Wednesday, October 9, 2024
Home Blog Page 5427

समय पर होंगे लोकसभा चुनाव, तारीख़ों की घोषणा जल्द : चुनाव आयोग

भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव के चलते अटकलें लगाई जा रहीं थी कि आगामी लोकसभा चुनाव में कहीं किसी तरह का व्यवधान न उत्पन्न हो जाए। इन अटकलों पर विराम लगाते हुए चुनाव आयोग ने कहा है कि लोकसभा चुनाव अपने समय पर ही सम्पन्न होंगे और इसके लिए सभी तैयारियाँ पूरी की जा चुकी हैं।

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर संवाददाओं को यह जानकारी दी कि देश में लोकसभा चुनाव अपने समय पर ही होंगे। आयोग जल्द ही लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर देगा। इसके अलावा उन्होंने चुनाव की तारीख़ आगे बढ़ाने की संभावनाओं का खंडन किया और बताया कि उन्होंने पिछले तीन दिनों तक ज़िलों और मंडल के शीर्ष प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। बता दें कि इस बैठक में प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार भी शामिल हुए।

मुख्य चुनाव आयुक्त के नेतृत्व में निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश में चुनावी तैयारियों का जायज़ा भी लिया। साथ ही अन्य राज्यों में चुनावी तैयारियों का जायज़ा लेने का ऐलान भी किया। चुनाव आयुक्त ने बताया कि चुनाव आयोग के साथ हुई बैठक में राजनीतिक दलों ने जातीय, साम्प्रदायिक भाषणों पर रोक लगाने, चुनाव के दौरान शत प्रतिशत केन्द्रीय बलों की तैनाती करने, वोटर लिस्ट में हुई गड़बड़ियों में सुधार करने समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई।

इस पर चुनाव आयोग ने भरोसा दिलाया कि आम चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से सम्पन्न किये जाएँगे, इसके लिए आचार संहिता का कड़ाई से पालन होगा। देश में किसी भी तरह कि शिक़ायत पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। शिक़ायत के लिए लोकसभा चुनाव के दौरान समूचे देश में ‘सी-विजिल’ मोबाइल एप्लीकेशन जारी किया जाएगा, इस पर कोई भी नागरिक चुनाव से संबंधित शिक़ायत दर्ज कर सकेगा।  

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर उठने वाले सवालों के जवाब में चुनाव आयोग ने कहा कि EVM मशीन को बेवजह ही फुटबॉल बना दिया गया है। चुनाव आयुक्त ने कहा कि यदि चुनाव के परिणाम मन मुताबिक न हो तो पूरी मशीन के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिए जाते हैं जो कि ग़लत है। उन्होंने इस बात को स्पष्ट किया कि आगामी लोकसभा चुनाव EVM मशीन के माध्यम से ही सम्पन्न होंगे।

‘IAF पायलट अभिनंदन का वापस आना हमारी डिप्लोमेसी की विजय’: अमित शाह

पुलवामा अटैक के बाद भारत की एयर स्ट्राइक, फिर उसके बाद पाकिस्तान की हेकड़ी, फिर पाकिस्तान का बैकफूट पर आना। F-16 की तबाही, भारत के पायलट की कस्टडी और अब उसके सकुशल भारत लौट आने के घटनाक्रम के बीच 1 फरवरी को शुरू हुआ इंडिया टुडे कॉन्क्लेव। इस कॉन्क्लेव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भारत-पाकिस्तान से जुड़े कई अहम सवालों के साथ ही कई और जरूरी राजनीतिक सवालों के जवाब दिए। प्रस्तुत है, इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में दिए इंटरव्यू के प्रमुख अंश—-

पिछले 72 घंटे में देश ने जो देखा उससे क्या मैसेज गया? क्या अगला पुलवामा नहीं होगा?

उरी की घटना के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और अब पुलवामा की घटना के बाद एयर स्ट्राइक से इतना संदेश जरूर गया है कि अब देश में नरेंद्र मोदी की सरकार है। हम अपनी सुरक्षा के प्रति सजग हैं। हम आतंकवाद के ख़िलाफ़ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाए हुए हैं। विश्व में हमारी इतनी पहचान हो चुकी है कि विश्व हमें सुनता है। पुलवामा के बाद पाकिस्तान दुनिया में अलग-थलग पड़ा है। ये हमारी कूटनीति की विजय है। अगर अभिनंदन इतने कम समय में वापस देश आ रहे हैं तो ये भी हमारी डिप्लोमेसी की विजय है।

इमरान खान कहते हैं सुबूत दीजिए, हम बातचीत को तैयार हैं?

मुझे आश्चर्य है कि इंडिया टुडे क्यों विपक्ष भाषा बोल रहा है। मैं इतना कहता हूँ कि सुबूत की बात बाद में, पुलवामा में जो हुआ पहले उसकी निंदा तो पाकिस्तान का प्रधानमंत्री करे। दो शब्द नहीं बोले कि घटना गलत हुई है। कैसे भरोसा करें हम, मंशा नहीं देंखे हम। जो पहले सुबूत दिए हैं, पहले उस पर कार्रवाई करें पाकिस्तान।

विपक्ष सेना और स्ट्राइक पर राजनीति कर रहे हैं, येदुरप्पा ने कहा 28 में 22 सीटें बातें करने की बात की?

येदुरप्पा ने जो कहा वो उन्हें नहीं कहना चाहिए था। उन्होंने खेद भी जताया है। पर आप लोगों को मनमोहन सिंह का वो बयान नहीं दिखाई दे रहा है। जिसमें वो कहते हैं कि दोनों देशों को संयम बरतना चाहिए, दोनों देशों को पागलपन नहीं करना चाहिए। आप क्या इक्वेट कर रहे हैं, भारत और पाकिस्तान की तुलना हो ही नहीं सकती। एक आतंकवाद फैलाने वाला देश है। एक अपनी आत्मरक्षा में कार्रवाई करने वाला देश है। दोनों को एक प्लैटफॉर्म में कैसे रखा जा सकता है? मीडिया को भी ये दिखाई नहीं पड़ता और क्यों नहीं दिखाई पड़ता? पूरे 3 दिन में पाकिस्तान मीडिया के चेहरे पर मैंने हँसी देखी है तो ये 22 दलों के रेजोल्यूशन के बाद देखी है। ऐसा क्या रिजॉल्व कर दिया कि पाकिस्तान की संसद में, मीडिया में आनंद का वातावरण हैं। जब पूरा विश्व भारत के साथ है, तो यहाँ से क्यों आवाजें निकल रही हैं। हम भी विपक्ष में रहे है। लेकिन, हमने सरकार का हमेशा समर्थन किया है।

26/11 के बाद आपने भी तो फुल पेज एड निकाले थे कि अगर मजबूत सरकार चाहिए तो बीजेपी चुनें?

वो हमने चुनाव के वक्त लगवाया था। घटना के समय नहीं। और ये चुनाव में उठना भी चाहिए, क्या चुनाव में देश की सुरक्षा मुद्दा नहीं होगा? मगर जब घटना हुई तो हमने विरोध नहीं किया, हमारा इतिहास उठा के आप देख लो। हमने 1971 के वक्त क्या स्टैंड लिया था, जनसंघ का स्टैंड 1965 के युद्ध के वक्त देख लीजिए।

विपक्ष पूछता है कि सरकार से सवाल पूछना क्या ऐंटी नेशनल है? अगर पुलवामा अटैक हुआ तो क्या यह इंटेलिजेंस फेलियर नहीं था? बीजेपी और सरकार जवाब दे?

देखिए सवाल पूछने में कोई दिक्कत नहीं है। सवाल पूछने के फोरम होते हैं। पूछने का समय होता है। अभी हमारा जवाब देना भी बाकी है। वो मानते हैं कि हम जवाब देंगे ही नहीं। इसीलिए उन्होंने शुरू से ही पॉलिटिक्स शुरू कर दी। हमारा जवाब देना बाकी है। दुनिया को हमारा तथ्य बताना बाकी है। विदेश विभाग को दुनिया भर से संपर्क करना है। उस वक्त आप सवाल कर रहे हैं? और सवाल क्या कर रहे हैं वो, क्या आपके समय कोई आतंकवादी घटना नहीं हुई? और सवाल तो मैं करता हूँ कि तब आपने जवाब क्यों नहीं दिया? देश की जनता आपसे सवाल पूछती है 26/11 के बाद आपने जवाब क्यों नहीं दिया?

मनमोहन सिंह सरकार मानती थी कि एयर स्ट्राइक से पाकिस्तान नहीं बदलेगा। बातचीत का रास्ता ही ठीक है। उनका कहना है कि आपने भी तो हमला कर लिया तो कौन सा पाकिस्तान बदल गया?

तो बातचीत से भी कौन सा सुधर गया। आपने भी तो 10 साल बातचीत की, क्या एकतरफा मरते जाएँ, क्या रणनीति है ये? हो सकता है मनमोहन सिंह मुझे ज्यादा समझदार हों, मुझसे अच्छा ही सोचते होंगे देश के लिए, पर मैं नहीं समझ पाया कि एक के बाद एक घटनाएँ होती जाएँ और आप बातचीत की बात करते रहो।

बातचीत से (हल) नहीं निकलेगा, एयर स्ट्राइक से नहीं निकलेगा तो निकलेगा कैसे?

ये मुझे नहीं मालूम, मगर आतंकवाद फैलाने वाले, इन पर दबाव, खौफ बढ़ा है कि उन्हें जवाब मिलेगा, एकतरफा नहीं चलेगा। सबसे ज़्यादा आतंकवादी बीजेपी सरकार के दौरान मारे गए हैं।

इस वक्त जो सरकार चला रहे हैं, उनमें नरेंद्र मोदी हैं, अमित शाह हैं, अजीत डोवाल हैं। मगर फिर भी पाकिस्तान में हाफिज सईद, मसूद अजहर खुलेआम जिंदा घूम रहे हैं। ऐसा क्यों?

इतना किया तो ही आप लोग इतने सवाल दाग देते हो। अगर मसूद अजहर पर कुछ ज्यादा किया तो आप लोग क्या करोगे? हमने आतंकवाद को कठोरता से डील किया है। आजादी के बाद से किसी भी सरकार से ज्यादा अच्छा और कठोर रहा है हमारा रुख आतंकवाद के लिए, सबसे ज्यादा आतंकवादी हमारे समय में मारे गए हैं। और हो सकता है कि लोग पूछें कि इससे क्या हासिल हुआ? मैं यही कहना चाहता हूँ कि 20 साल से एक अघोषित युद्ध भारत से लड़ा जा रहा है। आतंकवादियों को आगे करके, ऐसे में इनको जवाब नहीं दिया जाना गलत है।

विपक्ष को लग रहा है कि ये टेंशन सब इसलिए की जा रही है कि चुनाव से पहले लोगों का ध्यान नौकरी, बिजली, सड़क, पानी जैसे मुद्दे से भटकाया जा सके? क्योंकि तीन राज्यों में बीजेपी हार गई है, इसलिए नेशनल सिक्योरिटी को मुद्दा बनाकर लोगों को भटकाया जा रहा है?

विपक्ष का क्या कहना है कि क्या पुलवामा हमने करवाया है? उसके बाद जो हुआ, उस पर सवाल उठ रहे हैं पूछने पर शाह बोले हम तारीख नहीं तय करते हमले की। सिर्फ इतना मैं मानता हूँ कि दो हमलों से उधर पूरा संदेश गया है। हमने शांति का भी मौका दिया था। मगर उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया, उस वक्त भी विपक्ष चीखा था कि क्यों पहुँच गए वहाँ? हम तो आपके बातचीत के प्लान को ही लेकर बढ़े थे, मैं मानता हूँ कि पहले एक बार शांति का प्रयास करना ठीक है, मगर जब वो सुधर ही नहीं रहे तो क्या कर सकते हैं। जवाब देना पड़ेगा और जवाब मोदी जी ने दृढ़ता से दिया है, हमारे सेना के जवानों ने प्रोफेशनली दिया है और वीरता से दिया है और ऐसे ही देंगे।

कश्मीर की समस्या को सुलझाने में पिछले 5 साल में आप ज्यादा कामयाब नहीं रहे?

कोई भी लोकतांत्रिक सरकार या दल ये नहीं मानेगा कि हथियार का उपयोग अंतिम समाधान है। मगर हथियार का उपयोग नहीं करना भी समाधान नहीं है जब सामने से हथियार का उपयोग हो रहा हो। हमें जवाब देना होगा और हम दे रहे हैं।

तो कश्मीर मुद्दा कैसे सॉल्व होगा?

ये इस शो में तो नहीं सॉल्व होगा, एक घंटे में तो नहीं होगा, जो गलतियाँ 1947 के बाद जवाहरलाल नेहरू कर गए। वो यहाँ तो सॉल्व नहीं होगी। इस प्रकार की चीजों पर चर्चा ऐसे प्रोग्रामों में नहीं हो सकती।

आपकी जो सोशल मीडिया फोर्स कहती है कि अगर आप हमारे साथ हो तो देशभक्त हो, विरोधी हो तो ऐंटी नेशनल हो?

आप एयरस्ट्राइक पर सवाल खड़ा करोगे तो देश की जनता जवाब माँगेगी, माँगना भी चाहिए, अगर किसी और पार्टी की सरकार है और वो आतंकवाद के खिलाफ स्टैंड लेती है, मैं उसकी आलोचना करता हूँ तो जनता मुझसे भी जवाब माँगेगी।

प्रियंका गांधी की एंट्री हुई, इससे उत्तर प्रदेश में फर्क पड़ेगा?

जहाँ तक मिसेज वाडरा का राजनीति में एंट्री का सवाल है। तो आपको मालूम नहीं हैं कि वो 12 साल से राजनीति में ही हैं। कई बार कैंपेनिंग कर चुकी हैं। अभी चुनाव हारने के बाद दो साल इधर-उधर बिताएँगे, बाद में कहेंगे री-एंट्री। तो आप कहते रहो। मगर इससे देश की जनता को कोई आस नहीं है। परिवारवाद के दिन समाप्त हो गए हैं।

अभिनंदन से पहले IAF के 3 पायलट भी लौट चुके हैं पाकिस्तान से, पढ़ें इनकी कहानी

भारतीय वायुसेना विंग कमांडर अभिनंदन आज (मार्च 1, 2019) स्वदेश लौट रहे हैं। यह मौक़ा जितना देश को गौरवान्वित करने वाला है उतना ही भावुक करने वाला भी है। पाकिस्तान द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद सोशल मीडिया के कारण हमें अभिनंदन की सकुशलता की ख़बरें लगातार मिल रही हैं। इससे हमारे मन में उठने वाले सवालों के जवाब के लिए हमें किसी प्रकार के माध्यम पर आश्रित नहीं रहना पड़ा।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि अभिनंदन से पहले भी भारत-पाक के युद्ध में सेना के कुछ जवान पाकिस्तान पहुँच गए थे। उस समय सोशल मीडिया के अभाव में उनकी कुशलता की सूचनाओं के लिए इंतज़ार करना पड़ता था। नवभारत टाइम्स में छपी रिपोर्ट में आज अभिनंदन की घर वापसी के मौक़े पर सेना के उन पूर्व जवानों ने अपने अनुभवों को साझा किया।

नचिकेता

1999 में नचिकेता पाक की हिरासत में 8 दिन रह चुके हैं और नचिकेता से पहले 1971 में कॉमडोर भार्गव को पाक ने 1 साल बाद छोड़ा था। इसी तरह 1965 में केसी करियप्पा पाक की हिरासत में चार महीने तक रहे।

इन तीनों मामलों में पाकिस्तान द्वारा जेनेवा संधि का उल्लंघन किया गया था। अभिनंदन की वापसी पर नचिकेता कहते हैं, “पायलट का दिल हमेशा कॉकपिट में होता है। विंग कमांडर अभिनंदन वापस आएँगे और जल्द ही कॉकपिट को लौटेंगे।” साल 2017 में भारतीय वायु सेना से रिटायर हुए नचिकेता अब बतौर कमर्शियल पायलट होकर सेवा प्रदान कर रहे हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी के साथ IAF पायलट नचिकेता

1999 में कारगिल युद्ध के दौरान फ्लाइट लेफ्टीनेंट रहे नचिकेता मिग-27 में सवार थे। जो कि क्रैश होकर पाक अधिकृत कश्मीर में जा गिरा था। नचिकेता इस घटना के दौरान पाकिस्तानी फौज पर हवा से फायर कर रहे थे। इसलिए जैसे ही वह पाक आर्मी के कब्जे में आए, उन्होंने नचिकेता को मारना शुरू कर दिया। नचिकेता ने अपने अनुभवों को शेयर करते हुए बताया कि इस दौरान उन्हें मार डालने की भी कोशिश की गई। उनकी जान एक वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी द्वारा बचाई गई थी।

नचिकेता बताते हैं कि उन्हें काफ़ी प्रताड़ित किया था लेकिन सेना में मिले प्रशिक्षण के कारण वे इतने मज़बूत थे कि उन्होंने कुछ नहीं बोला।

जे. एल. भार्गव

1971 के युद्ध में पकड़े गए फ्लाइट लेफ्टिनेंट भार्गव ने कहा कि यदि विंग कमांडर का फोटो पाकिस्तान के स्थानीय लोगों द्वारा नहीं शेयर किया जाता था तो साबित करना नामुमकिन हो जाता था कि वह पाकिस्तान में ज़िंदा गिरे थे। भार्गव अपना समय याद करते हुए बताते हैं कि वहाँ पर सोने नहीं दिया जाता, सब जानकारी माँगते रहते हैं।

वो बताते हैं कि उनके हर सवाल पर न कहना कभी-कभी बेहद मुश्किल हो जाता था। उनसे स्क्वॉड्रन के पायलट्स के बारे में पूछा जाता था और इस पर वो अपने भाई-बहन का नाम बताते थे। भार्गव बताते हैं कि एक बार जब उनसे पूछा गया कि मेरी स्क्वॉड्रन का बेस्ट पायलट कौन है, तो उन्होंने कहा कि वह आपके सामने बैठा है।

भार्गव बताते हैं कि पायलट को एक सर्वाइवर किट, एक पिस्तौल और पाकिस्तानी रुपए दिए जाते हैं। जब 5 दिसंबर 1971 को उनका HF-24 में पाक में गिरा तो उन्होंने फौरन उससे बाहर छलांग लगा ली। नीचे गिरते ही उन्होंने अपना सामान लिया और जी सूट को छिपा दिया। घड़ी को तुरंत पाकिस्तानी स्टैंडर्ड टाइम पर सेट किया। तेज बुद्धि के इस्तेमान से वह 12 घंटे तक अपने भारतीय होने की पहचान छिपाने में सफल रहे थे।

स्थानीय लोगों के पूछने पर वह सबको अपना नाम मंसूर अली बता देते थे और किसी को शक होता था तो पाकिस्तानी रुपया दिखा देते थे। इस तरह उनके 12 घंटे बीते लेकिन फिर एक पाकिस्तानी रेंजर ने उन्हें कलमा पढ़ने को बोल दिया। जब वह नहीं पढ़ पाए तो उन्हें गिरफ्तार करके पाकिस्तानी सेना को सौंप दिया।

के सी करियप्पा

1965 में एयर मार्शल के सी करियप्पा ने भी अपना समय याद करते हुए कहा कि जंग के बाद वह 4 महीने तक पाकिस्तानी सेना की कैद में रहे थे।

उन्होंने बताया कि वहाँ पर रहते हुए उन्हें हमेशा एक डर सताता रहता था। उन्हें कुछ भी नहीं बताया जाता था कि जंग चल रही है या खत्म हो गई। बता दें कि जंग के आखिरी दिन करियप्पा के जहाज को गिराया गया था जिसके बाद वह सीधे पाक सेना के बीच गिरे थे।

करियप्पा विंग कमांडर अभिनंदन के मामले में सोशल मीडिया से काफ़ी नाराज़ हैं। उनका कहना है, “विंग कमांडर ने पाकिस्तानी सेना को कुछ भी बताने से इनकार कर दिया लेकिन नेटिजन्स (इंटरनेट यूजर्स) ने सारी जानकारियाँ सार्वजनिक कर दीं।”

हालाँकि, आज सोशल मीडिया के होने से हमें अभिनंदन की पल-पल की ख़बरें मिलती रहीं लेकिन करियप्पा का मानना है कि सोशल मीडिया असंवदेनशील है और इसका असर क़ैद हुए जवान के परिवार वालों के लिए ख़तरनाक होता है।

आपकी राजनीति देश की सुरक्षा के लिए थोड़ा इंतजार भी कर सकती है: PM मोदी

कन्याकुमारी में पीएम मोदी कई प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन और शिलान्यास करने पहुँचे हैं, जहाँ वो एक जनसभा को संबोधित कर रहे हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने आतंकवाद पर बोलते हुए कहा कि साल 2004 से साल 2014 तक देश पर बहुत सारे आतंकी हमले हुए। देश को उम्मीद थी कि आतंकवाद के जिम्मेदार लोगों को सजा मिलेगी लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। 

कन्याकुमारी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने उरी और पुलवामा हमले के बदले का जिक्र किया जबकि नाम लिए बिना कॉन्ग्रेस पर भी निशाना साधा।

पीएम मोदी ने नाम न लेते हुए कॉन्ग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि साल 2008 में हुए 26/11 हमले के बाद भी कुछ नहीं हुआ, लेकिन उरी के बाद हमने देखा कि जवान क्या कर सकते हैं, पुलवामा के बाद हमने देखा कि जवानों की ताकत क्या है। उन्होंने आगे कहा कि रिपोर्ट्स की मानें तो साल 2008 में 26/11 हमले के बाद सेना सर्जिकल स्ट्राइक करना चाहती थी, लेकिन तत्काल सरकार ने रोक दिया। और अब कहते हैं कि सेना ने एयर स्ट्राइक कर दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा, “मुझे अफसोस है कि कुछ राजनीतिक दल जो कि मोदी से घृणा करते हैं, अब वो मोदी विरोध में अपने देश से ही घृणा करने लगे हैं। वो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर भी सेना और सरकार पर शक कर रहे हैं। ये वही लोग हैं जो अपने बयानों से पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं और अपने देश का नुकसान कर रहे हैं। मैं देश के इन राजनीतिक दलों से पूछना चाहता हूँ कि उन्हें हमारे जवानों पर विश्वास है या फिर आतंकवाद फैलानी वाली ताकतों पर भरोसा है। हम पहले भारतीय हैं और केवल भारतीय हैं। आपकी राजनीति देश की सुरक्षा के लिए थोड़ा इंतजार भी कर सकती है।”

पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा पायलट अभिनंदन की गिरफ्तारी पर भी नरेंद्र मोदी ने कहा, “देश को अभिनंदन पर गर्व है। आज पाकिस्तानी सेना अभिनंदन को भारत वापस भेजेगी। मुझे गर्व है कि देश की रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण और विंग कमांडर अभिनंदन दोनों ही तमिलनाडु से हैं।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कन्याकुमारी की रैली में कहा, “मैंने मदुरै से चेन्नई तक चलने वाली सबसे तेज ट्रेन तेजस को हरी झंडी दिखाई है। यह ट्रेन मेक इन इंडिया उदाहरण है। यह ट्रेन चेन्नई की कोच फैक्ट्री में बनाई गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोग ईमानदारी चाहते थे, वंशवाद नहीं। लोग विकास चाहते थे, लोग प्रगति चाहते थे, पॉलिसी पैरालिसिस नहीं।”

J&K पर अब केंद्र की चलेगी, 1954 के संवैधानिक आदेश और 2004 के अधिनियम में संशोधन

जम्मू एवं कश्मीर पर केंद्र सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कल गुरुवार (फरवरी 28, 2019) को आरक्षण संशोधन अध्यादेश 2019 को स्वीकृति प्रदान कर दी। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस बैठक में संशोधन अध्यादेश को राष्ट्रपति द्वारा जारी करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी। इसके लिए 1954 के संवैधानिक आदेश के साथ 2004 के अधिनियम में भी संशोधन करने की बात कही गई है।

जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सरकार का अहम फ़ैसला

सरकार ने कहा है कि एक बार अध्यादेश जारी होने के बाद, यह वास्तविक सीमा रेखा से सटे क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों को बराबर में लाने के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। जम्मू और कश्मीर में भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10% आरक्षण वाला प्रावधान लागू कर दिया गया।

प्रेस रिलीज (साभार: पीआईबी)

इससे जम्मू-कश्मीर के ऐसे युवाओं को राज्य सरकार की नौकरियाँ पाने का मौक़ा मिलेगा, जो किसी भी धर्म या जाति से संबंधित आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से हैं। ज्ञात हो कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10% आरक्षण जनवरी 2019 में 103वें संविधान संशोधन के माध्यम से देश के बाकी हिस्सों में लागू किया गया था। यह सरकार में पहले से ही मौजूद आरक्षण के अतिरिक्त होगा।

अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को प्रमोशन देने के लाभ (जिसमें गुर्जर और बकरवाल शामिल हैं) को भी जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए लागू किया गया है। 24 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद, 1995 का 77वाँ संविधान संशोधन अब जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए लागू कर दिया गया है।

जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन के माध्यम से राज्य सरकार की नौकरियों में आरक्षण वाले प्रावधान के भीतर नियंत्रण रेखा के पास रहने वाले लोगों के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले लोगों को भी लाया गया है। इससे पहले 3% आरक्षण का प्रावधान केवल 6 किलोमीटर के भीतर रहने वाले युवाओं के लिए उपलब्ध था (जम्मू-कश्मीर में एलओसी के)। अब यह प्रावधान अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले लोगों के लिए भी लागू होगा। यह अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाली आबादी की लंबे समय से लंबित मांग है, क्योंकि वे जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से गोलीबारी का खामियाजा भुगत रहे हैं।

तो इमरान ‘तालिबान’ टेरेसा को POP (Pak Occupied Patrakar) कब देंगे नोबल शांति पुरस्कार?

शांति- यह एक ऐसा शब्द है जो भारत का पर्यायवाची रहा है। ऐसे भी दौर (इस्लामिक और अंग्रेजी शासन) आए, जब भारत के कई क्षेत्रों में अशांति थी लेकिन ऐसे हालातों में भी हमारे देश ने दुनिया को शांति का ही पाठ पढ़ाया। लिबरल गिरोह Pluralism (बहुवाद) और Tolerance (सहिष्णुता) की वकालत करते नहीं थकते। उन्होंने Jingoism (अति-राष्ट्रवाद) और Intolerance (असहिष्णुता) जैसे भारी-भरकम शब्दों का प्रयोग कर आज के भारत को ऐसे रूप में पेश करने का प्रयास किया है, जो भारत की असल छवि से बिलकुल अलग है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत को लेकर नकारात्मक विचार छपते हैं और अधिकतर मामलों में लेखक कोई भारतीय पत्रकार ही होता है।

नायक की खोज में खलनायकों का गैंग

ये आज के पत्रकार हैं। ये लगातार नायक की खोज में रहते हैं। कभी राहुल, कभी केजरीवाल, कभी अखिलेश- इन्हे आए दिन एक नया नायक दिख जाता है, जिसे मोदी के ख़िलाफ़ खड़ा कर एक ‘Public Perception’ तैयार किया जा सके। इनकी पूरी की पूरी पत्रकारिता (कथित) ही Propaganda आधारित Narrative पर चलती है। जब इनकी दुकान बंद होने को आती है, इन्हे लालू यादव जैसे भ्रष्टाचारियों में भी नायक दिखने लगता है। इन खलनायकों को अब एक नया नायक मिल गया है। चूँकि अब इन्हे देश के अंदर कोई नायक नहीं मिल रहा, इन्होंने पाकिस्तान का रुख़ किया है।

अगर आप भारतीय लिबरल गैंग के ट्वीट्स देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि उन्हें इमरान ख़ान में एक ऐसा नायक दिख रहा है, जिसे मोदी के ख़िलाफ़ खड़ा किया जा सके। अगर इस गैंग का बस चले तो इमरान ख़ान को बनारस से मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव में उतार दें। इससे पहले कि हम इन मौसमी साँपों के मीठे ज़हर की चर्चा करें, उस से पहले पूरे घटनाक्रम को समझ कर इस अभियान के परिपेक्ष्य को समझना पड़ेगा। इसमें वही लोग शामिल हैं जो जाने-पहचाने हैं, सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोवर्स लेकर इतराते हैं और आए दिन मोदी को गाली देकर जीविका निर्वहन करते हैं।

भारत द्वारा पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर बम बरसाए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें उसके एक एफ-16 लड़ाकू विमान को मार गिराया गया। इस क्रम में भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनन्दन को वर्तमान में पकिस्तान ने हिरासत में ले लिया। प्रधानमंत्री मोदी पाकिस्तान के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, जैसे उनकी नज़र में पाक की कोई औकात ही न हो। भारत ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए पाक से साफ़-साफ़ कह दिया कि पायलट को लेकर किसी भी प्रकार का मोलभाव नहीं किया जाएगा। जेनेवा कन्वेंशन के पालन को लेकर सख़्त भारत की कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी से डरे पाकिस्तान ने भारतीय पायलट को छोड़ने का निर्णय लिया।

गिरोह विशेष के नए पोस्टर बॉय- शांतिदूत इमरान ख़ान

“मोदी के कारण विंग कमांडर अभिनन्दन पकड़े गए” से लेकर “अभिनन्दन को छुड़ाने में मोदी का कोई हाथ नहीं” तक, गिरोह विशेष ने अपना एजेंडा सही समय पर चलाया (उनके लिए सही समय वही है जब देश संकट में हो या किसी निर्णायक मोड़ पर खड़ा हो)। इमरान ख़ान की सेना ने भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले किए- गिरोह विशेष के लिए यह शान्ति स्थापित करने की दिशा में किया गया प्रयास है। माफ़ कीजिए, हम भूल गए थे कि ये इमरान ख़ान की सेना नहीं है बल्कि सेना ने इमरान ख़ान को बिठा रखा है। कभी ‘तालिबान ख़ान’ के नाम से जाने जाने वाले इमरान ख़ान को मसीहा के रूप में देखने वाले इन पत्रकारों के लिए यह सब नया नहीं है।

ओसामा बिन लादेन के ‘मानवीय पक्ष’ से लेकर आतंकियों की ‘ग़रीबी’ की चर्चा कर उन्हें बेचारा बनाने की कोशिशों तक- इनके हथकंडों का एकमात्र लक्ष्य यही रहा है कि कैसे आतंकियों व उनके पोषकों को जनता की नज़र में हीरो बनाया जा सके। एक ऐसा नेता शांति का प्रतीक है जो कभी तालिबान का अनाधिकारिक प्रवक्ता हुआ करता था। वहीं सफाईकर्मियों के पाँव धोने वाले नेता उनके लिए घृणा का प्रतीक है। बात-बात पर भारत को सैन्य ताक़तों का इस्तेमाल कर ‘जवाब’ देने की बात करने वाले नेता मसीहा है जबकि सियाचिन में हमारी रक्षा कर रहे सैनिकों के साथ दिवाली मनाने वाला नेता विलेन है। बुलेट ट्रेन, डिजिटल इंडिया और विकास की बात करने वाला नेता युद्ध भड़काता है जबकि जिससे ईरान, अफ़ग़ानिस्तान सहित सभी परेशां हैं, वह शांतिदूत हैं।

Statesmanship शब्द की माचिस जलाकर छोड़ दी इन्होंने

सैकड़ों ऐसे ट्वीट्स हैं, जिनमें पाकिस्तान के ख़ान को एक बेहतर शासक और कुशल राजनीतिज्ञ बताया जा रहा है। उनकी प्रशंसा में उन्हें क्यूट और कूल बताया जा रहा। इन्हे सबसे पहले एक कुशल शासक का अर्थ समझने की ज़रूरत है। आँख से पट्टी हटा कर देखने पर पता चलेगा कि कुशल शासक वह है जिसने बिना एक शब्द बोले पाकिस्तान को घुटनों के बल ला खड़ा किया। कुशल शासक वह है जिसने पार्टी से लेकर देश तक- किसी पर भी भारत-पाकिस्तान तनाव का गलत असर नहीं पड़ने दिया। कुशल शासक वह है जिसनें बस पिछले 4-5 दिनों में मीडिया, सरकार, पार्टी से लेकर चुनावी कार्यक्रमों तक को भी सम्बोधित किया लेकिन एयर स्ट्राइक के लिए अपनी पीठ नहीं थपथपाई।

कुशल प्रशासक वह नहीं है जिसने एयर स्ट्राइक की ख़बर के तुरंत बाद हुई बैठक में हिस्सा तक नहीं लिया। कुशल प्रशासक वह नहीं है जिसने आतंकियों के ख़िलाफ़ प्रयोग करने के लिए मिले सैन्य साजो-सामान का प्रयोग भारत के विरुद्ध किया। क्या यही शांति का नोबल पुरस्कार मिलने का क्राइटेरिया है? क्या अपने सबसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान को सीमा पर के देश के सैन्य ठिकानों पर हमला के लिए इस्तेमाल करना आपको गिरोह विशेष के पत्रकारों की नज़र में महान बनाए देता है? पत्रकारों और लिबरल्स का गिरोह विशेष पाकिस्तानी सरकारी मीडिया के प्रवक्ता की तरह व्यवहार कर रहा है।

वास्तविक दुनिया से जान-बूझ कर दूर रहने वाले और जनता को भी दूर रखने के प्रयास करने वाले इन पाकिस्तान परस्तों को जनता को जानना चाहिए कि विंग कमांडर अभिनन्दन की रिहाई कैसे संभव हुई। हमारे जाँबाज़ पायलट अभिनन्दन की रिहाई संभव हुई क्योंकि भारत ने पाकिस्तान को विश्व पटल पर मुँह दिखाने लायक नहीं छोड़ा है। अभिनन्दन को पाक के चंगुल से निकालने में देश क़ामयाब हुआ क्योंकि भारत ने पाक को जेनेवा कन्वेंशन के पालन की सख़्त हिदायत दी थी। अभिनन्दन आज स्वदेश लौट रहे हैं क्योंकि भारत की आतंकियों पर कड़ी कार्रवाई से पाकिस्तान को डेमो मिल गया था। हमारे अभिनन्दन हमे वापस मिल गए क्योंकि पाक को पता चल गया था कि अगर उनके साथ कुछ भी गलत होता है तो भारत क्या कर सकता है।

इनका बस चले तो तालिबान के पूर्व अनाधिकारिक प्रवक्ता को नोबल दे दें। ये इतने बेताब हो उठे हैं कि कल को अगर मसूद अज़हर इनके लिए अच्छी बातें कर दे तो उसे भी क्यूट, बेचारा और मसीहा साबित कर देंगे। संवेदनशील मुद्दों को अपने पक्ष में भुनाने के लिए ये गिद्ध (जैसा कि राजदीप ने ख़ुद की केटेगरी वाले पत्रकारों को बताया था) कुछ भी कर सकते हैं। इमरान ख़ान इनके लिए आज की नई मदर टेरेसा है। वैसे, मदर टेरेसा की सच्चाई बहुत लोगों को नहीं पता है। कहीं ऐसा न हो कि भविष्य में ये इमरान ख़ान की मूर्तियाँ लगा कर नमाज़ शुरू कर दे। ओह सॉरी, इस्लाम में मूर्तिपूजा की अनुमति नहीं है।

फैक्ट चेक: राजनैतिक लाभ के लिए कॉन्ग्रेस कर रही है अभिनंदन की पत्नी के नाम पर घटिया हरकत

पुलवामा आतंकी हमले के बाद से ही विपक्ष, खासकर कॉन्ग्रेस दोगला रुख अपना कर चल रही है। कॉन्ग्रेस एक ओर मीडिया के सामने लगातार राजनीति न करने जैसी बातें कर रही है, वहीं दूसरी ओर अपने मुखपत्रों और सोशल मीडिया एकाउंट्स के माध्यम से लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को घेरने का प्रयास कर रही है। इसके लिए कॉन्ग्रेस लगातार अपनी ‘व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी’ से लेकर सोशल मीडिया एकाउंट्स तक की मदद ले रही है।

कल पाकिस्तान द्वारा भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनन्दन को भारत को सौंपने की घोषणा के बाद कॉन्ग्रेस के ‘मुखपत्र’ ट्विटर एकाउंट ‘युवा देश’ (@yuvadesh) ने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें एक महिला भाजपा से सैनिकों के बलिदान पर राजनीति न करने का सन्देश दे रही है। इस ‘युवा देश’ ट्विटर एकाउंट ने दावा किया है कि वीडियो में दिख रही महिला विंग कमांडर अभिनन्दन की पत्नी हैं।

कॉन्ग्रेस के तमाम बड़े पदाधिकारियों और सांसदों द्वारा फॉलो किए जा रहे इस ट्विटर एकाउंट का ये वीडियो एकदम फ़र्ज़ी और फेक है। ऐसे भी कुछ अतिउत्साहित मीडिया गिरोह हैं, जिन्होंने अभिनन्दन की वतन वापसी से पहले ही सोशल मीडिया पर उनके परिवार को लेकर बहुत सी जानकारी पहले ही शेयर कर दी थी।

इस ट्विटर एकाउंट को कॉन्ग्रेस पार्टी प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी से लेकर कॉन्ग्रेस सांसद शशि थरूर फॉलो करते हैं। प्रियंका चतुर्वेदी जिस तरह से रोजाना फ़र्ज़ी खबर और फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए पाई जाती हैं, इसकी वजह शायद यही है कि उनकी सूचनाओं के स्रोत और ‘कच्चे माल’ की निर्भरता इस तरह के फेक न्यूज़ एकाउंट्स हैं।


यह ट्विटर एकाउंट राहुल गाँधी के परिवार की ख़बरों को प्रचार-प्रसार और भाजपा के खिलाफ अफवाह फ़ैलाने का कार्य करता है 

जानें, क्या है वीडियो की सच्चाई

कॉन्ग्रेस समर्थक फेसबुक पेज, वॉट्सऐप और ट्विटर पर यह विडियो शेयर किया जा रहा है, जिसमें एक महिला खुद को आर्मी अफसर की पत्नी बताते हुए राजनेताओं से जवानों के त्याग पर राजनीति न करने की अपील कर रही है। हालाँकि, इस महिला को विंग कमांडर अभिनंदन की पत्नी बताया जा रहा है।

फेसबुक यूजर Dinesh Singta ने बृहस्पतिवार को यह विडियो पोस्ट किया और साथ में कैप्शन लिखा, “विंग कमांडर अभिनंदन जी की पत्नी का संदेश कि सैनिकों के बलिदान पर बीजेपी न करे राजनीति।” इस विडियो को ट्विटर और व्हाट्सएप्प पर भी शेयर किया जा रहा है।

कॉन्ग्रेस द्वारा वायरल किए जा रहे इस विडियो में महिला कह रही है, “हैलो, मैं एक आर्मी ऑफिसर की पत्नी हूँ और सभी सशस्त्र बलों के परिवारों की ओर से अपने भारत के लोगों और खासतौर पर राजनेताओं से अपील करूँगी कि हमारे जवानों के बलिदान पर राजनीति न करें। एक सैनिक होने के लिए बहुत कुछ त्यागना पड़ता है। जरा सोचिए कि इस समय अभिनंदन का परिवार किस पीड़ा, किस परेशानी से गुजर रहा होगा। इसलिए जब तक भारत-पाक सीमा पर तनाव कम न हो जाए, कृपया अपनी रैलियां बंद कर दें और हमारे जवानों की मेहनत का श्रेय लेने की हिम्मत भी न करें। मैं फिर दोहरा रही हूँ कि हिम्मत भी न करें। कृपया अपनी टिकट गिनना और राजनीति करना बंद करें। आपके पास राजनीति करने के लिए बहुत समय पड़ा है, लेकिन इस वक्त नहीं। हमारे जवानों के बलिदान की कीमत पर नहीं। यह मेरा सभी राजनेताओं से निवेदन है, खासतौर पर बीजेपी नेताओं से।”

विडियो में दिखने वाली महिला विंग कमांडर अभिनंदन की पत्नी नहीं हैं

‘तेलुगू समयम’ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अभिनंदन की पत्नी खुद भी भारतीय वायुसेना में पायलट रह चुकी हैं। इस रिपोर्ट में अभिनंदन की पत्नी तन्वी मारवाह की तस्वीर भी दी गई है। इस तस्वीर में अभिनंदन की पत्नी और विडियो में दिखने वाली महिला एकदम अलग हैं। इसके अलावा, विडियो में महिला ने भी सिर्फ यही दावा किया है कि वह आर्मी ऑफिसर की पत्नी हैं और कहीं भी यह जिक्र नहीं किया है कि वो विंग कमांडर अभिनंदन की पत्नी हैं। विडियो में वह अभिनंदन के परिवार पर बीत रहे दुख को समझने की भी अपील कर रही हैं।

बीजेपी ने भी अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस विडियो को कॉन्ग्रेस का प्रॉपगेंडा करार दिया है।

मोदी सरकार ने आतंकवादी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर लगाया 5 साल का प्रतिबंध

केंद्र सरकार ने गुरुवार (28 फ़रवरी) को आतंकवादी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर पाँच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है।

गृह मंत्रालय ने सुरक्षा मामले पर एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की, जिसकी अध्यक्षता ख़़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की।

ख़बरों के अनुसार, संगठन को ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत इस आधार पर प्रतिबंधित कर दिया गया था कि यह राज्य में आतंकवादी संगठनों के साथ ‘लगातार संपर्क में’ था और राज्य में ‘अलगाववादी आंदोलन को आगे बढ़ाने’ की फिराक में था। यह भी कहा गया कि यह आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर और अन्य जगहों पर उग्रवाद और आतंकवाद का समर्थन करता है।

गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि जमात-ए-इस्लामी संगठन ने भारत की क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने के इरादे से गै़रक़ानूनी गतिविधियों को शुरू किया था।

गृह मंत्रालय द्वारा यह क़दम जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा 22 और 23 फरवरी को घाटी में जमात के 100 कैडरों को गिरफ़्तार करने के बाद उठाया गया है। गिरफ़्तार किए गए लोगों में आतंकी संगठन के प्रमुख अब्दुल हामिद फैयाज़ और प्रवक्ता वकील ज़ाहिद अली शामिल है। पुलिस की इस कार्रवाई के बाद महबूबा मुफ्ती ने जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निंदा की थी। इसके अलावा पूर्व राज्यमंत्री सज्जाद लोन ने इस कार्रवाई पर सवालिया निशान लगाए थे। 

बता दें कि पुलवामा आत्मघाती हमले के बाद भारत की ओर से कई कड़े क़दम उठाए गए हैं उन्हीं में से एक यह भी है।

आतंकी संगठन जमात की उत्पत्ति कश्मीर में इस्लामिक डोगरा आंदोलन में निहित है। इस ग्रुप ने मौलाना मौदूदी (Maulana Maududi) की विचारधारा का पालन किया, जिन्होंने ब्रिटिश शासन का विरोध किया और मुस्लिम लीग के विभाजन के लिए एक अलग मुस्लिम राज्य बनाने का प्रस्ताव भी रखा था। मौदुदी समग्र राष्ट्रवाद के ख़िलाफ़ था। जिसने एक इस्लामिक राज्य की वकालत करने के बजाय पूरे अविभाजित भारत को कवर करने वाले इसे ‘डार अल-इस्लाम’ में बदल दिया।

बँटवारे के समय, जमात ने पाकिस्तान में शामिल होने के लिए राज्य का पक्ष लिया था। इस दौरान अधिकांश लोग कश्मीरी शेख़ अब्दुल्ला के आसपास रैलियाँ करते भी दिखाई दिए।

मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय ने प्रोजेक्ट STARS के तहत ₹250 करोड़ देने का किया ऐलान

मानव संसाधन एवं विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने 28 फरवरी को विज्ञान दिवस के मौके पर प्रोजेक्ट स्टार्स (STARS) के तहत ₹250 करोड़ की फंडिंग देने की घोषणा की है।

STARS यानी Scheme for Translational and Advanced Research in Science योजना को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से ₹250 करोड़ की राशि देने का ऐलान किया गया है। इस निधि का उपयोग 500 विज्ञान प्रोजेक्ट के लिए किया जाएगा। इसके लिए छात्रों का चयन प्रतियोगिता के माध्यम से किया जाएगा। बता दें कि यह प्रोजेक्ट Indian Institute of Science, बेंगलुरु द्वारा संचालित किया जाएगा।

विज्ञान दिवस के मौके पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से लांच किए गए इस प्रोजेक्ट का लाभ विज्ञान के छात्रों को मिलेगा। इस योजना का लाभ उठाने के लिए इच्छुक अभ्यर्थी को आवेदन करना होगा। मानव संसाधन विकास मंत्री ने अपने ट्वीट में इस बात का भी खुलासा किया है कि इसके लिए आवेदन की प्रक्रिया अप्रैल के पहले सप्ताह से शुरू हो जाएगी।

विज्ञान दिवस हर साल 28 फरवरी को सर सी वी रमन की याद में मनाया जाता है। वह एक भौतिक विज्ञानी और भारत के प्रथम वैज्ञानिक थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला। उन्हें 1930 में रमन प्रभाव की खोज के लिए नोबेल प्राइज मिला था।

इसके साथ ही मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय कौशल एवं श्रम मंत्रालय और रोजगार मंत्रालय के साथ मिलकर गैर तकनीकी कोर्सों के लिए SHREYAS- Scheme for Higher Education Youth For Apprenticeship and Skills को लांच किया। जिसका लाभ गैर तकनीकी क्षेत्रों के लोगों को मिलेगा।

OIC में पाकिस्तान के विरोध को दरकिनार कर पहली बार भारत को मिला मुख्‍य अतिथि का सम्‍मान

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अबू धाबी में हो रही ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन (OIC) के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने गई हैं। इस दौरान सुषमा स्‍वराज ने कहा कि ओआईसी के संबंध में 2019 भारत के लिए महत्‍वपूर्ण साल रहा है। इस वर्ष भारत महात्‍मा गाँधी की 150वीं जयंती मना रहा है।

ओआईसी की बैठक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि आज आतंकवाद की चुनौतियाँ बढ़ गई हैं। आतंकी गतिविधियाँ अलग-अलग तरीके से चलाई जा रही हैं। जिन देशों में आतंकी कैम्प चलाए जा रहे हैं, उन्हें अपने यहाँ आतंकवादियों आश्रय देना बंद करना होगा। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी धर्म के खिलाफ लड़ाई नहीं है।

OIC की बैठक में सुषमा स्वराज द्वारा कही गई मुख्य बातें

  1. OIC अपनी गोल्‍डन जुबली मना रहा है। OIC में पहली बार भारत को मुख्‍य अतिथि बनने का सम्‍मान मिला है।
  2. भारत विविधताओं का देश है, OIC साझा आस्‍थाओं वाला संगठन है।
  3. हम ब्रुनेई से लेकर अफगानिस्‍तान तक मजबूत रिश्‍ते रखते हैं। हम कई मध्‍य एशियाई देशों से करीबी ताल्‍लुक रखते हैं।
  4. खाड़ी देश हमारे लिए व्‍यापार का बड़ा केंद्र हैं।
  5. भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था विश्‍व की अर्थव्‍यवस्‍था का हिस्‍सा बन रही है।
  6. आतंकवाद जीवन को नष्ट कर रहा है, क्षेत्रों को अस्थिर कर रहा है और दुनिया को बड़े संकट में डाल रहा है। आतंक की पहुँच बढ़ रही है। इसे रोकना बेहद जरूरी है।
  7. आतंकवाद ने कई ज़िंदगियाँ तबाह की हैं। आतंक के खिलाफ हमारी लड़ाई किसी धर्म के खिलाफ नहीं है।

बता दें कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज दो दिवसीय ओआईसी की बैठक के उद्घाटन समारोह में हिस्सा ले रही हैं। भारत को 57 इस्लामिक देशों के समूह ने पहली बार अपनी बैठक में आमंत्रित किया गया है। पाकिस्तान के विरोध को दरकिनार करते हुए OIC की बैठक में उन्हें विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।

पुलवामा हमले के बाद भारत द्वारा दंडस्वरूप की गई एयर स्ट्राइक की पृष्ठभूमि में भारत और ओआईसी के बीच यह नया संबंध स्थापित हो रहा है।

OIC की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के शामिल होने की वजह से पाकिस्तान ने बैठक में भाग लेने से इनकार कर दिया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का कहना है, “मैं विदेश मंत्रियों की काउंसिल बैठक में शिरकत नहीं करूँगा। यह उसूलों की बात है, क्योंकि (भारत की विदेशमंत्री) सुषमा स्वराज को ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ के रूप में न्योता दिया गया है।” इससे पहले पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर हमले के बाद पाकिस्तान ने प्रयास किया था कि ओआईसी के लिए स्वराज का आमंत्रण रद्द हो जाए पर OIC ने संस्थापक सदस्य पाकिस्तान को कोई तवज्जो नहीं दिया।