Monday, September 30, 2024
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खुद को BJP की आइटम गर्ल बताने वाले आजम खान फूट-फूटकर रोए, कहा BJP मुझे फाँसी देना चाहती है

लोकसभा चुनाव 2019 में BJP कैंडिडेट जयाप्रदा के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने पर चुनाव आयोग का बैन खत्म होने के बाद समाजवादी नेता आजम खान एक रैली के दौरान भावुक हो गए और फूट-फूटकर रोते हुए नजर आए। नम आँखों से उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन उनके समर्थकों और परिचितों को परेशान कर रहा है। रामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए आजम खान ने रोते हुए कहा, “मेरे साथ ऐसा सलूक हो रहा है, जैसे मैं दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी हूँ, देशद्रोही हूँ। सरकार का वश चले तो मुझे गोलियों से छलनी करवा दे।

आजम ने कहा, “यूपी की राजनीति में बगावत हो गई है, भाजपा नफरत फैलाने का काम कर रही है, लेकिन नफरत से कोई जिंदा नहीं रह सकता। देश में सरकार नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। सुप्रीम कोर्ट के जज जनता से इंसाफ माँग रहे हैं। जिला प्रशासन सरकार के इशारों पर काम कर रहा है। इसीलिए चुनाव आयोग से हमारी माँग है कि अर्द्धसैनिक बलों की निगरानी में रामपुर का चुनाव हो।”

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन भी उन्हें हराने की साजिश कर रहा है। जज्बातों में बहकर आजम खान ने कहा, “भाजपा ने जितना मुझे सताया है उतना किसी को नहीं सताया है। BJP भले मुझे बदनाम करे, लेकिन मैं धरती का सबसे अच्छा इन्सान हूँ।” आजम खान ने DM पर भी गंभीर आरोप लगाए, उन्होंने कहा कि DM रामपुर ने कल अधिकारियों के साथ मीटिंग की है, और कहा है कि किसी भी तरह आजम खान को चुनाव हरवाना है।

आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में चुनाव आयोग ने बड़ा कदम उठाते हुए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के चुनाव प्रचार करने पर 72 घंटे के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी जयाप्रदा के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद चुनाव आयोग ने कड़ा एक्शन लिया। साथ ही, महिला आयोग ने भी इस बात का संज्ञान लिया है।

प्रतीकों का रसूलीकरण: अगर इशरत जहां की जाँच हुई, तो साध्वी प्रज्ञा के आरोपों की जांच में दिक्कत क्या है?

रसूलीकरण वो प्रक्रिया है जिसके ज़रिये ‘परगति-शील’ गिरोह किसी एक व्यक्ति को सवालों से परे बना देते हैं। मनुष्यों में मानवीय भूलों और कमियों की संभावनाएँ हमेशा होंगी, लेकिन रसूलीकरण की प्रक्रिया, उनकी भूलों, गलतियों, कमियों पर बात करने से रोक देती है। अंग्रेजी में अक्सर इस्तेमाल होने वाली कहावत ‘सीजर्स वाइफ’ का ये अच्छा उदाहरण है। आमतौर पर जहाँ हिन्दुओं में सवाल पूछने और प्रश्न उठाने की छूट हर व्यक्ति को होती है, वहीं आयातित विचारधाराओं में ये खो जाती है। आम हिन्दुओं के लिए जनसाधारण में से किसी धोबी का मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम पर सवाल उठाना आश्चर्य का विषय नहीं होता। दूसरे लोग गुस्ताख के लिए ‘सर-तन जुदा! सर-तन जुदा!’ के नारे लगाते सड़कों पर उतर आते हैं।

याद दिला देने पर शायद इस बात पर भी ध्यान जाएगा कि Blasphemy (ब्लासफेमी) या फिर कुफ्र जैसे शब्द जहाँ दूसरी भाषाओं में होते हैं, वहीं इनके लिए हिंदी या संस्कृत में कोई समानार्थक शब्द ढूंढना नामुमकिन हो जाएगा। ऐसे किसी भाव को एक कम पढ़े-लिखे ग्रामीण हिन्दू को समझा पाना भी मुश्किल होगा। वो सामने तो आपकी बात सभ्यतावश सुन ले, लेकिन मन ही मन उसे फिर से राम और धोबी की कहानी बचपन से याद है। तथाकथित प्रगतिशील गिरोहों के लिए एक तेजपाल वाली घटना आसानी से याद आ जाती है। उनमें से कुछ मानते हैं कि तेजपाल से ‘गलती’ हो गयी। ऐसा तब है जब उन्हें खुद एक ‘गलती’ और ‘अपराध’ शब्द में अंतर साफ़-साफ पता है।

यही वजह है कि उनका पोस्टर बॉय तेजपाल एक अपराध करता है लेकिन उसका गिरोह अड़ा रहता है कि उसके पत्रकारिता में योगदान को देखते हुए उसके ‘अपराध’ क्षमा कर दिए जाएँ! यहाँ तक कि वो इसके लिए कैमरे पर आये दृश्यों को अनदेखा करने से भी नहीं चूकते। उन्हें अच्छी तरह पता है कि भारतीय कानूनों का ‘अपराध सिद्ध होने तक निर्दोष’ का सिद्धांत बलात्कार के मुकदमों में नहीं चलता। ऐसे मुकदमों में खुद को निर्दोष सिद्ध करने की जिम्मेदारी आरोपी पर होती है। पुलिस उसका अपराध सिद्ध करने के लिए बाध्य नहीं है मतलब आरोपी ‘कुछ और सिद्ध होने तक अपराधी’ है। वो भारतीय कानूनों कि ओर से आँख बंद करके, बलात्कार के आरोपी को अपराधी भी नहीं मानते।

ऐसे में दास्तानगोई से मशहूर हुए महमूद फारूकी का नाम भी याद आता है जिसे हाल ही में एक विदेशी युवती से बलात्कार का दोषी पाया गया था। उनके इंटरव्यू प्राइम टाइम पर दिखाते समय या किन्हीं आयोजनों में जनता को संबोधित करते समय ऐसे लोगों को बुलाने में कब ये गिरोह शर्माए हैं? इन्हें याद कर लेने के बाद मेजर गोगोई को भी याद कीजिये। अपनी टीम को कश्मीरियत यानी पत्थरबाजी से बचाने के लिए एक अनूठे उपाय का इस्तेमाल करते वो हाल ही में दिखे थे। उनके एक नए तरीके के इस्तेमाल के लिए जहाँ तारीफें मिली, वहीं थोड़े दिन बाद एक दूसरे मामले में अनुशासन तोड़ने के लिए उन्हें सजा भी हुई। उन्हें जबरदस्ती सजा से बचाने की कोई कोशिश नहीं हुई।

इस रसूलीकरण से मनुष्यों को सवालों से परे कर देने से किसी व्यक्ति को राष्ट्र के कानून से ऊपर उठा देने की सुविधा मिल जाती है। एक बार फिर इसका नमूना देखना हो तो हाल के #मी_टू अभियानों के बारे में सोचिये। कई मीडिया मुगलों के नाम ऐसी शर्मनाक हरकतों के लिए बरसों बाद कैसे सामने आए? तथाकथित खोजी पत्रकारिता तो भारत में भी होती ही है न? फिर ऐसा कैसे हो पाया कि दर्जन भर खोजी पत्रकार जिस दफ्तर में बैठे हों, वहीं कोई ऐसा अपराध करे और किसी को दस-बीस साल तक ऐसा होता दिखे भी नहीं? सम्पादकीय पदों पर बैठे व्यक्ति का रसूलिकरण करके इन लोगों ने मान लिया था कि ये कोई अपराध कर ही नहीं सकता। तभी ऐसा हुआ होगा कि उनका अपराध, कुकृत्य लगा ही नहीं?

बाटला हाउस एनकाउंटर में सीने पर गोली खाकर वीरगति को प्राप्त हुए एक पुलिसकर्मी पर सवाल उठाने में पिद्दी दिग्गी को कब शर्म आई थी? कौन सी माफ़ी मांगी है उसने अपनी नीचता की? पीठ पर गोली लगने की वजह से जेहादियों के हाथ मारे गए करकरे को सवालों से परे क्यों होना चाहिए? अगर इशरत जहां के आतंकियों के साथ मारे जाने पर भी जाँच आयोग बिठाए जाते हैं, तो साध्वी प्रज्ञा के आरोपों की जांच में दिक्कत क्या है? कहीं ऐसा तो नहीं कि आम हिन्दुओं के लिए मानवाधिकार होते ही नहीं? मी टू की शिकायत कोई और करे, कोई हिन्दू सन्यासिन नहीं, तभी वो शिकायत है क्या?

PM मोदी के परिजनों की तुलना आवारा पशुओं से करना कॉन्ग्रेस की जर्जर मानसिकता का प्रमाण

लोकसभा चुनाव 2019 किसी जंग के मैदान से कम नहीं। इस जंग में आए दिन ज़ुबान का बेलगाम होना मानो जैसे आम बात बन गई है। क्या बोलना है, कितना बोलना है, किसको बोलना है- इन सबका गिरता स्तर अब गर्त में जा चुका है। अपनी भड़ास निकालने के लिए प्रधानमंत्री और उस पद की गरिमा की धज्जियाँ उड़ाने में कॉन्ग्रेस ने अब कोई कसर बाक़ी नहीं छोड़ी।

कभी मोदी की माँ और पत्नी पर भद्दी टीका-टिप्पणियाँ की जाती हैं तो कभी ‘चौकीदार चोर है’ के जुमले से उनकी गरिमा को ठेस पहुँचाया जाता है। कोई उनके ‘चमकते चेहरे’ का राज़ बताता फिरता है, तो कोई उन्हें ‘सांप, बिच्छू और नीच’ तक कह डालता है। कोई उनके ‘काले से गोरे रंग’ के बारे में उल-जलूल बातें बनाता है तो कोई उन पर ‘निजी हमलों की बौछार’ करते नहीं थकता।

बड़ा ही गंभीर प्रश्न है कि आख़िर यह कैसा लोकतंत्र है, जहाँ आए दिन हमलों का शिकार केवल देश का प्रधानमंत्री ही होता रहता है?

ताज़ा मामला कॉन्ग्रेस नेता विनय कुमार का है, जिन्होंने पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर व्यक्तिगत हमला किया है। इस हमले में विनय कुमार ने उनके (पीएम मोदी और सीएम योगी) परिवार के सदस्यों की तुलना आवारा घूमते जानवरों से कर डाली। यह घटना उनके संसदीय क्षेत्र कैसरगंज का है जहाँ से वो चुनाव लड़ेंगे।

मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान कॉन्ग्रेसी नेता विनय कुमार ने कहा कि जब लोग कार में बैठकर बाहर इन आवारा जानवरों को देखते होंगे तो कहते होंगे, ‘देखो, मोदी और योगी की चाची वहाँ बैठी हैं, कुछ कहते होंगे कि उनकी बहन बैठी है, कुछ कहते होंगे कि उनके पिता बैठे हैं और कुछ कहते होंगे कि उनकी माँ वहाँ लेटी हैं’।

अभी कुछ महीने पहले की ही बात है, कॉन्ग्रेसी नेता विलासराव मुत्तेमवार ने पीएम मोदी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि ‘उनके पिता कौन हैं, ये कोई नहीं जानता’। इससे पहले अभिनेता से नेता बने राज बब्बर ने रुपए के गिरते स्तर की तुलना पीएम मोदी की माँ की उम्र से की थी। और तो और शशि थरूर ने तो पीएम मोदी को यहाँ तक कह डाला था कि, ‘उन्हें चप्पल नहीं मारी जा सकती क्योंकि वो शिवलिंग पर लिपटे बिच्छू की तरह हैं’।

इस तरह के घटिया निजी हमले आज से पहले कभी किसी प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ नहीं किए गए, फिर आज मोदी के लिए इतनी अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करना कितना जायज़ है और क्यों?

ऐसी ही घटिया टिप्पणी कर्नाटक के कॉन्ग्रेसी नेता बी नारायण राव ने पीएम मोदी को ‘नामर्द’ कहकर की थी। कॉन्ग्रेस प्रवक्ता पवन खेरा ने कहा था कि पीएम मोदी का मतलब मसूद, ओसामा, दाऊद, ISI है, जबकि यह पूरी दुनिया जानती है कि आतंकवाद का मुँहतोड़ जवाब देने में पीएम मोदी कितने सक्षम और ताक़तवर हैं। इसका अंदाज़ा तो बीते दिनों हुई एयर स्ट्राइक से ही लगाया जा सकता है।

वैश्विक स्तर पर आज भारत जो वाहवाही बटोर रहा है और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पुरस्कृत किया जा रहा है, उसका श्रेय देश के प्रधानमंत्री को न दिया जाए तो क्या ओछी और अभद्र भाषणबाज़ी करने वाले इन चाटुकारों को दिया जाए?

ऐसा प्रतीत होता है कॉन्ग्रेस और मोदी-विरोधी दल अपने ग़ुस्से पर क़ाबू पाने में पूरी तरह से असफल होते जा रहे हैं। ऐसे में उन्हें ख़ुद ही नहीं मालूम होता कि वो कब क्या कह दें। अपने बिगड़ते और कुंठित मानसिक संतुलन के चलते वो बयानबाज़ी करते समय असल मुद्दों की बात करना तो पूरी तरह से भूल ही जाते हैं लेकिन अपनी वास्तविक पहचान का खुला प्रदर्शन कर जाते हैं। इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इन विरोधियों की निराशा और हताशा अपनी सीमाओं को लाँघ चुकी है और अपनी किंकर्तव्यविमूढ़ परिस्थित से उबरने के लिए ग़लत बयानबाज़ियों और अमर्यादित टीका-टिप्पणियों के दलदल में लगातार धँसती ही जा रही है।

अब देखना होगा कि कॉन्ग्रेस और मोदी-विरोधी दल देश की जनता को भरमाने और मोदी ख़िलाफ़ उनकी बयानबाज़ी आख़िर क्या रंग लाती है। मेरा मानना है कि जनता मोदी-विरोधियों को इनकी टीका-टिप्पणियों के लिए सज़ा ज़रूर देगी, जिसके बाद ही शायद इनके बिगड़े मानसिक संतुलन का इलाज संभव हो पाएगा।

400 साहित्यकार नरेंद्र मोदी के समर्थन में, कहा अपना बहुमूल्य वोट भाजपा को दें

लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र बीते दिनों 200 से अधिक लेखकों ने मोदी सरकार के ख़िलाफ़ वोट करने की अपील जनता से की थी। अब इसके उलट करीब 400 से अधिक साहित्यकारों ने आगे आकर देशवासियों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में वोट करने की गुहार लगाई है।

नवभारत टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार भारतीय साहित्यकार संगठन ने जनता से की अपील में कहा है कि मतदाता अपना वोट को देश की अखंडता, सुरक्षा, स्वाभिमान और विकास को बनाए रखने के लिए दें।

साहित्यकारों का कहना है, “भारतीय लोकतंत्र में संविधान का महत्व सर्वोपरि है। अतः हम साहित्यकार देशवासियों से अपील करते हैं कि आप अपना बहुमूल्य वोट देश की अखंडता, सुरक्षा, स्वाभिमान, संप्रभुता, सांप्रदायिक सद्भाव, सर्वांगीण विकास आदि को बनाए रखने के लिए दें।”

गौरतलब है इससे पहले इंडियन राइटर्स फोरम की ओर से करीब 200 लेखक घृणा की राजनीति के नाम पर जनता से मोदी सरकार को वोट न देने की अपील कर चुके हैं। इस अपील को अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, गुजराती, उर्दू, बंग्ला, मलयालम, तमिल, कन्नड़, और तेलगु भाषाओं में निकाला गया था।

इस अपील में कहा गया था कि ‘हेट पॉलिटिक्स’ को वोट आउट कर दिया जाए और राष्ट्रीय एकता के लिए वोट किया जाए। हालाँकि इसमें ये कहीं भी स्पष्ट नहीं किया गया कि ‘राष्ट्रीय एकता’ को वोट करने से उनका अभिप्राय किस पार्टी को वोट देने से है लेकिन हेट पॉलिटिक्स पर इस अपील में खुलकर बात हुई थी।

वहीं हाल ही में 400 साहित्यकारों की ओर से की गई अपील में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुनिया में देश की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला, राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध और अंतिम जन तक विकास की नई धारा प्रवाहित करने वाला नेता बताया गया है।

कॉन्ग्रेस के 90 में से 40 उम्मीदवारों ने की अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा, 27 पर हैं गंभीर आरोप

राजनीति में बुरा विकल्प और बुरे में अच्छा विकल्प जैसी चर्चा नई बात नहीं हैं। हर दिन हमें देखने को मिलता है की राजनीतिक दलों के नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाते नजर आते हैं। अगर नामांकन से प्राप्त इन आंकड़ों को देखें तो छवि को बनाने और धूमिल करने के इस खेल में देश की सबसे पुरानी पार्टी, कॉन्ग्रेस सबसे आगे चल रही है। हालाँकि, भाजपा जैसे दल भी इस मामले में पीछे नहीं हैं।

इस लोकसभा चुनाव में कोई भी प्रमुख राजनीतिक दल यह दावा नहीं कर सकता है कि उसने आपराधिक छवि वाले लोगों को टिकट नहीं दिया है। कॉन्ग्रेस हो या भाजपा, दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल बड़ी संख्या में आपराधिक छवि वाले लोगों को अपना उम्मीदवार बना रहे हैं। यह मजबूरी ही हो सकती है कि राजनीतिक दलों को ऐसे उम्मीदवारों को भी अपना चेहरा बनाकर संसद भेजना होता है। हालाँकि, संविधान किसी ना किसी तरह से इन्हें ऐसा करने की मान्यता देता है। आपराधिक छवि वाले लोगों को टिकट देने में सियासी रूप से मजबूत पकड़ रखने वाले प्रमुख क्षेत्रीय दल भी पीछे नहीं हैं।

संख्या के हिसाब से लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में कॉन्ग्रेस के कुल 90 उम्मीदवारों में से 40 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्होंने अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है। यह कुल उम्मीदवारों का 44% है।

इसी क्रम में, भाजपा के कुल 97 उम्मीदवारों में 38 ने चुनाव आयोग को दिए अपने हलफनामों में अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी है। तीसरे चरण में इन दोनों प्रमुख दलों के साथ ही बहुजन समाज पार्टी के भी 11 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं CPIM के 7 उम्मीदवारों पर भी आपराधिक मामले दर्ज हैं।

SP ने 5 और ममता दीदी की तृणमूल कॉन्ग्रेस ने 4 आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया है। बता दें कि इनमें कुछ ऐसे भी उम्मीदवार हैं जिन पर हत्या, रेप और हत्या के प्रयास और ऐसे ही अन्य मामले हैं। इन मामलों में पाँच साल या इससे अधिक की सजा हो सकती है।

कॉन्ग्रेस में सर्वाधिक हैं गंभीर आपराधिक मामले वाले प्रत्याशी

कॉन्ग्रेस पार्टी में गंभीर आपराधिक मामले दर्ज होने के बावजूद टिकट पाने वाले उम्मीदवारों की संख्या भाजपा से एक अधिक होकर 27 है। भाजपा ने तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव के लिए कुल 97 में ऐसे 26 उम्मीदवारों को टिकट दिया है जिन पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं BSP के 92 में से 2 उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

शिवसेना की तरफ से घोषित 22 उम्मीदवारों में 2 दो उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। CPM ने 6, NCP ने 5, SP ने 4 और TMC ने 4 ऐसे लोगों को टिकट दिया है, जिन पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

केजरीवाल के अपमान में ट्विंकल का लड़का मैदान में, ट्विटर पर उड़ा मजाक

जनाब केजरीवाल कॉन्ग्रेस से साँठगाँठ करने के जुगाड़ में लगे हैं, पर मामला जम नहीं रहा है। जिसे लेकर सोशल मीडिया पर पहले भी उनका मखौल उड़ाया जा चुका है। काफी दिनों तक मीडिया में छाया रहा कि ‘उन्होंने तो लगभग मना कर दिया है जी।’ माहौल थोड़ा शांत हुआ ही था कि अब फिर से ट्विटर पर माहौल खुशनुमा हो चुका है।

सुपरस्टार राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया की बेटी और बॉलीवुड के ‘खिलाड़ी’ अक्षय कुमार की पत्नी एक्ट्रेस ट्विंकल खन्ना का एक ट्वीट सुर्खियों में है।

शुक्रवार को ट्विंकल खन्ना द्वारा किया गया एक ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। दरअसल, ट्विंकल ने अपने इस ट्वीट के जरिए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का मजाक उड़ाया है। उन्होंने एक तस्वीर शेयर की, जिसमें एक बच्चे ने अपने सिर पर अंडरवियर पहना हुआ है। इस फोटो को शेयर करते हुए ट्विंकल ने लिखा, ‘जब आप अरविंद केजरीवाल के सपोर्टर हैं, लेकिन आपके पास मंकी कैप नहीं है, मैं कसम खाती हूँ मैंने इसे ऐसा करने के लिए नहीं कहा।’

ट्विंकल के इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर बच्चे की तस्वीर वायरल होने लगी है। वायरल होने की एक बड़ी वजह यह भी है कि जहाँ जनता अभी केजरीवाल के अपनी कही हर बात से पलटाउ नज़ारे देख रही है, वहीं केजरी और ट्विंकल खन्ना दोनों की फैंस फॉलोइंग सोशल मीडिया पर जबरदस्त है।

एक तरफ हाल ही में #MeToo अभियान में तनुश्री दत्ता के पक्ष में बोलने वालों में सबसे आगे रहने पर ट्विंकल ने तारीफें बटोरी थीं, तो वहीं अपनी तीन किताबों से वह एक एक्टेस के साथ अब राइटर के तौर पर भी पहचानी जाती हैं। उनका जिंदगी जीने का अंदाज ही कुछ ऐसा है जो लोगों को उनकी हर बात जानने के लिए उकसाता है। वहीं जनाब केजरीवाल के क्या कहने अगर कुमार विश्वास उनके मजे न ले रहे हो तो वे ऐसा कुछ ज़रूर करते हैं जिससे जनता उनके मजे लेने लगती है।

हिन्दुओं की सबसे बड़ी समस्या: वामपंथियों, कॉन्ग्रेसियों के गुनाहों की माफ़ी माँगते रहना

चाहे साध्वी प्रज्ञा का हालिया बयान और उनका पीछे हटना हो, या फिर भाजपा को कम्यूनल कहना, हिन्दुओं को असहिष्णु कह कर देश और दुनिया में छवि खराब हुई, और इन सबको डिफ़ेंड करने में ही भाजपा की सारी ऊर्जा चली गई।

भाजपा के सर पर सम्प्रदायवाद मढ़ दिया जाता है, लेकिन याद कीजिए कि कॉन्ग्रेस के दंगाई इतिहास और वामपंथियों के आतंक के शिकार लोगों के लिए, उनके और तृणमूल के पोलिटिकल किलिंग्स पर कितनी बार माफ़ी माँगी गई? किसी ने कह दिया कि भाजपा कम्यूनल है, तो वो हो गई क्या? सिद्धू ने अपने बयान के लिए माफ़ी माँगी? मणिशंकर अय्यर ने? आज़म खान ने? राहुल गाँधी ने?

रद्द हो सकता है राहुल गाँधी का अमेठी से नामांकन-पत्र, ग़लत दस्तावेज़ जमा करने का लगा आरोप

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी का विवादों से पुराना नाता है। फ़िलहाल, राजनीतिक गलियारे से एक ऐसी ख़बर सामने आई है, जिससे उनके अमेठी से नामांकन रद्द होने तक की नौबत आ सकती है। राहुल गाँधी के वकील राहुल कौशिक ने रिटर्निंग अधिकारी से समय माँगा है। इस मामले पर अब 22 अप्रैल को कॉन्ग्रेस अध्यक्ष का पक्ष रखेंगे।

दरअसल, अमेठी में राहुल गाँधी द्वारा दाखिल किए गए नामांकन पत्र को लेकर आपत्ति दर्ज की गई है। दस्तावेज़ों में राहुल की नागरिकता और डिग्री पर सवाल खड़े किए गए हैं। इन दस्तावेज़ों में राहुल गाँधी का नाम राउल विंची लिखा पाया गया है। इसके अलावा उनके पास ब्रिटिश नागरिकता है।

आपत्ति दर्ज कराने वाले में निर्दलीय प्रत्याशी ध्रुव कौशल ने राहुल के नामांकन को रद्द करने की माँग की थी। इसमें दावा किया गया था कि राहुल ने ग़लत दस्तावेज़ जमा करके निर्वाचन अधिकारी को गुमराह करने का काम किया है।

इसके अलावा राहुल गाँधी पर यह आरोप भी है कि दस्तावेज़ों में उन्होंने अपनी इंग्लैंड की कंपनी का उल्लेख नहीं किया। साथ ही उन्होंने एफिडेविट्स में जिन कॉलेजों से पढ़ाई करने का दावा किया, उसकी वास्तविकता यह है कि उन्होंने वहाँ से पढ़ाई की ही नहीं। इस सभी दस्तावेज़ों को ग़लत साबित करने वाले वकील ने निर्वाचन अधिकारी को सभी असली दस्तावेज़ उपलब्ध कराए।

इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर यूज़र्स ने राहुल गाँधी की जमकर खिल्ली उड़ाई। ग़लत दस्तावेज़ों पर चुटकी लेते हुए एक यूज़र ने लिखा कि फँस गया पप्पू…अब होगा असली दंगल।

एक अन्य यूज़र ने लिखा कि जानबूझकर ग़लत फ़ार्म भरा होगा जिससे हार टाल सके और Victim Play करने को मिल जाए।

ट्विटर पर एक यूज़र ने सलाह देते हुए लिखा कि राहुल गाँधीजी, आपके लिए अमेठी से हटना बेहतर है, आपकी हार सुनिश्चित है!


CRPF जवान ने बचाई पीठासीन अधिकारी की जान, किसी कश्मीरी नेता ने नहीं की प्रशंसा

श्रीनगर में गुरूवार (अप्रैल 18, 2019) को सीआरपीएफ के एक जवान ने मतदान करने आए कश्मीरी चुनाव अधिकारी की जान बचाई। चुनाव प्रक्रिया के दौरान चुनाव अधिकारी अहसान-उल-हक की तबियत बिगड़ गई, उन्हें हार्ट अटैक आ गया। बटालियन 28 के कॉन्सटेबल सुरिंदर कुमार उस समय बुचपोरा के गर्ल्स स्कूल में तैनात थे, उन्होंने चुनाव अधिकारी की ये हालत देखी, जिसके बाद उन्हें प्राथमिक इलाज दिया गया मगर उनकी हालत में कोई सुधार नहीं आया, वो बेहोश हो गए।

चुनाव अधिकारी की ये हालत देखकर सुरिंदर कुमार ने तुरंत अपनी मेडिकल टीम से संपर्क किया। सीआरपीएफ के सीनियर डॉक्टर सुनीम खान ने उन्हें फोन पर निर्देश दिया, उनके निर्देशानुसार सुरिंदर ने 50 मिनट तक चेस्ट कंप्रेशन और मुँह से श्वास दिया। इस बीच सीआरपीएफ ने मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए तुरंत एम्बुलेंस भी भेज दी। जिसके बाद हसन-उल-हक को अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने बताया कि सीआरपीएफ जवान सुरिंदर कुमार और डॉक्टर सुनीम खान के समय पर उपचार करने की वजह से मरीज की जान बच गई।

इस तरह सीआरपीएफ के जवान ने पोल ड्यूटी पर तैनात एक चुनाव अधिकारी की जान बचाई, लेकिन किसी कश्मीरी नेता ने सेना का शुक्रिया अदा करने की जहमत नहीं उठाई। इस बारे में एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अगर सेना राष्ट्र-विरोधी तत्वों से छुटकारा पाने की कोशिश करती है तो उन पर अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप लगाया जाता है, लेकिन जब एक जवान ने किसी का जीवन बचाया है तो पूरा कश्मीर चुप है।

बसपा विधायक ने धमकाया: ‘दुल्हन का पता नहीं लगा तो आरोपितों की बहन-बेटियों को घर से उठा लेंगे’

राजस्थान में बसपा विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने सीकर में 4 दिन पहले अगवा हुई एक दुल्हन के मामले पर बोलते हुए भड़काऊ बयान दिया। दरअसल, बयान में राजेंद्र ने प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा, “अगर पुलिस आरोपितों का पता नहीं लगाती है तो हम आरोपितों की बहन-बेटियों को उनके घर से उठाकर ले जाएँगे।”

राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने यह बयान कलेक्टर के बंगले के पास राजपूत छात्रावास में धरने पर बैठने के दौरान दिया। राजेंद्र ने कहा कि प्रशासन ने हमसे हमारी बहन को खोजने के लिए तीन दिन का समय माँगा था, लेकिन 3 दिन बीतने के बाद भी दुल्हन का पता नहीं लग पाया है और न ही किसी आरोपित की गिरफ्तारी हुई है। गुढ़ा की माने तो अगर प्रशासन उनकी ‘बहन-बेटी’ को ढूँढने में असफल रहता है तो वह आरोपितों की बहन-बेटियों को घर से उठा लेंगे। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले राजस्थान के सीकर में राजपूट समाज की लड़की का ससुराल पहुँचने से पहले अपहरण कर लिया गया था। इस मामले ने सीकर में खूब तूल पकड़ा। जगह-जगह प्रशासन से दुल्हन को ढूँढने की और आरोपितों के गिरफ्तारी की माँग की गई।

सीकर में हुई घटना के संबंध में एसपी अमनदीप सिंह कपूर का कहना है कि उदयपुरवाटी के विधायक (राजेंद्र सिंह गुढ़ा) और समाज के अन्य लोगों से अपील है कि वे इस तरह के बयान न दें। अमनदीप की मानें तो ऐसे बयानों से गलत संदेश जाता है। उनका कहना है कि पुलिस आरोपितों को गिरफ्तार करने के बहुत नज़दीक पहुँच चुकी है। आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने 5 टीमें बनाई हैं। जिन्हें 3 राज्यों में भेजा गया है। साथ ही दुल्हन की तस्वीर 17 थानों में भेज दी गई है।

राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने अपने फेसबुक अकॉउंट पर इस धरने से संबधित पोस्ट भी लिखी है। इस पोस्ट के जरिए उन्होंने संदेश देने की कोशिश की है कि अब प्रशासन से आर-पार की लड़ाई होगी।

इस पोस्ट में राजेंद्र ने अपने समर्थकों से 11 बजे सीकर पहुँचने की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि वह सभी को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि वह अपने किसी भी भाई को कमज़ोर नहीं पड़ने देंगे। उन्होंने कहा कि आत्मसम्मान और इज्जत की इस लड़ाई के लिए वे मरने के लिए भी तैयार हैं।

इस पोस्ट में उन्होंने कहा कि अब सरकार और प्रशासन से दो-दो हाथ करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि आज 72 घण्टे होने के बाद भी प्रशासन के द्वारा कोई ठोस सकारात्मक परिणाम नहीं दिया जाना इस बात को साबित करता है कि कहीं न कहीं प्रशासन के अधिकारी अपराधियों को पकड़ने में कोताही बरत रहे हैं।

विधायक राजेंद्र ने अपनी फेसबुक पोस्ट में कहा, “मैं एक बार पुनः आप सभी को बता देना चाहता हूँ कि सीकर में नेट बन्द कर दिया गया है आप सभी मेरे इसी संदेश को मेरी स्वीकृति समझ अधिक से अधिक संख्या में आज 11 बजे सीकर पहुँचे।”