संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने योगेंद्र यादव को एक महीने के लिए सस्पेंड कर दिया है। SKM केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों का शीर्ष निकाय है। योगेंद्र यादव पर यह करवाई लखीमपुर खीरी हिंसा में मार डाले गए बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के घर जाने को लेकर की गई है।
इस मुलाकात के बारे में यादव ने खुद ट्विटर पर जानकारी साझा की थी। उन्होंने लिखा था, “शहीद किसान सभा से वापसी में बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के घर गए। परिवार ने हम पर गुस्सा नहीं किया। बस दुखी मन से सवाल पूछा कि क्या हम किसान नहीं हैं? हमारे बेटे का क्या कसूर था? आपके साथी ही एक्शन का रिएक्शन वाली बात क्यों कही? उनके सवाल कान में गूँज रहे हैं।”
शहीद किसान श्रद्धांजलि सभा से वापिसी में बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के घर गए। परिवार ने हम पर गुस्सा नही किया। बस दुखी मन से सवाल पूछे: क्या हम किसान नहीं? हमारे बेटे का क्या कसूर था? आपके साथी ने एक्शन रिएक्शन वाली बात क्यों कही?
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) October 12, 2021
उनके सवाल कान में गूंज रहे हैं! pic.twitter.com/q0sYAT8gV6
कहा जा रहा है कि इस ट्वीट के बाद से ही योगेंद्र यादव के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा में नाराजगी का माहौल था। उनके खिलाफ मोर्चा कार्रवाई करने की बात भी कह रहा था, लेकिन उससे पहले उन्हें माफी माँगने को भी कहा गया था। गुरुवार (21 अक्टूबर 2021) को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में योगेंद्र यादव को एक महीने के लिए सस्पेंड करने का निर्णय लिया गया।
सूत्रों के मुताबिक, पंजाब के किसानों ने बड़ी ही आक्रामकता के साथ योगेंद्र यादव पर कार्रवाई की माँग की थी। बैठक के दौरान योगेंद्र यादव ने शुभम मिश्रा परिवार से मिलने से पहले अपने सहयोगियों से सलाह न लेने के लिए माफी माँगी थी। लेकिन उन्होंने मृतक भाजपा कार्यकर्ता के परिवार से मिलने के लिए माफी नहीं माँगी। उनका कहना था कि उन्होंने संवेदना व्यक्त कर कुछ भी गलत नहीं किया।
लखीमपुर खीरी हिंसा मामला
3 अक्टूबर 2021 को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में ‘किसानों’ की एक भीड़ ने भाजपा के काफिले पर पत्थर और लाठियों से हमला किया। इसके बाद हुए हंगामे के बीच प्रदर्शनकारियों के ऊपर एक वाहन दौड़ता देखा गया। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने दो वाहनों को आग के हवाले कर दिया। लोगों को वाहन के अंदर से घसीटा और पीट-पीटकर मार डाला। हिंसा में कुल आठ लोगों की जान चली गई थी। मामले में अब तक दस गिरफ्तारियाँ हो चुकी हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतक के परिजन को 45 लाख रुपए और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था। मामले की जाँच के लिए एक सदस्यीय कमेटी भी बनाई गई है। पिछले दिनों हिंसा की जाँच कर रही SIT ने घटना में शामिल कुछ संदिग्धों की तस्वीरें जारी कर लोगों से सूचना देने की अपील भी की थी।