Tuesday, May 14, 2024

विचार

कॉन्ग्रेस व विपक्ष की दंगाइयों, घुसपैठियों के साथ खड़े होने की क्या मजबूरी है?

पाकिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र डाउन ने वहाँ की नेशनल असेम्बली द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर छापा कि प्रति वर्ष 5000 हिन्दू अपनी जान बचाने के लिए भारत में जाकर शरण ले रहे हैं। तो फिर ऐसी क्या वजह है कि झूठी कपोल-कल्पित तस्वीर दिखाकर समुदाय विशेष के लोगों को भड़काने की राजनीति कॉन्ग्रेस और विपक्ष कर रही?

सत्ता के लिए अधीर कॉन्ग्रेस न मजहब विशेष की चौधरी बन पाई, न नेहरू से निभा पाई

पहले वे जनेऊधारी हिंदू बने। फिर दत्तात्रेय गोत्री। पर जब मौका आया तो कॉन्ग्रेस ने न बहुसंख्यकों की भावना का मान रखा और न देशहित का। तुष्टिकरण के फेर में न वह नेहरू के साथ निभा पाई और न ही उनसे पल्ला छुड़ा पाई।

हिन्दुओं के इस पदचाप को देख कर कइयों को डर लग रहा है… ये डर अच्छा है

अगर इस भीड़ को देख कर तुम्हें डर लग रहा है, तो फिर डरो क्योंकि ये डर पूरे भारतीय समाज की शांति के लिए अच्छा है। अगर ये डर तुम्हारे भीतर रहेगा कि तुम्हारी आगजनी, पत्थरबाजी, गोली चलाने की प्रवृत्ति के टक्कर में एक ऐसी टोली है जो हर जिले में तैनात है, तो तुम सड़कों पर आ कर आग लगाने से पहले सोचोगे।

…जब 58 लोग कोयंबटूर ब्लास्ट में मरे थे, तब कॉन्ग्रेस व सहयोगी दलों ने आतंकियों को जेल में करवाई थी मालिश

"कोयंबटूर आतंकी घटनाओं के आरोपी के लिए जेल को स्पा में बदला। अब्दुल नासिर की मालिश का खर्च वहन सरकार कर रही थी, उसकी पत्नी के खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट होने के बावजूद वह नासिर से बेरोकटोक मिल सकती थी। यह तब हो रहा था जब कॉन्ग्रेस के 33 विधायक और DMK के 97 MLA थे।"

विभाजन और पाकिस्तान में अल्पसंख्यक: कॉन्ग्रेस के लिए नेहरू और इतिहास से सीखने का वक्त

आज कॉन्ग्रेस CAA का विरोध कर रही है। इसका कोई आधार नहीं है। जरूरत है उसके नेता इतिहास को समझें। नेहरू मंत्रिमंडल में राहत और पुनर्वास के लिए अलग से मंत्रालय था। मोदी सरकार ने उसी प्रक्रिया का सरलीकरण किया है।

देशी कट्टे से पुलिस पर गोली चला कर होती है UPSC की तैयारी! अपने ‘शहीद दंगाई हीरो’ के बचाव में मीडिया

मोहित की जान की क़ीमत नहीं है क्योंकि वो 'योगी की पुलिस' का हिस्सा हैं। वहीं सुलेमान UPSC की तैयारी करने वाला एक 'आदर्श' छात्र है, जो किसी क़ानून के पारित होने के बाद उसे पढ़ कर नोट्स नहीं बनाता बल्कि देशी कट्टा लहराते हुए आगजनी करने निकल पड़ता है। मीडिया का हीरो कौन?

पेट्रोल बम फेंको, नौकरी पाओ योजना: ‘ये लोग’ दंगाइयों को पालते रहेंगे, हिंदू सोता रहेगा

आपके पास विकल्प दो ही हैं: डर कर रहिए या सवाल पूछना शुरू कीजिए। सवाल नहीं पूछेंगे कि तुम्हें 'हिन्दुत्व' को फक करने का विचार क्यों आता है, तो ये कल आपकी बहू-बेटियों को छेड़ने से भी नहीं हिचकिचाएँगे। अगर कोई ‘हिन्दुओं से आजादी', ‘हिन्दुत्व की कब्र खुदेगी', 'फक हिन्दुत्व' बोल कर और लिख कर खुले आम टहल रहा है, तो...

नागरिकता (संशोधन) कानून की आवश्यकता क्यों?

अमेरिका के एक अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थान पीआरसी ने 39 इस्लामिक देशों में एक सर्वेक्षण किया था। उन्होंने मुस्लिमों से पूछा कि क्या वे अपने देश को शरियत कानून के अनुसार चलाना चाहते है? जवाब में अफगानिस्तान के सभी लोगों (99 प्रतिशत), पाकिस्तान के 84 प्रतिशत और बांग्लादेश में 82 प्रतिशत लोगों ने माना कि उनके यहाँ आधिकारिक कानून शरियत ही होना चाहिए।

2019 की इस मजहबी उन्मादी आग से 2024 में कितनी रोशन होगी भाजपा?

2024 बहुत दूर है। उस समय क्या होगा, यकीनी तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन, जितने जोर-शोर से CAA+NRC को मुस्लिम विरोधी बताया जाएगा, इस्लाम विरोधी भावनाएँ गहराती जाएँगी। वैसे भी इस उन्माद के सारे सूत्र भीड़ अपने हाथ ले ही चुका है।

यूनिवर्सिटी दंगों के 6000 लोगों को रोकने के लिए जब कैनेडी ने 30,000 जवान उतार दिए थे

हम ये मान लें कि 'अल्लाहु अकबर' का मतलब 'गॉड इज ग्रेट' होता है? इतने मासूम तो मत ही बनो। दंगा करते वक्त ये नारा उतना ही साम्प्रदायिक है जितना 'हिन्दुओं से आजादी' और ‘हिन्दुत्व की कब्र खुदेगी' है। राजनैतिक विरोध में 'नारा-ए-तकबीर' और 'ला इलाहा इल्लल्लाह' की जगह कैसे बन जाती है?

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