Monday, December 23, 2024
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पैंडोरा पेपर्स में कॉन्ग्रेसी मंत्री और गाँधी परिवार के करीबी दोस्त का नाम, हजारों अरब डॉलर की अवैध संपत्ति से जुड़े मामलों की CBDT करेगी जाँच

पैंडोरो पेपर्स मामले में विश्व के सैकड़ों नेताओं, अरबपतियों, मशहूर हस्तियों, धार्मिक नेताओं और नशीले पदार्थों के कारोबार में शामिल लोगों के निवेशों का खुलासा किया गया है। इन निवेशों को पिछले 25 साल से हवेलियों, समुद्र तट पर बनीं विशेष संपत्तियों, नौकाओं और अन्य संपत्तियों के माध्यम से छुपाकर रखा गया था।

दुनिया भर की 14 कंपनियों से मिलीं लगभग एक करोड़ 20 लाख फाइलों की समीक्षा में सामने आया है कि गाँधी परिवार के नजदीकी और कॉन्ग्रेस के दिवंगत नेता कैप्टन सतीश शर्मा की विदेशों में कई अघोषित संपत्तियाँ हैं। ‘पैंडोरा पेपर्स’ के नाम से ‘इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स’ (सीआईजे) ने यह रिपोर्ट जारी की है, जो 117 देशों के 150 मीडिया संस्थानों के 600 पत्रकारों की मदद से तैयार की गई है। इसमें बताया गया है कि विश्व के प्रभावशाली एवं भ्रष्ट लोगों ने हजारों अरब डॉलर की अवैध संपत्ति को छुपाने के लिए विदेश में खातों का इस्तेमाल किया।

इस मामले में भारतीय नाम आने के बाद केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने सोमवार को कहा कि ‘पैंडोरा पेपर्स’ संबंधित मामले की सीबीडीटी चेयरमैन की अध्यक्षता में विभिन्न जाँच एजेंसियों का समूह जाँच करेगा। दरअसल, पैंडोरो पेपर्स मामले में विश्व के सैकड़ों नेताओं, अरबपतियों, मशहूर हस्तियों, धार्मिक नेताओं और ड्रग तस्करों के निवेशों का खुलासा किया गया है। इन निवेशों को पिछले 25 साल से हवेलियों, समुद्र तट पर बनीं विशेष संपत्तियों, नौकाओं और अन्य संपत्तियों के माध्यम से छुपाकर रखा गया था।

रिपोर्ट के अनुसार, साल 1995 में कैमेन आइलैंड पर जन जेगर्स ट्रस्ट (Jan Zegers Trust) नाम से बनाए गए संस्था में कैप्टन सतीश शर्मा के परिवार के कम-से-कम 10 सदस्य लाभार्थियों में शामिल हैं। इनमें उनकी पत्नी स्टेरे, बच्चे और नाती-पोते शामिल हैं। ट्रस्ट को बाद में न्यूजीलैंड के कानून के तहत भी पंजीकृत किया गया था।

इसके अलावा, JZ II ट्रस्ट नाम का एक और ट्रस्ट था जिसे अक्टूबर 2015 में बनाया गया था। उस समय शर्मा कॉन्ग्रेस के राज्यसभा सदस्य थे। इंडियन एक्सप्रेस की जाँच में शर्मा को उपरोक्त दो ट्रस्टों का संरक्षक और उनकी पत्नी स्टेरे को एक लाभार्थी के रूप में सूचीबद्ध पाया गया।

यह ध्यान देने योग्य है कि दिल्ली के पते पर सूचीबद्ध द कलाकर ट्रस्ट का स्वामित्व शर्मा पत्नी स्टेरे के पास है। साल 2010 के राज्यसभा नामांकन के दौरान शर्मा ने अपने हलफनामे में इसका जिक्र किया था। साल 2004 और 2010 में अपने राज्यसभा चुनावों के लिए नामांकन के दौरान शर्मा ने अपने हलफनामे में एम्स्टर्डम में स्टेरे के ‘पुश्तैनी घर’ के अलावा भारत के बाहर किसी अन्य अचल संपत्ति का कोई उल्लेख नहीं था।

रिपोर्ट में दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा गया है कि शर्मा ने तीसरे पक्ष के खातों के माध्यम से विभिन्न संस्थाओं को 0.9799 मिलियन यूरो, 0.1885 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 2 लाख सिंगापुर डॉलर का भुगतान करने के लिए सहमति दी थी।

दिल्ली के वसंत विहार स्थित जम्मू-कश्मीर बैंक के खाते में रतन चड्ढा के माध्यम से स्टेरे शर्मा को कई खेपों में लगभग 4.28 करोड़ रुपये जमा किए जाने थे। ध्यान देने वाली बात है कि चड्ढा का नाम पनामा पेपर्स में था और वह एम्स्टर्डम में रहते हैं। उन्होंने 1995 में जन जेगर्स ट्रस्ट के गठन के दौरान आवश्यक दस्तावेजों पर “गवाह” के रूप में भी हस्ताक्षर किए हैं।

गौरतलब है कि शर्मा केंद्र में कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार में केंद्रीय पेट्रोलियम और गैस मंत्री थे। नामांकन के दौरान चुनाव आयोग के इसके बारे में उन्होंने कोई घोषणा नहीं की थी। वह गाँधी परिवार की पसंद वाली दो सीटों- अमेठी और बाद में रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद बने थे।

दिवंगत शर्मा की पत्नी स्टेरे ने किसी भी गलत काम के दावों को खारिज किया और कहा कि ट्रस्टों का गठन उनके पिता द्वारा सेटलर के रूप में किया गया था। इसका उद्देश्य उनकी संपत्ति का प्रबंधन करना था, जिसमें उनके परिवार के सदस्य के शामिल थे।

पैंडोरा पेपर्स के खुलासे के अनुसार, इन गुप्त खातों के लाभार्थियों के रूप में 330 से अधिक वर्तमान और पूर्व नेताओं की पहचान की गई है। इनमें जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय, ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर, चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री आंद्रेज बाबिस, केन्या के राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा और इक्वाडोर के राष्ट्रपति गुइलेर्मो लासो के अलावा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दोनों के सहयोगी के नाम शामिल हैं। वहीं, तुर्की के कारोबारी अरमान इलिसाक और सॉफ्टवेयर निर्माता रेनॉल्ड्स एंड रेनॉल्ड्स के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी रॉबर्ट टी. ब्रोकमैन का नाम भी इसमें शामिल है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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