Thursday, May 22, 2025
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ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित मासूम बच्ची को ठीक करने का झाँसा, चर्च में रखा 40 दिन: अंधविश्वास के चक्कर में 8 साल की दलित लड़़की की मौत

भव्यश्री के पिता लक्ष्मैया और माँ लक्ष्मी को कुछ रिश्तेदारों ने इलाज कराने के बजाय चर्च में झाड़-फूँक कराने की सलाह दी। इस सलाह पर यकीन करके लक्ष्मैया और लक्ष्मी अपनी बेटी को लेकर अडुरपल्ली के एक चर्च में गए। यहाँ चर्च के स्टाफ और पादरी ने झाँसा दिया कि प्रार्थना करने से बीमारी ठीक हो जाएँगी। पीड़ित परिवार ने उनकी बातों पर यकीन कर लिया।

आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में अंधविश्वास के चक्कर में 8 साल की एक दलित बच्ची की जान चली गई। पीड़िता का नाम भव्यश्री है, जिसे ब्रेन ट्यूमर था। उसके ब्रेन ट्यूमर का इलाज करने का दावा कर उसे 40 दिनों तक चर्च में रखा गया था। इस दौरान इलाज के बजाय पीड़िता से मज़हबी क्रिया-कलाप करवाए गए। पादरी ने पीड़ित परिवार को ‘सब सही हो जाएगा’ जैसे झाँसे दिए। आखिरकार भव्यश्री ने सोमवार (9 दिसंबर 2024) को दम तोड़ दिया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना नेल्लोर के कालुवई की है। यहाँ की दलित बस्ती के एक गरीब परिवार में 8 वर्षीया भव्यश्री एक बहन और एक भाई के साथ रहती थी। पिछले कुछ दिनों से भव्यश्री की तबीयत खराब चल रही थी। भव्यश्री को अक्सर उल्टियाँ होती थीं और सिर में दर्द रहता था। परिजनों ने जाँच करवाई तो बच्ची को ब्रेन ट्यूमर निकला। डॉक्टरों ने सर्जरी कराने के लिए कहा, जिसका इलाज काफी ज्यादा था।

भव्यश्री के पिता लक्ष्मैया और माँ लक्ष्मी को कुछ रिश्तेदारों ने इलाज कराने के बजाय चर्च में झाड़-फूँक कराने की सलाह दी। इस सलाह पर यकीन करके लक्ष्मैया और लक्ष्मी अपनी बेटी को लेकर अडुरपल्ली के एक चर्च में गए। यहाँ चर्च के स्टाफ और पादरी ने झाँसा दिया कि प्रार्थना करने से बीमारी ठीक हो जाएँगी। पीड़ित परिवार ने उनकी बातों पर यकीन कर लिया।

पीड़िता को चर्च में ही रोककर उससे तमाम ईसाई क्रिया-कलाप शुरू कराए जाने लगे। हालाँकि, इससे भव्यश्री की तबीयत सुधरने के बजाय बिगड़ती चली गई। लगभग 40 दिनों तक भव्यश्री के माता-पिता अपनी बेटी को लेकर चर्च में पादरी द्वारा बताए गए तामझाम करते रहे। तबीयत बिगड़ने के बजाय वहाँ सब ठीक हो जाने का झाँसा दिया जाता रहा। आखिरकार सोमवार (9 दिसंबर) को भव्यश्री ने दम तोड़ दिया।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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