Tuesday, May 7, 2024
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आसान पिच पर लालू के माई समीकरण और तेज प्रताप का मुश्किल इम्तिहान!

बिहार विधानसभा चुनाव की सबसे दिलचस्प लड़ाई हसनपुर सीट पर है। यहाँ लालू प्रसाद यादव के माई (मुस्लिम+यादव) समीकरण और उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की परीक्षा होनी है। 73 हजार यादव और 23 हजार मुस्लिम वोटरों के साथ...

बिहार विधानसभा की 94 सीटों के लिए तीन नंवबर को वोट डाले जाएँगे। 17 जिलों की इन सीटों पर कई बड़े नाम चुनाव लड़ रहे हैं। पर इस चरण की सबसे दिलचस्प लड़ाई हसनपुर सीट पर है। यहाँ लालू प्रसाद यादव के माई (मुस्लिम+यादव) समीकरण और उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की परीक्षा होनी है।

हसनपुर विधानसभा क्षेत्र में करीब 2.91 लाख मतदाता हैं। इनमें भी 73 हजार यादव और 23 हजार मुस्लिम। कागजों पर यह सीट राजद के माई समीकरण के लिहाज से फिट है। यहाँ से जीत भी हर बार यादव उम्मीदवार की ही होती है। यही कारण है कि तेज प्रताप यादव ने अपनी पुरानी सीट महुआ छोड़कर यहाँ से मैदान में उतरने का फैसला किया।

बाढ़ से प्रभावित इस इलाके के ग्रामीण इलाकों की सड़कों की स्थिति बेहद खराब है। यहाँ तक कि निवर्तमान विधायक और जदयू के उम्मीदवार राजकुमार राय के पैतृक घर तक जाने वाली सड़क भी दुरुस्त नहीं है। तेज प्रताप यादव का दावा है कि राजकुमार राय ने लगातार 10 साल विधायक रहने के बावजूद विकास का कोई काम नहीं किया है। वे विकास करने के लिए इस सीट पर आए हैं।

प्रचार के दौरान युवाओं को लुभाने की तेज प्रताप यादव ने भरपूर कोशिश की। इसी कड़ी में वे कभी क्रिकेट खेलकर तो कभी खेतों में ट्रैक्टर चलाकर, कभी साइकिल चलाकर तो कभी लोगों के साथ सत्तू और लिट्टी चोखा खाकर और कभी बांसुरी बजाकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करते नजर आए।

लेकिन, जमीन पर तेज प्रताप के लिए राह इतनी भी आसान नहीं है। खासकर, पत्नी ऐश्वर्या के साथ हुए उनके विवाद को लेकर महिलाओं और उनके स्वजातीय मतदाताओं में भी नाराजगी दिखती है। ऑपइंडिया की टीम इस इलाके में तेज प्रताप के छोटे भाई तेजस्वी यादव की सभा के अगले दिन पहुँची थी। इससे पहले तेज प्रताप के नामांकन में भी तेजस्वी आए थे। बावजूद रोजगार और पलायन के मुद्दे पर यहाँ के चुनाव को केंद्रित करने की कोशिश में उन्हें कामयाबी नहीं मिली थी।

हसनपुर के फुल्हारा गॉंव का चुनावी मूड

ऐसे में अति पिछड़ा (77000), मल्लाह (35000), दलित व महादलित (37000), कोइरी-कुर्मी (25000) तथा सवर्ण-मारवाड़ी (21000) मतदाताओं की भूमिका निर्णायक हो जाती है। 2010 में जदयू के राजकुमार राय ने अन्य जातियों की गोलबंदी के सहारे ही राजद के माई समीकरण को ध्वस्त कर दिया था। 2015 में नीतीश कुमार के राजद के साथ चले जाने के बाद उन्होंने माई और अतिपिछड़ा समीकरण के बदौलत जीत हासिल की थी। राजकुमार राय एक बार फिर 2010 के फॉर्मूले पर समीकरण साधने में लगे हैं। इन्हीं वर्गों का हवाला देकर वे तेज प्रताप यादव को बड़े अंतर से पराजित करने का दावा करते हैं।

तेज प्रताप यादव और राजकुमार राय की सीधी टक्कर के बीच पप्पू यादव की पार्टी जाप के उम्मीदवार अर्जुन यादव और लोजपा के मनीष सहनी को मिलने वाले वोट निर्णायक रहेंगे। अर्जुन यादव ने पिछले चुनाव में निर्दलीय के तौर पर करीब 10 हजार वोट हासिल किए थे। इसी तरह मनीष सहनी के पक्ष में उनके स्वजातीय मतदाताओं और लोजपा के परपंरागत वोटरों का झुकाव भी दिखता है। यह जदयू उम्मीदवार की जीत की हैट्रिक की राह में बड़ा रोड़ा है। हालाँकि राजकुमार राय का दावा है कि मुकेश सहनी की वीआईपी के एनडीए में शामिल होने की वजह से यह वर्ग भी उनके साथ है। दिलचस्प यह है कि मनीष सहनी भी पहले वीआईपी में ही थे।

हसनपुर से जदयू के उम्मीदवार राजकुमार राय का साक्षात्कार

ऐसे में यहॉं की लड़ाई बेहद दिलचस्प दिख रही है। जैसा कि मंगलगढ़ के रामचंद्र यादव कहते हैं, “तेज प्रताप और राजकुमार में से कोई भी दो-चार हजार वोट से जीतेगा।”

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अजीत झा
अजीत झा
देसिल बयना सब जन मिट्ठा

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