ‘विवाह के लिए धर्म परिवर्तन मान्य नहीं हो सकता है।’
नूर जहां बेगम मामले में दायर की गई अनेक याचिकाओं में एक ही प्रश्न था, “क्या सिर्फ विवाह के लिए धर्म परिवर्तन मान्य हो सकता है?” जबकि धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को न तो उस धर्म के बारे में कोई जानकारी होती है और न आस्था/विश्वास। तमाम याचिकाओं में एक ही प्रश्न था कि लड़कियों ने मुस्लिम लड़कों के कहने पर इस्लाम धर्म कबूल किया। जबकि उन लड़कियों को न तो इस धर्म के बारे में मूलभूत जानकारी थी और न ही आस्था।