Sunday, September 29, 2024
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इटावा में उपद्रवी तत्वों ने तोड़ी बाबा साहब की प्रतिमा, इलाके में तनाव

ऐसे समय में जब बाबा भीमराव अम्बेदकर की जयंती नजदीक है, कुछ असामाजिक तत्व उन्माद फैलाने और समाज में अशांति फैलाने से बाज नहीं आते। इटावा जिले में बकेवर थाना के नोधना क्षेत्र में कुछ अराजक और असामाजिक तत्वों ने बाबा अम्बेदकर की प्रतिमा तोड़ डाली। इस घटना से इलाके में तनाव और अशांति का माहौल है। इस निंदनीय घटना की जानकारी मिलते ही आनन-फानन में प्रशासन ने नई प्रतिमा लगवाने का निर्णय लिया। इसके बाद ही लोगों का गुस्सा शांत हो पाया।

14 अप्रैल को बाबा साहब की जयंती होती है। इससे पहले ही थाना क्षेत्र में नोधना के मजरा रामनगर में अराजकतत्वों ने अम्बेदकर की प्रतिमा तोड़ दी। जानकारी मिलते ही भारी संख्या में लोग घटनास्थल पर पहुँच गए। क्षतिग्रस्त प्रतिमा को देख लोगों में आक्रोश पैदा हो गया।

सूचना मिलने पर मौके पर पहुँचकर प्रशासन ने मामले को रफा-दफा कराया। मीडिया के अनुसार जिला प्रशासन ने बाबा साहब की नई प्रतिमा लगवाने का निर्णय लिया है। इसी तरह की घटनाएँ  2017 और अप्रैल 2018 में भी देखने को मिली थीं, जब बाबा अम्बेदकर की प्रतिमा को अराजकतत्वों ने तोड़ डाला था।

इस प्रकार की हरकतें करने वाले शरारती तत्वों को ये समझना चाहिए कि बाबा साहब के कद को उनकी इस तरह की हरकतें कभी नुकसान नहीं पहुँचा पाएँगी। हाँ, प्रतिमा को नुकसान पहुँचाना सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ सकता है।

राहुल जी, रुमाल एक बार और फेर दीजिए न, लोगों में सही मैसेज जाएगा: घायल पत्रकार और राहुल का PR

बड़े-बड़े घोटालों में सफलतापूर्वक अपना नाम दर्ज कराने के बाद कॉन्ग्रेस पार्टी का इन दिनों एक नया चेहरा देखने को मिल रहा है। इस नए चेहरे में कॉन्ग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गाँधी कभी देश को जागरूक करते दिखते हैं तो कभी प्रेरणादायी भाषण देते हुए। राहुल कभी नागरिकों को मतदाता होने की ताकत याद दिलाते हैं, तो कभी समाज के सताए लोगों (विशेष रूप से पत्रकार) की मदद के लिए तत्पर रहते हैं। उनकी देश की प्रति बढ़ती निष्ठा को देखकर ऐसा लगता है जैसे वो मान चुके हैं कि इन सब चीज़ों को करने से अगस्ता वेस्टलैंड जैसे घोटालों का भार उन पर से उतर जाएगा।

जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं। राहुल की पीआर नीतियाँ और भी पारदर्शी होती जा रही है। हमेशा राफेल डील की रट्ट बाँधकर पीएम को दोषी दिखाने वाले राहुल गाँधी इन दिनों समाज के लिए खुद को मसीहा बताने में जुटे हुए हैं। क्योंकि, शायद वो अब समझ चुके हैं कि जनता को मोदी के ख़िलाफ़ भड़का कर लोकसभा में सीटें हासिल नहीं होने वाली हैं। वैसे तो 2014 के बाद से वो टुकड़े-टुकड़े गैंग के समर्थन में भी खड़े दिखाई दिए थे लेकिन अब वो मानवता का प्रत्यक्ष चेहरा बनकर उभर रहे हैं। जैसे कल (अप्रैल 4, 2019) वो वायनाड पहुँचे यहाँ पर उन्होंने और उनकी बहन प्रियंका गाँधी ने एक्सीडेंट में घायल पत्रकार की मदद की और खूब सुर्खियाँ बटोरीं। राहुल घायल पत्रकार को स्ट्रेचर पर सहारा देते हुए नज़र आए तो प्रियंका उनके जूते संभालते नज़र आईं।

जाहिर है चारों तरफ मौजूद कैमरों ने राहुल गाँधी के साथ कॉन्ग्रेस पार्टी की छवि को भी उठाया। जिसका असर कल सोशल मीडिया पर देखने को मिला। मोदी सरकार के आने के बाद जो लोग लोकतंत्र पर खतरा बता रहे थे वो कल इस घटना पर राहुल-प्रियंका के सहयोग को लोकतंत्र का और मीडिया का संरक्षक बताकर कई लोगों को संवेदनाओं के बारे में समझा रहे थे। खैर, ये पहली बार नहीं था कि राहुल ने पत्रकारों की मदद के लिए पहले से मौजूद रहे हों। इससे पहले भी एक पत्रकार की मदद करते हुए उनकी वीडियो वायरल हो चुकी है।

याद दिला दें इस वीडियो में राहुल गाँधी एक्सीडेंट में चोटिल पत्रकार को अपनी बुलेटप्रूफ गाड़ी में अपने साथ बैठाकर ले जाते नज़र आ रहे थे। इस वीडियो में राहुल पत्रकार के माथे को साफ़ करते भी दिखे। इस वीडियो को 5 सेकेंड तक देखने पर आपके भीतर खुद ही राहुल के लिए प्यार उमड़ पड़ेगा जैसे कल के बाद अभी भी उमड़ रहा होगा। लेकिन वीडियो को थोड़ा सा आगे देखने पर आपको इसकी गंभीरता का अंदाजा होगा।

दरअसल, इस वीडियो में चोटिल राजेंद्र खुद राहुल गाँधी को दुबारा से रुमाल फेरने को कहते हैं। ताकि वो उसे अपने मीडिया चैनल पर भेजकर राहुल के लिए जनमत निर्माण कर सकें।

यह नौटंकी से भरे पत्रकार की नाकामी कहिए या राहुल की गलत पीआर नीति। न राहुल को इसका फायदा पहुँचा और न ही उस पत्रकार को। क्योंकि अब पाठक खुद तय करता है कि वीडियो में निहित भावों की गंभीरता और प्रामाणिकता क्या है।

चुनाव के मद्देनजर ये सच है कि अमेठी को छोड़कर वायनाड से नामांकन करना राहुल के लिए गले में फँसी हड्डी जैसा है। उन्हें भी मालूम है कि चुनावों में भले ही उनके भाषणों और नीतियों का जादू चले न चले, लेकिन कैमरे के सही इस्तेमाल से जनता जरूर आकर्षित होती है।

लेकिन राहुल को समझने की भी जरूरत है कि अब देश की जनता इतनी जागरूक हो चुकी है कि उन्हें मालूम है विश्व भर में पीआर के क्षेत्र में संभावनाएँ ऐसे ही नहीं विकसित हुईं है। अधिकतर लोग इन दोनों घटनाओं के बारे में जानते हैं कि घटना स्थल पर राहुल की मौजूदगी और उनकी संलिप्ता इन्हीं की जनमत निर्माण नीतियों का नतीजा है।

प्रशांत किशोर ने लालू के दावे को बताया झूठा, कहा- मैंने मुँह खोला तो शर्मिंदा हो जाएँगे

लोकसभा चुनाव को लेकर जहाँ देश में राजनीतिक सरगर्मियाँ अपने चरम पर है, वहीं बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की किताब ‘गोपालगंज टू रायसीना: माइ पॉलिटिकल जर्नी’ को लेकर घमासान मचा हुआ है। इस किताब के माध्यम से कई नए खुलासे हो रहे हैं, जिससे बिहार की राजनीति में उथल-पुथल जारी है।

लालू प्रसाद ने यह पुस्तक नलिन वर्मा के साथ मिलकर लिखी है, जिसका प्रकाशन रूपा पब्लिकेशंस कर रही है। लालू ने इस किताब में दावा किया है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होने के 6 महीने बाद दोबारा से महागठबंधन में शामिल होना चाहते थे, लेकिन इसके लिए वो राजी नहीं हुए। लालू प्रसाद के साथ-साथ उनके बेटे और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी दावा किया है कि नीतीश कुमार महागठबंधन में वापस आना चाहते थे। लालू यादव ने अपनी इस आत्मकथा में दावा किया है कि नीतीश कुमार ने दोबारा महागठबंधन में शामिल होने के लिए अपने सहयोगी और जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को 5 बार उनके पास बातचीत के लिए भेजा, लेकिन उन्होंने नीतीश कुमार की महागठबंधन में दोबारा एंट्री पर इसलिए रोक लगा दिया क्योंकि नीतीश ने उनका भरोसा तोड़ दिया था और वह उन पर दोबारा विश्वास नहीं कर सकते थे।

लालू ने इस किताब में कहा है कि उन्हें नीतीश कुमार से कोई नाराजगी नहीं थी, मगर उन्हें इस बात को लेकर चिंता थी कि अगर उन्होंने प्रशांत किशोर की बात मानकर नीतीश को दोबारा महागठबंधन में शामिल कर लिया, तो बिहार की जनता इसको किस तरीके से लेगी? लालू का कहना है कि नीतीश के महागठबंधन में शामिल करने के लिए प्रशांत किशोर ने उनके बेटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से भी मुलाकात की थी और प्रशांत किशोर ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि अगर ऐसा होता है तो लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की उत्तर प्रदेश और बिहार में बड़ी जीत होगी। बीजेपी को इन दोनों राज्यों से समाप्त कर दिया जाएगा।

लालू के इस सनसनीखेज दावों को लेकर प्रशांत किशोर ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सभी दावों को पूरी तरीके से बकवास बताया है। प्रशांत किशोर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि लालू प्रसाद ने अपने आप को चर्चा में बनाए रखने के लिए एक नाकामयाब कोशिश की है। लालू के अच्छे दिन अब पीछे रह गए हैं। हालाँकि, प्रशांत किशोर ने अपने ट्वीट में यह बात स्वीकार किया है कि जदयू में शामिल होने से पहले उन्होंने लालू प्रसाद से कई बार मुलाकात की थी, लेकिन अगर उन्होंने इस बात का खुलासा कर दिया कि इस दौरान दोनों के बीच क्या-क्या बातें हुईं थी, तो इससे लालू प्रसाद यादव को काफी शर्मिंदगी महसूस होगी।

इसके साथ ही जदयू के महासचिव केसी त्यागी ने भी लालू के इन दावों का सिरे से खंडन किया है। उन्होंने कहा, “मैं जदयू के एक बड़े पदाधिकारी की हैसियत से कह सकता हूँ कि 2017 में रिश्ते बिगड़ने के बाद नीतीश ने महागठबंधन में जाने की इच्छा कभी प्रकट नहीं की। अगर उनका ऐसा इरादा होता तो इस प्रस्ताव को पार्टी में आंतरिक चर्चा के लिए जरूर लाया जाता। जदयू का राजद से अलगाव बिल्कुल स्थाई है और नीतीश कुमार भ्रष्टाचार पर समझौता करने वाले नहीं हैं। इसलिए, लालू का दावा बिल्कुल झूठा है।” गौरतलब है 2017 में तेजस्वी यादव के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ नई सरकार बना ली थी।

UPA कार्यकाल में राहुल गाँधी की संपत्ति में 1600% की वृद्धि, लेकिन मोदी कार्यकाल में ‘सिर्फ़’ 70%

राहुल गाँधी की आय को लेकर पहले भी चर्चा की जा चुकी है कि वो किस तरह से पैसा बनाते हैं। राहुल गाँधी ने न कभी नौकरी की और न ही उनका कोई बिज़नेस है जिसे उनकी आय का स्रोत मान लिया जाए। यह पाया गया कि सांसद के रूप में वेतन के अलावा, राहुल गाँधी भूमि सौदों के माध्यम से और अर्जित संपत्तियों से किराए की आय के माध्यम से भी कमा रहे थे। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इस तरह के सौदों में शामिल होने और ऐसी संपत्ति हासिल करने के लिए उन्होंने पहले पर्याप्त संसाधन कैसे हासिल किए।

राहुल गाँधी की संपत्ति 2004 में ₹55,38,123 रुपए से बढ़कर 2009 में ₹2 करोड़ और आखिरकार, 2014 में ₹9 करोड़ रूपए से अधिक हो गई। यहाँ यह भी बताना ज़रूरी है कि 2011-12 में, राहुल गाँधी आय से अधिक इनकम के एक मामले में आरोपित थे। राहुल को AJL के माध्यम से ₹155 करोड़ के मामले में, आईटी विभाग ने राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी को ₹100 करोड़ का टैक्स नोटिस भेजा था।

राहुल गाँधी ने अब वायनाड, केरल से अपना नामांकन दाखिल करते हुए चुनावी हलफ़नामा दायर किया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि वो वहाँ से भी चुनाव लड़ेंगे।

उनके नवीनतम हलफ़नामे के अनुसार, उनकी संपत्ति 5 वर्षों में ₹9.35 करोड़ से बढ़कर ₹15.88 करोड़ हो गई।

2004 से 2014 तक जब कॉन्ग्रेस सरकार सत्ता में थी तब राहुल गाँधी की संपत्ति ₹55 लाख से बढ़कर ₹9.35 करोड़ रुपए हो गई जबकि मोदी सरकार 2014 से 2019 तक सत्ता में रही, राहुल गाँधी की संपत्ति ₹9.35 करोड़ से बढ़कर ₹15.88 करोड़ हुई।

2019 के चुनावी हलफ़नामे के अनुसार राहुल गाँधी की आय ₹1.11 करोड़ है। 2012-2013 में उनकी आय
₹92.47 लाख थी।


राहुल गाँधी की सबसे कम घोषित आय वर्ष 2015-2016 में थी, जहाँ उनकी घोषित आय ₹86.56 लाख थी। दिलचस्प बात यह है कि चार्ट से यह स्पष्ट होता है कि मोदी सरकार के सत्ता में आते ही राहुल गाँधी की आय में गिरावट शुरू हो गई।

अपने 2019 के हलफ़नामे में, राहुल गाँधी ने अपनी माँ सोनिया गाँधी से ₹5 लाख का व्यक्तिगत ऋण लिया और उन पर ₹72,01,904 की देनदारी भी शेष है।

अपनी पिछली ख़बरों में, हमने यह विस्तृत रूप से बताने की कोशिश की थी कि राहुल गाँधी अपने पैसे कैसे कमाते हैं। एक सांसद का वेतन उनकी वैध आय का एकमात्र स्रोत है। हमने रिपोर्ट की थी कि कैसे वर्षों तक उनकी आय में वो गुप्त सौदे भी शामिल थे जिन पर रोक लग गई।

राहुल गाँधी संयुक्त रूप से अपनी बहन प्रियंका गाँधी वाड्रा के साथ एक फार्महाउस का मालिक है, इसके अलावा घोटाले के आरोपियों से किराए के रूप में आय अर्जित की, जो अभी भी कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा जाँच के अधीन थे।

2013 में, राहुल गाँधी और उनकी बहन, प्रियंका ने दिल्ली में अपने 4.69 एकड़ के फार्महाउस को फ़ाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज (इंडिया) लिमिटेड (FTIL) को किराए पर दे दिया, महज़ 10 महीने बाद ही नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (NSEL) को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। FTIL द्वारा प्रमोटेड कंपनी ने मानको का उल्लंघन किया था। वास्तव में, कॉन्ग्रेस सरकार ने 5 जून, 2007 की अधिसूचना के माध्यम से फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स रेगुलेशन एक्ट के प्रावधानों का अनुपालन करने से NSEL को छूट दी थी। बाद में, यह पता चला कि NSEL उन्हीं अनुबंधों पर काम करता था जिनमें छूट की शर्तों का उल्लंघन शामिल था।

FTIL ने महरौली के इंदिरा गाँधी फार्म हाउस को ₹6.7 लाख के मासिक किराए पर लेने के लिए 11 महीने के लीज समझौते पर हस्ताक्षर किए। FTIL ने राहुल और प्रियंका गाँधी को क्रमश: 20.10 लाख रुपए के दो अलग-अलग चेक की 40.20 लाख रुपए की ब्याज-मुक्त जमा राशि का भुगतान किया गया। दिलचस्प बात यह है कि ₹9 लाख संबंधी उनके चुनावी हलफ़नामे के अनुसार राहुल गाँधी ₹6.7 लाख प्रति माह की किराये की आय अर्जित कर रहे थे, वो भी तब जब फार्महाउस का किराए से मूल प्रॉपर्टी की क़ीमत महज़ कुछ रुपए ही अधिक थी।

जबकि जून 2013 में NSEL घोटाला सामने आया था, राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी वाड्रा ने जनवरी 2013 से अक्टूबर 2013 तक अपने फार्महाउस को FTIL में किराए पर दे दिया। इससे पता चलता है कि करोड़ों का घोटाला सामने आने के बाद राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी FTIL से मुनाफ़ा कमा रहे थे।

अब, राहुल गाँधी की संपत्तियों में यूपीए के तहत 1600% की वृद्धि हुई है, लेकिन मोदी सरकार के तहत ”सिर्फ़” 70% से पता चलता है कि गाँधी परिवार के बुरे दिन चल रहे हैं, सत्ता की मलाई खाने वालों ने शायद इसकी कभी कल्पना भी नहीं की होगी।

सुमित्रा महाजन ने पत्र लिखकर किया लोकसभा चुनाव लड़ने से किया इनकार

भाजपा सांसद और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने इंदौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। यह घोषणा उन्होंने एक पत्र के माध्यम से की है।

पार्टी अपना निर्णय मुक्त होकर नि:संकोच मन से करे

सुमित्रा महाजन ने पत्र में लिखा है, “भाजपा ने अभी तक इंदौर से लोकसभा के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, संभव है कि पार्टी निर्णय लेने में कुछ संकोच कर रही है। हालाँकि, मैंने पार्टी के नेताओं पर ही इस बारे में निर्णय छोड़ा था। लेकिन उनके मन में कुछ असमंजस है। इसलिए मैं यह घोषणा करती हूँ कि मुझे लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना है। अब पार्टी अपना निर्णय मुक्त होकर और नि:संकोच मन से करे। इंदौर के लोगों ने अभी तक मुझे जो प्रेम दिया और भाजपा के कार्यकर्ताओं की मैं दिल से आभारी हूँ।

पत्र की कॉपी

लगातार 8 बार जीत चुकी हैं चुनाव

सुमित्रा महाजन की इस घोषणा के बाद भाजपा किसे इंदौर लोकसभा सीट से मैदान में उतारेगी इस पर अब भी असमंजस बरकरार है। सुमित्रा महाजन आठ बार से लगातार जीत रहीं हैं। उन्होंने कॉन्ग्रेस दिग्गज नेता प्रकाशचंद्र सेठी को हराकर यह सीट जीती थी, कॉन्ग्रेस नेता सेठी देश के गृह मंत्री रह चुके थे और उनकी गिनती उस समय कॉन्ग्रेस के बड़े नेताओं में होती थी। हालाँकि, मीडिया में चर्चा थी की सुमित्रा महाजन नौंवी बार भी चुनाव लड़ने के मूड में थी लेकिन सुमित्रा महाजन ने आज पार्टी को पात्र लिखकर इन अफवाहों पर विराम लगा दिया है। पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त सुमित्रा महाजन ने संकेत दिए थे कि 2014 का चुनाव उनका आखिरी चुनाव होगा।

शादी के कार्ड पर लिखा ‘Vote For BJP’, आचार संहिता के उल्लंघन में दूल्हा हुआ गिरफ्तार

‘मेरे निकाह में कोई तोहफा मत दीजिए, मगर सुनहरे कल के लिए डॉ. सुजयदादा विखे पाटील (अहमदनगर से भाजपा उम्मीदवार) को वोट जरूर दीजिए।’

महाराष्ट्र के पारनेर तहसील के निघोज गाँव के फिरोज शेख को शादी के कार्ड में ये अपील करनी महँगी पड़ गई। इस अपील करने के कारण उन पर आचार संहिता का मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।

कुछ घंटे बाद जमानत मिल गई

SDM और सहायक चुनाव अधिकारी विशाल तानपुरे के निर्देश पर पुलिस अधिकारी शान मोहम्मद शेख ने फिरोज के खिलाफ पारनेर पुलिस थाने में आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज किया। पुलिस ने फिरोज को गिरफ्तार किया। हालाँकि, बाद में कोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा भी कर दिया है।

शादी में निमंत्रण के साथ करते थे भाजपा को वोट देने की अपील

कार्ड के कार्ड की तस्वीर , साभार – सोशल मीडिया

रिटायर पोस्टमास्टर अलाउद्दीन शेख के बेटे फिरोज का निकाह 31 मार्च को हुआ था। वे जहाँ भी शादी का कार्ड देने जाते, विखे को वोट देने की अपील करते थे। यह मामला चर्चा में आया तो चुनाव अधिकारी ने संज्ञान लिया। निकाह का आमंत्रण कार्ड विखे समर्थकों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था।

भारतीय नौसेना के लिए 6 उन्नत पनडुब्बियाँ बनाने की प्रक्रिया शुरू, मिसाइल और घातक हथियारों से रहेंगी लैस

भारत ने एक काफी महत्त्वपूर्ण सुरक्षा सौदे पर काम करना शुरू कर दिया है। इसके अंतर्गत 6 उन्नत पनडुब्बियों का निर्माण किया जाएगा, जो हाई तकनीक और आधुनिक हथियारों से लैस होगा। इन पनडुब्बियों के निर्माण पर तकरीबन ₹50,000 करोड़ की लागत आएगी।

न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय ने करीब ₹50,000 करोड़ की लागत से महत्वाकांक्षी ‘रणनीतिक साझेदारी’ मॉडल के तहत 6 एडवांस पनडुब्बियों के हासिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इन पनडुब्बियों का निर्माण पी-75 (1) प्रोजेक्ट के तहत भारतीय रक्षा निर्माण कंपनी और विदेशी पनडुब्बी निर्माता द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। इनमें एंटी-शिप क्रूज मिसाइलें और अन्य विध्वंसक हथियार भी लगाए जाएँगे।

जानकारी के मुताबिक, प्रमुख पनडुब्बी निर्माताओं को 4 हफ्ते में ‘एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट’ (ईओआई) जारी कर दिया जाएगा। इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने भारतीय और विदेशी कंपनी के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस विशाल परियोजना के क्रियान्वयन के लिए जनवरी में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने घरेलू साझेदार की पहचान की प्रक्रिया के तहत, अडाणी डिफेंस, लार्सन एंड टर्बो और सरकारी मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड समेत चुनी गई बड़ी भारतीय रक्षा कंपनियों के साथ विचार विमर्श पहले ही शुरू कर दिया है।

भारतीय नौसेना ने विदेशी और उनके भारतीय साझेदारों से अपनी पनडुब्बियों के बारे में पूरी जानकारी भेजने का आग्रह किया गया है। दरअसल, नौसेना चाहती है कि 6 नई पनडुब्बियों पर 500 किलोमीटर दूर तक मार करने वाली कम से कम 12 लैंड अटैक क्रूज मिसाइलों के अलावा एंटी शिप क्रूज मिसाइल तैनात करने की क्षमता हो। इसके साथ ही इनमें 18 भारी वजन वाले टारपीडो रखने की भी सुविधा देने का अनुरोध किया गया है। ये पनडुब्बियाँ मुंबई के मझगाँव शिपबिल्डर्स लिमिटेड के द्वारा बनाए जा रहे स्कॉर्पियन श्रेणी की पनडुब्बियों से 50 फीसदी बड़ी होंगी। फिलहाल 2 स्कॉर्पियन श्रेणी पनडुब्बियों का निर्माण पूरा हो चुका है।

निफ्टी घोटाले से जुड़े हैं कॉन्ग्रेस की घोषणापत्र समिति के तार?

कॉन्ग्रेस की घोषणापत्र समिति के एक-के-बाद एक विवाद सामने आ रहे हैं। पहले कॉन्ग्रेस की ‘न्याय’ योजना के ‘सलाहकार’ अभिजित बनर्जी ने एक टीवी डिबेट में यह कहकर मध्य वर्ग में न केवल हड़कंप मचा दिया कि इस योजना के लिए फंड टैक्स बढ़ाकर ही जुटाया जा सकता है, बल्कि वे इसके लिए मँहगाई की भी हिमायत कर आए। इसके बाद मध्यम वर्ग की दुश्चिंताओं को दूर करने की बजाय समिति सदस्य और ज्ञान आयोग से जुड़े रहे सैम पित्रोदा ने लोगों को यह लताड़ लगा दी कि इस योजना लिए यदि वे अतिरिक्त टैक्स नहीं देना चाहते तो वे स्वार्थी हैं।

अब यह सामने आ रहा है कि घोषणापत्र समिति के कथित सलाहकारों में से एक ऐसे सीईओ हैं जिनकी कम्पनी के डायरेक्टर निफ्टी से जुड़े घोटाले में सीबीआई जाँच का सामना कर रहे हैं। यही नहीं, बाजार नियामक संस्था सेबी भी उन्हें डाटा बँटवारा समझौते के उल्लंघन में कारण बताओ नोटिस जारी कर चुकी है।

अथ श्री अजय शाह-महेश व्यास कथा

टाइम्स ऑफ़ इण्डिया की इस खबर के अनुसार कॉन्ग्रेस के चुनावी घोषणापत्र के पीछे घोषित राजनेताओं की समिति के अलावा सलाहकारों की एक पूरी टोली भी थी। उन सलाहकारों में बायोकॉन की सीईओ किरण मजूमदार शॉ, आरबीआई के पूर्व प्रमुख रघुराम राजन, नीति आयोग के पूर्ववर्ती योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया जैसे बड़े नाम थे। और एक नाम महेश व्यास का  भी था- CMIE के सीईओ।


कॉन्ग्रेस के घोषणापत्र के पीछे का ‘थिंक टैंक’

CMIE की वेबसाइट पर इसके निदेशक मंडल में अजय शाह का नाम है। और बताया जा रहा है कि यही अजय शाह निफ्टी घोटाले में आयकर विभाग से लेकर सीबीआई और सेबी तक सबके रडार पर हैं। सन्डे गार्जियन ने आयकर अधिकारीयों के हवाले से दावा किया कि अजय शाह ने अपनी पत्नी सुज़न थॉमस और साली सुनीता थॉमस (जोकि निफ्टी के तत्कालीन ट्रेडिंग हेड सुप्रभात लाला की पत्नी हैं) की मदद से गुप्त जानकारी हासिल की। रिसर्च के नाम पर ली गई इस जानकारी का उपयोग OPG, Alpha Group जैसे शेयर बाजार मध्यस्थों (दलालों) की मदद से किया गया जिन्होंने इस गुप्त जानकारी की मदद से (आयकर विभाग के अनुसार) ‘अनुचित लाभ’ अर्जित किया। मामले का भंडाफोड़ करने वाले whistle-blower के अनुसार शाह का OPG इत्यादि के साथ मुनाफ़ा साझा करने का समझौता था।

अजय शाह


CMIE का रोजगार-डाटा भी संदेह के घेरे में  

CMIE के रोजगार डाटा का इस्तेमाल कॉन्ग्रेस इस दावे के साथ करती है कि मोदी के आने के बाद रोज़गार नहीं बढ़े। पर CMIE का यह डाटा कई अन्य रिपोर्टों के ठीक उलट है, जहाँ मोदी सरकार के समय में नौकरियों में इजाफा दर्ज किया गया है

ऑपइंडिया ने गत जनवरी में ही यह खुलासा किया था कि CMIE की कॉन्ग्रेस के नेताओं, खासकर पूर्व वित्त और गृह मंत्री पी चिदंबरम (जो ‘हिन्दू आतंकवाद’, ‘संघी आतंकवाद’ शब्दों के जनक माने जाते हैं), से खासी नज़दीकी है। उस समय भी हमने यही सवाल पूछा था कि कॉन्ग्रेस नेता के करीबी द्वारा जारी आँकड़े पर आधारित कॉन्ग्रेस के दावे पर किस हद तक विश्वास किया जा सकता है?

आज भी अजय शाह-महेश व्यास का गठजोड़ यह सवाल पैदा करता है कि ऐसे संदिग्ध व्यक्तियों द्वारा बनाई जा रहीं कॉन्ग्रेस की नीतियाँ कितनी कारगर होंगी?

राबड़ी देवी ने नाबालिग के साथ बलात्कार के दोषी विधायक की पत्नी के लिए माँगे वोट

बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी ने रेप के दोषी राज बल्लभ की पत्नी के लिए चुनाव प्रचार करते हुए वोट माँगे। नवादा में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए राबड़ी देवी ने कहा, “सभी लोगों से मेरी अपील रहेगी कि जिस तरह राज बल्लभ यादव जी को ये लोग फंसाए और जेल भेजे, इससे यादवों को बदनाम किया गया है।”

राबड़ी देवी नवादा में RJD प्रत्याशी और नाबालिग से रेप मामले में दोषी करार दिए गए RJD विधायक राज बल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी के पक्ष में चुनाव प्रचार करने पहुँची थी, जहाँ उन्होंने सभा में मौजूद लोगों से विभा देवी को विजयी बनाने की अपील की। राबड़ी देवी ने न्यायालय के आदेश का मजाक उड़ाते हुए यह सिद्ध करने की कोशिश की कि यादव जाति के लोग बलात्कार जैसा कुकर्म कर ही नहीं सकते। जबकि बलात्कारी मानसिकता किसी भी समुदाय अथवा जाति के व्यक्ति में हो सकती है।

लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र राबड़ी देवी ने उम्मीदवारों के लिए प्रचार संबंधी कार्य करने का बीड़ा उठाया है और इसकी शुरूआत उन्होंने नवादा से की। विभा देवी के पक्ष में मतदान की अपील करने के अलावा राबड़ी के निशाने पर गिरिराज सिंह भी रहे। संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि गिरिराज सिंह नवादा छोड़कर भाग गए हैं। ऐसा राबड़ी देवी ने इसलिए कहा क्योंकि इस बार गिरिराज सिंह नवादा से नहीं बल्कि बेगुसराय से चुनाव लड़ रहे हैं।

RJD के निलंबित विधायक राज बल्लभ के बारे में बता दें कि पिछले साल दिसंबर में, पटना की एक अदालत ने 2016 में नाबालिग से बलात्कार के मामले में राज बल्लभ यादव और चार अन्य को दोषी ठहराया था। उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO) के तहत दोषी ठहराया गया था।

यह मामला एक 15 वर्षीय छात्रा के साथ दुष्कर्म का था। बिहारशरीफ की रहने वाली छात्रा को उसकी पड़ोसी सुलेखा देवी यह कहकर अपने साथ ले गई थी कि उसे एक जन्मदिन की पार्टी में चलना है। छात्रा जब उसके साथ एक घर में पहुँची तो वहाँ कोई पार्टी नहीं चल रही थी। वहाँ विधायक राज बल्लभ मौजूद थे। ख़बर के अनुसार राज बल्लभ और सुलेखा ने एक साथ शराब पी और छात्रा को भी जबरन शराब पिलानी चाही। छात्रा ने इससे इनकार किया तो विधायक ने उसे एक पोर्न फ़िल्म दिखाते हुए कहा कि वह भी ऐसे ही करे जैसा फ़िल्म में चल रहा है। नाबालिग के साथ पूरी रात बलात्कार किया गया। यह कहना ग़लत नहीं होगा कि राबड़ी देवी ने रेप के दोषी राज बल्लभ की पत्नी के लिए वोट माँग कर अपनी ओछी और भद्दी राजनीति का प्रमाण दिया है।

भले ही राबड़ी देवी ने चुनावी मंच से अपने विरोधियों के ख़िलाफ़ बिगुल फूंका हो लेकिन रेप के दोषी राज बल्लभ के बचाव में बोले गए राबड़ी के शब्द सोशल मीडिया यूज़र्स को बिल्कुल नहीं भाए, लोगों ने खुलकर इसका विरोध किया। अपने ट्विटर हैंडल से लोगों ने राबड़ी के हिमायती रवैये की जमकर आलोचना की। एक यूज़र ने लिखा कि एक रेपिस्ट को पीड़ित के रूप में पेश किया जा रहा है, 21वीं सदी में भी हम इन दकियानूसी बातों पर यक़ीन करते रहे हैं? बिहारियों को जाति और धर्म से ऊपर ऊठकर लालू यादव को जवाब देना चाहिए, जोकि बिहार के पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण है

एक अन्य ट्वीट में राबड़ी देवी के चुनावी प्रचार का जवाब यूज़र ने कुछ इस प्रकार अंदाज़ में  थे जिसमें उन्होंने लिखा, “राज भल्ला जी से जेल में हमारे लालू जी उनसे मिले थे, R@pe का ट्रेनिंग वहीं से लिया था उन्होंने। हमारे लालू रग यादवों को शिक्षित करने में जुटे रहते हैं हमेशा, चाहे जेल में ही क्यूँ न हो”।

राबड़ी देवी के बिगड़े बोल पर किसी ने कहा कि ये नया भारत है अब जात-पात की राजनीति से काम नहीं चलेगा, तो किसी ने लिखा कि आज देश सचमुच बदल रहा है जो 72,000 में भी नहीं बिक रहा है।

दोषी के बचाव में खड़ी राबड़ी के इस प्रकार के व्यवहार पर दु:ख जताया औऱ ख़ुद के बिहारी और यादव होने पर रोष भी व्यक्त किया।

रेप के मामले में दोषी करार दिए जाने वाले राज बल्लभ के प्रति राबड़ी देवी के सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार को एक यूज़र ने शर्मिंदगी भरा करार दिया। साथ ही महिला होने के नाते रेप पीड़िता के प्रति असंवेदनशील व्यवहार निंदनीय लगा। इस पर भी लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दर्ज की।

यादवों को फँसाए और बदनाम किए जाने वाली राबड़ी की बात पर भी करार जवाब दिया गया जिसमें यूज़र ने लिखा कि लालू यादव से ज़्यादा शायद ही किसी ने यादवों को बदनाम किया हो।


ताजमहल में लगा ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

ताजमहल में पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए जाने की शर्मनाक घटना सामने आई है। ये घटना बुधवार (अप्रैल 3, 2019) की है जब ताजमहल के परिसर में शाहजहाँ के तीन दिवसीय उर्स का समापन हुआ। चादरपोशी के दौरान एक युवक ने यहाँ पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाकर माहौल को बिगाड़ने का प्रयास किया। यह नारे लगाने के बाद युवक वहाँ से फरार हो गए लेकिन किसी ने इस पूरे वाकये का वीडियो बना लिया जो कि सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हो रहा है।

खबरों के मुताबिक वीडियो देखने के बाद अधिकारियों के होश उड़ गए और सुरक्षा एजेंसियाँ सकते में आ गई। चूँकि ताज की सुरक्षा में CISF के जवान हमेशा तैनात रहते हैं, इसलिए सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ये घटना कैसे संभव हुई। एएसआई अधिकारियों ने इस मामले में कार्रवाई की बात कही है।

आगरा में ऐसी घटना पहली बार नहीं हुई है। इससे पहले भी शहर में साल 2015 में कोतवाली के फुलट्टी स्थित घने बाज़ार में एक पुराने प्याऊ की दीवार पर दो बार कोयले से ‘आईएस कमिंग सून’ लिखा गया था जिसे देखने के बाद दुकानदार खौफ़ में आ गए थे। मामले की शिकायत पुलिस से भी हुई लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की जाँच के बाद भी पता नहीं चल पाया था कि यह किसने लिखा है।

साल 2016 में भी आगरा कैंट रेलवे स्टेशन स्थित दुर्घटना राहत कार्यालय में आईएसआई कमांडर मोहम्मद मिर्जा के नाम से धमकी भरे खत भेजे गए थे। इस खत में जनकपुरी में धमाके की धमकी दी गई थी साथ ही जय अस्पताल में हुए बम धमाके का भी जिक्र था।