Sunday, October 6, 2024
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दक्षिण कश्मीर में 5 आतंकी ढेर, 4 जवान घायल

दक्षिण कश्मीर के कुलगाम ज़िले में सुरक्षा बलों को बड़ी क़ामयाबी मिली है। मुठभेड़ में सेना के जवानों ने 5 आतंकियों को मार गिराया। मारे गए आतंकियों के पास से सुरक्षाबलों ने भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किया है।

ख़बर की मानें तो सुबह 5 बजे के आसपास आतंकियों के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया। 6 घंटे बीतने के बाद सेना ने यहाँ के दो घरों को उड़ा दिया, जिसमें मकान के अंदर छिपे हुए 5 आतंकी मौके पर ही ढेर हो गए। सुरक्षा बलों ने सर्च ऑपरेशन के बाद इसकी पुष्टी करते हुए सभी आतंकियों के शव के साथ भारी मात्रा में गोला-बारूद और अन्य सामान बरामद किया। बताया जा रहा है कि मारे गए आतंकियों में एक मोस्ट वॉन्टेड कमांडर भी शामिल है।

ऑपरेशन में ख़लल डालने के लिए की गई पत्थरबाज़ी

आतंकियों पर की गई कार्रवाई के बाद इलाक़े में भारी हिंसक प्रदर्शन हुए। बताया जा रहा है कि ऑपरेशन के दौरान कुछ उपद्रवियों ने ख़लल डालने के लिए पत्थरबाज़ी भी की। जवाब में सीआरपीएफ के जवानों ने उपद्रवियों को खदेड़ने के लिए आँसू गैस के गोले दागे। भारी पथराव के चलते 4 सीआरपीएफ जवानों के गंभीर रूप से घायल होने की बात भी सामने आई है।

बंद की गई इंटरनेट सेवा

सेना द्वारा किए गए ऑपरेशन के बाद इलाक़े में तनाव बना हुआ है, जिसको देखते हुए कुलगाम में मुठभेड़ की शुरुआत से ही इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी गई थी। इसके अलावा बनिहाल से बारामुला के बीच चलने वाली रेल सर्विसेज़ को भी बंद करने का आदेश दिया गया है। बताया जा रहा है कि हिंसा के हालात को देखते हुए सीआरपीएफ और पुलिस की अतिरिक्त टीमों को भी तैनात किया गया है।

शारदा चिट-फंड घोटाला: CBI ने SIT की जाँच पर उठाए सवाल

करोड़ों रुपये के शारदा चिट-फंड घोटाले के सिलसिले में कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार आज लगातार दूसरे दिन पूछताछ के लिए शिलॉन्ग स्थित सीबीआई कार्यालय पहुँचे। कुमार से सीबीआई ने कल आठ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी और टीएमसी के पूर्व सांसद कुणाल घोष को भी पूछताछ के लिए सीबीआई कार्यालय में पेश होने के लिए कहा गया था।

सीबीआई द्वारा कुमार से कई कड़े सवाल पूछे जाने की संभावना है। सीबीआई कुमार को कुणाल घोष जैसे प्रमुख अभियुक्तों के बयानों के साथ मिलान करेगी, जिन्होंने दावा था किया कि पुलिस आयुक्त जाँच के सभी पहलुओं में बहुत सक्रिय थे।

सीबीआई यह भी जानना चाहती है कि मई 2014 तक दर्ज किए गए 75 मामलों में से जब यह मामला सीबीआई को स्थानांतरित किया गया, तो एसआईटी ने केवल शारदा मामले को ही क्यों लिया और बाकी सभी को क्यों छोड़ दिया? क्या ऐसा किसी राजनीतिक नेतृत्व के निर्देश पर किया गया था? सीबीआई के अनुसार एसआईटी की जाँच में गैप है, क्योंकि जाँच से जुड़े महत्वपूर्ण व्यक्तियों को एसआईटी द्वारा कभी बुलाया ही नहीं गया। एजेंसी यह भी पता लगाना चाहती है कि कहीं राजीव कुमार किसी के निर्देशों के तहत तो ऐसा नही कर रहे थे?

सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि घोटाला सामने आने पर राज्य पुलिस पहले शारदा समूह के परिसर में प्रवेश करने वाली थी। इस पर सीबीआई ने आरोप लगाया है कि सबूतों को दबाने के लिए मामले से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों को वहाँ से हटाया गया है।

नामदारों के सामने सर झुकाकर बैठ गए नायडू, विकास भूलकर मोदी को गाली देने का चल रहा कॉम्पिटिशन

आंध्र प्रदेश के गुंटूर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज एक जनसभा को संबोधित करते हुए कॉन्ग्रेस और प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू पर जमकर निशाना साधा। एक दिवसीय दौरे पर आंध्र प्रदेश आए पीएम मोदी ने श्रीकृष्णपट्टनम में भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड के तटीय टर्मिनल की आधारशिला रखी। इस परियोजना पर ₹2,280 करोड़ ख़र्च होंगे।

प्रधानमंत्री ने इस दौरान सीएम नायडू पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने आंध्र प्रदेश के ग़रीबों के लिए नई योजनाएँ चलाने का वादा किया था, लेकिन मोदी की योजनाओं पर ही अपना स्टीकर लगा दिया। पीएम ने कहा कि नायडू ने अपने ससुर (एनटी रामाराव) की पीठ पर छुरा घोंपा है। इसके अलाव पीएम ने वहाँ पर लगाए गए #GoBackModi के पोस्टरों की चुटकी लेते हुए कहा कि मैं टीडीपी का आभारी हूँ कि वे मुझे दोबारा दिल्ली जाने को कह रहे हैं।

पीएम ने कहा, “जिन लोगों ने देश को धुएँ में जीने के लिए छोड़ दिया था वो अब देश में झूठ का धुआँ फैलाने में जुटे हैं। संगत का असर ऐसा है कि यहाँ के सीएम भी आंध्र के विकास के विजन को भूलकर मोदी को गाली देने के कॉम्पिटिशन में कूद गए हैं।”

‘आंध्र की जनता की तिजोरी से चंद्रबाबू निकाल रहे पैसा’

प्रधानमंत्री ने नायडू पर तंज कसते हुए कहा, “डिक्शनरी में जितनी भी गाली है वो मोदी के लिए रिजर्व है। हर रोज नई गाली देते हैं। क्या उनको आंध्र के संस्कारों को इस तरह बदनाम करने का अधिकार है। यह (चंद्रबाबू नायडू) कल फोटो खिंचवाने के लिए दिल्ली जाने वाले हैं, बड़े हुजू़म लेकर जाने वाले हैं, पार्टी का बिगुल बजाने। लेकिन बीजेपी जैसे अपने कार्यकर्ताओं के पैसे से कार्यक्रम करा रही है, वो आंध्र की जनता की तिजोरी से पैसा निकाल कर ले जा रहे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘क्या मज़बूरी है कि वह नामदारों के सामने सर झुकाकर बैठ गए हैं। नामदारों ने हमेशा राज्यों के नेताओं का अपमान किया है। एमटीआर ने आंध्र को कॉन्ग्रेस मुक्त करने का वादा किया था। उस समय आंध्र प्रदेश का अपमान करने वाले दल को एनटीआर को दुष्ट कहते थे और आज नायडू को उन्हीं को दोस्त बनाकर बैठे हैं।’

‘झूठ के बड़े अभियान पर लगाना चाहता हूँ लगाम’

पीएम मोदी ने कहा कि गुंटूर से एक झूठ के बड़े अभियान पर विराम लगाना चाहता हूँ। केंद्र ने आंध्र के लिए पिछले 55 महीने में कोई कमी नहीं छोड़ी। लेकिन कमी सिर्फ़ इतनी रही कि केंद्र से जो पैसा आया वो यहाँ कि सरकार ने आपको बताया नहीं। यहाँ खर्च़ नहीं किया।

पीएम ने कहा कि NTR की विरासत संभाल रहे नेता अपनी कमियों को छिपाने के लिए दूसरों पर आरोप लगाने लगे, तो समझ लेना चाहिए कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है। जब कोई मुख्यमंत्री सत्य की बजाय झूठ बोले, तो मान लेना चाहिए कि उनपर से जनता का विश्वास उठ चुका है।

‘मुझे गालियाँ देने से पहले आंध्र के लोगों का हिसाब करें नायडू’

पीएम ने कहा कि मैंने सुना है कि वे अब दिल्ली आने की योजना बना रहे हैं। मैं जोर देकर कहूँगा कि दिल्ली आने से पहले उन्हें आंध्र के लोगों को अपने खर्च का ब्योरा देना चाहिए। मुझे गालियाँ देने से पहले, आप आंध्र प्रदेश के लोगों को अपने खर्चे का हिसाब देकर जरूर आएँ।

‘सरकार दिए 13 करोड़ नए गैस कनेक्शन’

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में गैस कनेक्शन देना 1955 में शुरू हुआ। इसके बाद 60 सालों में 12 करोड़ गैस कनेक्शन दिए हए। हमारी सरकार 13 करोड़ नए गैस कनेक्शन दे चुकी है। इसी का नतीजा है, जहाँ साल 2014 में देश के सिर्फ 25% लोगों के पास गैस कनेक्शन था। वहीं, आज यह दायरा बढ़कर 90% हो चुका है।

पीएम ने कहा कि केंद्र सरकार ने “हृदय योजना” के तहत अमरावती को हेरिटेज सिटी के रूप में चुना है। अमरावती को “ऑक्सफोर्ड” भी कहा जाता है और विभिन्न स्थानों के युवा अपने सपनों को पूरा करने के लिए यहाँ आते हैं।

प्रिय मृणाल पांडे, आपकी बातें सड़क पर नाइदो तनियम जैसी हत्या करा सकती हैं! सँभालिए खुद को

पाँच साल पहले की बात है, 29 जनवरी 2014 की। अरुणाचल प्रदेश का एक लड़का था, उम्र 19 साल। दिल्ली के लाजपत नगर में किसी जगह का पता खोज रहा था। एक मिठाई की दुकान थी, वहाँ से किसी ने उसके बालों का मजाक उड़ाया। उसने बाल सुनहरे रंग से रंग रखे थे, वो औरों से अलग दिखता था। इतना काफी था उसे छेड़ने और उकसाने के लिए।

मजाक और उपहास का पात्र बनने पर उसे गुस्सा आया। कहा-सुनी हुई। उसके बाद भरी दोपहरी में रॉड और डंडों से पीटा गया। फिर पुलिस आ गई। कथित तौर पर पुलिस की उपस्थिति में भी उसे पीटा गया। किसी तरह अपनी जान बचाकर वो अपनी बहन के घर पहुँचा। वहाँ रात में सोया और सुबह जगा नहीं। उसके दिमाग और फेफड़ों में अंदरूनी चोट पहुँचने के कारण वो मर गया। नाइदो तनियम अरुणाचल प्रदेश के कॉन्ग्रेस विधायक के पुत्र थे।

कल नरेन्द्र मोदी अरुणाचल प्रदेश में थे। वहाँ रैली में भाषण देते वक्त उन्होंने अरुणाचली जनजातीय परम्परा में पहनी जानी वाली टोपी सर पर पहन रखी था। जब उनके भाषण की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आई तो एक ट्विटर यूज़र, आशीष मिश्रा (@ktakshish), ने उपहास करते हुए लिखा, “आज दुग्गल साहब मोर बने हैं।” 

हालाँकि, ट्विटर पर इस तरह की बातें होती रहती हैं, और पीएम का मजाक आए दिन खूब उड़ता है। लेकिन ऐसे घटिया विचार वाले लोगों को मृणाल पांडे जैसे लोग शह देते हों, तो लगता है कि किसी एक प्रदेश की वेशभूषा को लेकर इनके मन में कितना कूड़ा भरा है। आशीष मिश्रा ने माफ़ी माँगते हुए अपना ट्वीट मिटा दिया है, लेकिन माफ़ी में भी यह लिखा कि ‘नॉर्थ ईस्ट वालों को रेसिस्ट लग रहा था’। ज़ाहिर है कि इन्हें ये रियलाइजेशन नहीं हुआ कि वो ट्वीट कैसा था। ख़ैर, उनको रहने देते हैं, क्योंकि उनका महत्त्व माध्यम होने भर का ही है, उससे ज़्यादा नहीं।

जबकि मृणाल पांडे ने उस ट्वीट के जवाब में जो ट्वीट लिखा वो और भी बेकार था, लेकिन अभी भी मौजूद है। उसमें मोदी की तरफ इशारा करते हुए एक मुर्ग़े को कोट पहनाया हुआ दिखाया गया है। 

मृणाल पांडे उसी गिरोह से आती हैं जो पत्रकारिता के नाम पर विचारधारा परोसने में व्यस्त हैं। विचारधारा के लिए भी किसी को कुछ नहीं कहा जा सकता, क्योंकि सबकी होती है। लेकिन घृणा और भेदभाव के साथ भारत की विविधता का उपहास करना बताता है कि मानसिक रूप से कुछ लोग कितना नीचे गिर सकते हैं। 

मृणाल पांडे एक साहित्यकार भी रह चुकी हैं (‘चुकी हैं’ क्योंकि अभी तो वैसे लक्षण नहीं दिख रहे, साहित्य तो चुक ही गया है)। उनकी माताजी हिन्दी का एक चमकता सितारा थीं। साहित्यकार संवेदनशील होता है। साहित्यकार अपने समाज को, दूसरे समाजों को, बाकी लोगों से बेहतर तरीके से देखने और समझने में सक्षम होता है। लिखने वाले लोगों से अपेक्षा की जाती है कि अपने शब्दों से हमें घर बैठे दुनिया की सैर करा दें।

लेकिन मृणाल पांडे, जो वैचारिक असहमति की राह से उतरकर घृणा और द्वेष की कुंठा का विष उगलती आगे बढ़ रही हैं, उनमें साहित्यकार या पत्रकार होने की संवेदना का घोर अभाव है। विचारधारा से घृणा उचित है, व्यक्ति से भी घृणा करना संदर्भों में उचित जान पड़ता है (लेकिन बता दें कि आलोचना नहीं, घृणा ही है), लेकिन एक समाज की विविधता का उपहास! ये तो नीचे गिरते जाने की सीढ़ी है जहाँ आपने सर पर इतनी घृणा लाद रखी है कि ऊपर आना मुश्किल दिखता है।

मोदी के सर पर जो टोपी थी, वो अरुणाचल प्रदेश की निशि जनजाति द्वारा पहनी जाने वाली पारम्परिक टोपी है। उसमें हॉर्नबिल नामक चिड़िया को जनजातीय कलाकृति के अद्भुत नमूने के रूप में दर्शाया गया था। देश की स्वतंत्रता के इतने सालों बाद पहली बार कोई प्रधानमंत्री आया है जो लगातार भारत के उत्तर-पूर्व हिस्सों में लगातार जाता है, उनकी परम्पराओं को सम्मान देता है, उनके क्षेत्र के विकास पर ध्यान देता है, तो भी कुछ लोगों को सिर्फ़ मजाक ही सूझता है!

उत्तर-पूर्व के लोगों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश के लिए जहाँ दिल्ली पुलिस में वहाँ के लोगों की भर्ती की जा रही है, जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं, वहाँ कॉन्ग्रेस मुखपत्र नेशनल हेराल्ड की एडिटर के इस तरह के विचार दुःखद और निंदनीय हैं। यही कारण है कि ऊपर से फैलाई जा रही इस तरह की घृणा नीचे सड़कों तक उतरती है और कभी नाइदो तनियम मारा जाता है, कभी लोयथम रिचर्ड

वो अलग दिखते हैं, क्योंकि उनकी परम्पराएँ अलग है। उनके लिए हम अलग हैं, अलग दिखते हैं। भारत विविधताओं से भरा देश है, और हमें एक-दूसरे की विविधता का सम्मान करना सिखाया जाता है। यही हमारी धरोहर है, और हमारी पहचान भी। यहाँ पर कभी थरूर द्वारा नागा जनजातीय वेशभूषा का उपहास करना, तो कभी उसी कॉन्ग्रेसी विचारधारा के मुखपत्र की एडिटर का अरुणाचल की वेशभूषा का मजाक बनाना बताता है कि अभिजात्य मानसिकता के कैंसर का कोई इलाज नहीं।

कितनी अजीब बात है कि कोई व्यक्ति अपने पद का इस्तेमाल लोगों को जोड़ने में कर रहा है, और आपके पास उसकी नीतियों को लेकर, उसके कार्य को लेकर कुछ कहने को नहीं है, तो आप उसकी उस कोशिश का उपहास करते हैं जहाँ वो किसी जनजाति की परम्परा का सम्मान कर रहा होता है! ये बताता है कि आपकी चर्चा का स्तर कितना गिर चुका है। 

सड़क पर हो रहे भेदभाव को आग मत दीजिए मृणाल जी, इसकी लपटें जब उठेंगी तो आपकी जैसी विकृत मानसिकता वाले लोग मिठाई के दुकान के बाहर किसी अरुणाचली को रॉड और लातों से इतना मारेंगे कि उसकी छाती की हड्डियाँ टूट जाएँगी, दिमाग को चोट पहुँचेगी और फेफड़ों में ख़ून उतरने के कारण उसकी मृत्यु हो जाएगी।

पुलिसकर्मी पर गौ तस्करों ने चढ़ाई गाड़ी, आरोपित मुजीब गिरफ़्तार

हरियाणा के फिरोज़पुर झिरका थाना इलाक़े में बेख़ौफ़ गौ तस्करों द्वारा पुलिस बेरिकेड तोड़कर भागने और पुलिसकर्मियों पर गाड़ी चढ़ाने का मामला सामने आया है। गौ तस्करों ने एक एएसआई को गौ-वंशों से लदे कैंटर को चढ़ाकर कुचलने की कोशिश की, जिसमें एएसआई गंभीर रूप से घायल हो गए।

गाय की तस्करी से जुड़ा यह मामला कोई पहला नहीं हैं। इससे पहले भी इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया जाता रहा है, ये और बात है कि इनमें से केवल कुछ ही मामले सामने आते हैं और बाक़ी हवा हो जाते हैं।

ख़बर की मानें तो पुलिस ने तस्करों द्वारा अवैध रूप से कैंटर में ले जाए जा रहे गौ-वंशों को जब रोकने की कोशिश की तो, उन्होंने फ़ायरिंग की। जिसके बाद पुलिस ने जवाबी फ़ायरिंग करते हुए कैंटर सहित एक गौ तस्कर मुजीब को दबोच लिया।

कैंटर में कुल 8 गौ-वंश बरामद किए गए हैं। इन्हें राजस्थान ले जाया जा रहा था। मामले में फिरोज़पुर झिरका थाने में 2 लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है। गिरफ़्तार किए गए गो तस्कर मुजीब की पहचान पुन्हाना थाना एरिया के पैमाखेड़ा निवासी के तौर पर हुई है।

बाल-बाल बचे कई पुलिसकर्मी

गौ तस्कर 8 गौ-वंशो को कटी घाटी के रास्ते राजस्थान वध के लिए ले जाए जा रहे थे, तभी पुलिस को मुख़बिर से तस्करों के बारे में सूचना मिली, जिसके बाद पुलिस की टीम शाहपुर खेड़ा गाँव के पास बेरिकेड लगाकर चेकिंग शुरू की।

इसी बीच गौ-वंशों से लदे एक कैंटर को पुलिस ने रोकने की कोशिश की, लेकिन कैंटर चालक गाड़ी रोकने के बजाय पुलिस का बेरिकेड तोड़कर एक एएसआई पर गाड़ी चढ़ा दी। जबकि अन्य पुलिसकर्मियों बाल-बाल बच गए। बताया जा रहा है कि एक गौ तस्कर भागने में क़ामयाब रहा। फ़िलहाल छुड़ाए गए गौ-वंशों को तिजारा रोड स्थित मेवात क्षेत्र की गौ-शाला में भेजा दिया गया।

पश्चिम बंगाल में TMC विधायक की गोली मारकर हत्या

पश्चिम बंगाल में क़ानून-व्यवस्था किस तरह से ममता सरकार में ध्वस्त है, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हीं के विधायक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। दरअसल, तृणमूल कॉन्ग्रेस के विधायक सत्यजीत बिश्वास अपने विधानसभा क्षेत्र कृष्णागुंज में अपनी पत्नी और 7 महीने के बेटे के साथ सरस्वती पूजन के लिए गए हुए थे।

बिश्वास जब कार्यक्रम के दौरान मंच से उतर रहे थे तभी कुछ हमलावरों ने क़रीब 100 लोगों की मौज़ूदगी में उनपर गोली चला कर हत्या कर दी। टीएमसी विधायक की हत्या ने ममता सरकार के क़ानून-व्यवस्था की पोल तो खोली ही है, साथ ही इस बात पर सोचने को मजबूर कर दिया है कि जब विधायक स्तर के शख़्स की इस प्रकार सरेआम हत्या हो सकती है तो आम जनजीवन कैसे सुरक्षित रह सकता है?

कॉन्ग्रेस द्वारा घटना का राजनीतिकरण

घटना के बाद टीएमसी ने अपने ही विधायक की हत्या का राजनीतिकरण करते हुए बीजेपी पर हत्या का आरोप लगा दिया। टीएमसी के महासचिव पार्थो चटर्जी ने कहा कि इस हमले के पीछे बीजेपी के हाथ है।

वहीं पूरे मामले पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि विधायक पर हमला, टीएमसी के भीतरी कलेश को दर्शाता है। इससे स्पष्ट होता है कि किस तरह आपसी गुटों में झगड़ा चल रहा है।

मोदी घृणा में मीडिया गिरोह का नया परचम: अरुणाचल प्रदेश की जनजाति को बताया ‘मोर’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से घृणा में मीडिया और विपक्ष किसी भी स्तर तक गिर सकता है। इस बात को साबित करने के लिए कई उदाहरण पिछले कुछ सालों में देखने को मिलते रहे हैं। लेकिन इस घृणा में मीडिया इतना मशगूल हो गया कि उसे इतना ध्यान नहीं रहता है कि वो असल में ग़रीब और वंचितों का मज़ाक बना रहा होता है, जिन्हें सामाजिक पहचान दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रयास करते आए हैं।

कभी चाय तो कभी पकौड़े बनाने वाले छोटे उद्ययमियों का उपहास करने वाला मीडिया तंत्र मोदी-घृणा में कल (फरवरी 09, 2019) को एक नए स्तर तक गिर गया जब मीडिया में अरुणाचल प्रदेश की ‘निशि जनजाति’ को ‘मोर’ घोषित कर दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश की जनता को ‘निशि जनजाति’ का पारम्परिक पहनावा पहनकर सम्बोधित किया। इस पर कॉन्ग्रेस का गुणगान करने वाले ‘नेशनल हेरॉल्ड’ समाचार पत्र की ‘ग्रुप एडिटर’ मृणाल पांडे ने किसी ‘ट्विटर ट्रॉल’ का सहारा लेकर इस जनजाति को ‘मोर’ कहा और नस्लीय टिप्पणी कर मज़ाक भी बनाया।

सस्ती लोकप्रियता के लिए नरेंद्र मोदी की आड़ में आशीष मिश्रा नाम के ट्विटर यूज़र ने अपने ट्वीट में पूर्वोत्तर की इस जनजाति के पहनावे और लोगों की तुलना ‘मोर’ से कर डाली, जिसे मीडिया गिरोहों द्वारा हाथों-हाथ रीट्वीट किया गया। आशीष मिश्रा नाम का यह युवक ‘कटाक्ष’ नाम से ट्विटर और फेसबुक पेज पर सक्रिय है। आशीष मिश्रा ने लोक-लाज के डर से यह ट्विट और फेसबुक पोस्ट तो डिलीट कर दिया, लेकिन वह अरुणाचल प्रदेश की जनजाति पर नस्लीय टिप्पणी कर लोगों को पहले ही बहुत ठेस पहुँचा चुके थे। आशीष मिश्रा के ट्विटर हैंडल पर उपलब्ध जानकारी से पता चला है कि वो पत्रकारिता से जुड़े हैं। लेकिन जनजाति पर नस्लीय टिप्पणी कर के जिस तरह की पतित पत्रकारिता का उदाहरण आशीष मिश्रा ने पेश किया है, इसे ‘पत्रकारिता का समुदाय विशेष’ कहा जा सकता है।

आशीष मिश्रा का वह ट्विट, जिसमें नरेंद्र मोदी के बहाने अरुणांचल प्रदेश की जनजाति को मोर बताया गया है

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल की रैली के दौरान आदिवासियों की एक पारम्परिक टोपी (हेडगेयर) पहन रखा था, जिसे ‘ब्योपा’ कहते हैं। ब्योपा, अरुणाचल प्रदेश की एक बड़ी जनजाति निशि (Nyishi) के पारम्परिक परिधान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। अरुणाचल के सरकारी कार्यक्रमों में ब्योपा को मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों को उपहार स्वरूप भेंट करने का चलन है।

सोशल मीडिया पर इस जनजाति के अपमान पर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने भी ट्वीट कर आपत्ति जताई। ट्विटर पर निशि जनजाति पर बन रहे इस मज़ाक से आहत अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने अपने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा, “ईटानगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो भाषण के दौरान पहना हुआ है, वह अरुणाचल प्रदेश की निशि जनजाति का ‘हेडगेयर’ है। घृणा या असहिष्णुता को अपने विवेक पर हावी न होने दें।”

जनजातियों का मज़ाक बनाने के लिए कॉन्ग्रेस और मीडिया गिरोह का यह अकेला क़िस्सा नहीं है। कॉन्ग्रेस सांसद शशि थरूर पहले नागा जनजाति का भी मज़ाक बना चुके हैं। मोदी घृणा में मीडिया का किसी भी स्तर तक गिर जाना एक आम बात बनती जा रही है। लेकिन इस बार ‘मोर’ वाली नस्लीय टिप्पणी ने पूर्वोत्तर भारत की आस्था को गहरी चोट पहुँचाई है।

राहुल के कारण पार्टी छोड़ी, देश को पटरी पर लाने के लिए PM मोदी का नेतृत्व ज़रूरी: पूर्व कॉन्ग्रेसी मंत्री

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा जो मनमोहन सरकार में विदेश मंत्री थे, उन्होंने शनिवार (9 फ़रवरी) को राहुल गाँधी को लेकर कहा कि उनके लगातार हस्तक्षेप के कारण न सिर्फ़ उन्होंने विदेश मंत्री का पद छोड़ा बल्कि कॉन्ग्रेस पार्टी से भी नाता तोड़ लिया था। उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी के अत्यधिक हस्तक्षेप के चलते वो विदेश मंत्री के पद पर काम करने में ख़ुद को असमर्थ महसूस कर रहे थे।

इसके अलावा उन्होंने राहुल की राजनीतिक परिपक्वता पर सवाल उठाते हुए कहा कि 10 साल पहले राहुल गाँधी एक सांसद थे और उन्होंने पार्टी का कोई पद नहीं सँभाला, लेकिन सभी मामलों में वे बिना वजह ही हस्तक्षेप करने लगते थे। यह हस्तक्षेप इतना बढ़ गया था कि कृष्णा ने पद छोड़ना ही उचित समझा। हालाँकि जब प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह थे, तब कष्णा ने कई मामलों को राहुल के संज्ञान में लाए बिना ही उन पर कार्रवाई की जिसके परिणामस्वरूप 2जी स्पेक्ट्रम, कॉमनवेल्थ और कोयला घोटाले सामने आए थे। वहीं गठबंधन दलों पर उन्होंने कहा कि इस पर कॉन्ग्रेस का कोई नियंत्रण नहीं था।

एसएम कृष्णा ने कहा कि साल 2009 से 2014 तक जब वे यूपीए सरकार में सत्ता में था, तब वे ख़ुद भी सभी अच्छी और बुरी चीजों के लिए समान रूप से जिम्मेदार थे। साढ़े तीन साल तक कुशलतापूर्वक सेवा देने के बावजूद उन्हें पद छोड़ना पड़ा था, इसकी वजह राहुल का वो आदेश था जिसके मुताबिक़ जो 80 साल के हो गए हों उन्हें सत्ता में नही रहना चाहिए।

बीजेपी में शामिल होने के बाद, कृष्णा ने काफी हद तक सक्रिय राजनीति से ख़ुद को दूर रखा, लेकिन पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान पूर्व सीएम सिद्धारमैया के ख़िलाफ़ हो रहे अभियानों में उन्होंने भाग लिया था।

लोकसभा चुनाव नज़दीक आने के साथ, कृष्णा ने अपने गृह नगर मद्दुर में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए दोबारा आवेदन किया, जहाँ से उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। पीएम मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कृष्णा ने उनकी तुलना सरदार वल्लभभाई पटेल से की और कहा कि भारत मोदी शासन के तहत प्रगति की ओर अग्रसर है।

आंध्र प्रदेश दौरे से पहले PM मोदी-विरोधी पोस्टर्स की भरमार

लोकसभा चुनाव के नज़दीक आते-आते सियासी खींचतान ज़ोरो पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी लोकसभा चुनावों को ध्‍यान में रखते हुए 8-12 फ़रवरी के बीच अपने 10 राज्यों के दौरे पर हैं। आज यानी रविवार (10 फ़रवरी) को वो आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु जाने वाले हैं। इस दौरे के तहत वे आंध्र प्रदेश के गुंटूर, तमिलनाडु के तिरुपुर और कर्नाटक के हुबली में रैलियाँ करेंगे। इस दौरान वे अपने भाषण को किसानों और युवाओं पर केंद्रित रख सकते हैं। इससे पहले शनिवार (9 फ़रवरी) को वो असम, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा गए थे।

प्रधानमंत्री मोदी के आंध्र पहुँचने से पहले वहाँ कई जगहों पर मोदी विरोधी पोस्टर और होर्डिंग्स लगे दिखे। इन पोस्टर पर ‘नो मोर मोदी’, ‘मोदी इज़ ए मिस्टेक’ और ‘मोदी नेवर अगेन’ जैसे विरोधी नारे लिखे हुए थे। फ़िलहाल यह पता नहीं लगाया जा सका है कि ये पोस्टर किसने लगवाए हैं।

बता दें कि जबसे टीडीपी ने बीजेपी से अपना गठबंधन तोड़ा है, उसके बाद आंध्र में पीएम मोदी का यह पहला दौरा है। जहाँ एक तरफ बीजेपी इस दौरे को सफल बनाने की कोशिश में जुटी हुई है, वहीं, टीडीपी ने उनके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन में दिख रही है।

आंध्र में रैली से पहले मोदी विरोधी पोस्टर लगाए गए
आंध्र में मोदी विरोधी पोस्टर लगाए गए

जानकारी के मुताबिक़, पीएम मोदी यहाँ जिस गन्नावरम एयरपोर्ट पर लैंड करने वाले हैं, उसके सामने भी बड़ी-बड़ी होर्डिंग्स लगाई गई हैं। पीएम को गुंटूर में एक रैली में भाग लेना है। इसके अलावा उन्हें वहाँ येताकुर बाइपास पर कई प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन भी करना है, उसके बाद वो एक जनसभा को संबोधित करेंगे।

बता दें कि इससे पहले शनिवार को कुछ विरोध प्रदर्शन भी किए गए थे, जिसकी शिक़ायत बीजेपी ने पुलिस में दर्ज कराई थी और साथ ही होर्डिंग लगाने वालों पर कार्रवाई किए जाने की माँग भी की थी।

प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ अपने विरोधी सुर को स्पष्ट करने के लिए मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अपने कार्यकर्ताओं को आसमान में काले-पीले गुब्बारे छोड़ने और काले-पीले रंग की शर्ट पहनने को कहा है।

बता दें कि नायडू के ये तेवर इसलिए भाी प्रबल हैं क्योंकि वो आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की माँग काफी समय से कर रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा इस माँग को ठुकरा दिए जाने के बाद से ही नायडू ने अपने विरोध को और तेज़ कर दिया। इसलिए उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़कर एनडीए से हाथ मिलाया। आगामी लोकसभा चुनाव में वो महागठबंधन का साथ देकर बीजेपी के ख़िलाफ़ अपना विरोध जताएँगे।

बता दें कि बीजेपी के ख़िलाफ़ इस विरोध प्रदर्शन में टीडीपी कार्यकर्ता, टीडीपी यूथ विंग, कॉन्ग्रेस, लेफ्ट विंग पार्टियों के नेताओं के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।

रॉबर्ट वाड्रा को ‘सत्य की जीत’ की याद आई, ईडी लगातार कर रही है पूछताछ

प्रियंका गाँधी के पति रॉबर्ट वाड्रा पिछले कुछ दिनों में ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग और विदेश में बदनामी संपत्तियों को लेकर लम्बी पूछताछ के लिए बुलाए जा चुके हैं। शनिवार को भी उनसे कई घंटे पूछताछ की गई। आज (जनवरी 10, 2019) को उन्होंने सुबह में एक फ़ेसबुक पोस्ट लिखा है जिसमें सत्य की जीत की बात की है। 

वाड्रा ने अपने फ़ेसबुक पोस्ट में अपनी एक तस्वीर लगाई है और लिखा है, “सुप्रभात! मैं पूरे देश के अपने तमाम मित्रों और शुभचिंतकों का शुक्रिया अदा करना चाहूँगा जो इस समय में मेरे साथ खड़े हैं। मैं ठीक-ठाक हूँ और किसी भी परिस्थिति का सामना करने में मैं अपने आप को सक्षम पाता हूँ। सत्य की हमेशा जीत होती है। आप सबों का रविवार अच्छा बीते और आपका ये सप्ताह स्वास्थ्य और ख़ुशियाँ लाए।”

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मनी लॉन्ड्रिंग और ज़मीन घोटालों को लकेर कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। दिल्ली समेत लंदन में हुए लैंड स्कैम को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उनसे लगातार पूछताछ में जुटा है। शनिवार यानी 9 फ़रवरी को उनसे इस मामले में तीसरी बार पूछताछ हुई।

वाड्रा को अब 12 फ़रवरी को अपनी माँ मौरीन के साथ जयपुर स्थित ईडी के ऑफ़िस में पूछताछ के लिए पेश होना पड़ेगा। वाड्रा यहाँ ईडी निदेशालय के सामने बीकानेर के कोलायत में हुए ज़मीन ख़रीद के मामले में अपना पक्ष रखेंगे।

ख़बर की मानें तो राजस्थान हाईकोर्ट ने बीकानेर ज़िले के कोलायत क्षेत्र में 275 बीघा ज़मीन ख़रीद के मामले में रॉबर्ट वाड्रा और उनकी माँ को ईडी के सामने पेश होने का निर्देश दिया था। बता दें कि ईडी ने पिछले साल नवंबर के अंतिम सप्ताह में वाड्रा को तीसरी बार समन जारी किया था, लेकिन उन्होंने उसकी अनदेखी की थी।

पेशी को लेकर वाड्रा के वकील ने दलील दी थी कि उनके मुवक्किल जाँच में सहयोग के लिए तैयार हैं, लेकिन अभी वो अपनी बेटी के इलाज के लिए इंग्लैंड जा रहे हैं। जिस पर न्यायलय ने कहा था कि दोनों पक्षों के वकील पेशी की तारीख़ खु़द तय कर लें। जिसके बाद 12 फ़रवरी को वाड्रा और उनकी माँ को इस मामले में पेशी का आदेश दिया गया।