यूपी के गोरखपुर स्थित बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज (बीआरडी) अस्पताल में दो साल पहले ऑक्सीजन की कमी से 60 बच्चों की मौत के मामले में निलंबित डॉ कफील खान को पूरी तरह से क्लीन चिट नहीं मिली है। उन्हें गोरखपुर मेडिकल कालेज में प्रवक्ता और राजकीय चिकित्सक होते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करने का दोषी पाया गया है। वहीं अनुशासनहीनता और नियमों के उल्लंघन से संबंधित आरोपों की जाँच की जा रही है।
शासन ने डॉ कफील खान को दोषी बताए जाने के साथ ही स्पष्ट किया है कि कफील खान खुद को क्लीन चिट देने की भ्रामक व्याख्या कर रहे हैं। अभी भी उनके खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाही में अंतिम फैसला होना बाकी है। शासन का तर्क है कि अभी तक इस प्रकरण में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है इसलिए खुद को क्लीन चिट मिलने की खबर बताना गलत ही नहीं अनुशासनहीनता के दायरे में भी आता है। बता दें कि डॉ कफील खान फिलहाल जमानत पर हैं और वो अपने ट्विटर से योगी सरकार द्वारा खुद को निर्दोष करार देने का दावा कर रहे हैं।
Those parents who lost their infants are still waiting for the justice.I demand that government should apologize and give compensation to the victim families.@PTI_News @TimesNow @myogiadityanath @narendramodi @ndtv @ravishndtv @abhisar_sharma @yadavakhilesh @RahulGandhi @UN pic.twitter.com/WaTwQSCUuZ
— Dr kafeel khan (@drkafeelkhan) September 27, 2019
डॉ कफील खान पर आरोप लगा था कि मेडिकल कॉलेज में प्रवक्ता के पद पर नियुक्त होने के बाद भी उन्होंने प्राइवेट प्रैक्टिस जारी रखी और चिकित्सीय लापरवाही बरती। जाँच अधिकारी ने इस आरोप पर लिखा है कि डॉ कफील नियमों और शर्तों का उल्लंघन कर मेडिस्प्रिंग हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर रुस्तमपुर (गोरखपुर) में प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे थे। डॉ कफील खान इस आरोप पर समुचित जवाब नहीं दे सके और उन्हें आरोप में दोषी पाया गया।
इसके अलावा, कफील खान को घटना के समय मौजूद होने के बावजूद ऑक्सीजन गैस की कमी के संबंध में उच्चाधिकारियों को सूचित नहीं करने के संबंध में आरोपित किया गया था। हालाँकि, इस मामले में वो दोषी नहीं पाए गए हैं। डॉ कफील खान ने उच्चाधिकारियों से बात के संबंध में फोन कॉल डिटेल्स और 7 सिलेंडर उपलब्ध कराने के साक्ष्य प्रस्तुत किए थे।
साथ ही डॉ कफील पर बाल रोग जैसे संवेदनशील विभाग में दी जाने वाली सुविधाओं, उपचार तथा स्टाफ आदि के प्रबंधन एवं नियंत्रण संबंधी उत्तरदायित्वों का निर्वहन नहीं करने का आरोप लगा था। जाँच के दौरान यह आरोप सही नहीं पाए गए हैं।
गौरतलब है कि गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के डॉ कफील को 10 अगस्त 2017 को ऑक्सजीन की कमी की वजह से 60 बच्चों की मौत का जिम्मेदार ठहराते हुए गिरफ्तार और निलंबित किया गया था। इस कांड में कॉलेज के प्राचार्य समेत 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।