Sunday, March 23, 2025
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‘मैंने कभी नहीं कहा कि आग बुझाने के दौरान जस्टिस वर्मा के घर नकदी नहीं मिली’: मीडिया रिपोर्टों का दिल्ली के फायर चीफ ने किया खंडन, सुप्रीम कोर्ट बोला- ट्रांसफर का मामला अलग

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने प्रस्ताव निष्पक्ष है और यह जाँच प्रक्रिया से बिल्कुल अलग है। जस्टिस वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट में दूसरे नंबर के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं और दिल्ली हाई कोर्ट कॉलेजियम के सदस्य भी हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरण के बाद वे वहाँ वरिष्ठता क्रम में नौवें नंबर पर होंगे। जस्टिस वर्मा को प्रोन्नत करके इलाहाबाद से ही दिल्ली भेजा गया था।

दिल्ली हाई कोर्ट जस्टिस यशवंत वर्मा के घर मिले भारी मात्रा में नकदी को लेकर विवाद और संशय बढ़ता जा रहा है। इस संशय के पीछे फायर डिपार्टमेंट के प्रमुख का बयान और सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी कार्रवाई प्रमुख वजह है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने एक बयान में कहा है कि जस्टिस वर्मा के आवास पर हुई घटना को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर अलग मामला है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने प्रस्ताव निष्पक्ष है और यह जाँच प्रक्रिया से बिल्कुल अलग है। जस्टिस वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट में दूसरे नंबर के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं और दिल्ली हाई कोर्ट कॉलेजियम के सदस्य भी हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरण के बाद वे वहाँ वरिष्ठता क्रम में नौवें नंबर पर होंगे। जस्टिस वर्मा को प्रोन्नत करके इलाहाबाद से ही दिल्ली भेजा गया था।

दरअसल, होली की छुट्टी में जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले में आग लग गई थी। उस समय जस्टिस वर्मा शहर से बाहर गए हुए थे। परिजनों ने आग को बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड को सूचित किया था। अग्निशमन कर्मियों ने आग पर काबू भी पा लिया। राहत एवं बचाव के दौरान अग्निशमन कर्मियों ने एक कमरे में भारी मात्रा में रखी गई नकदी देखी। कहा जा रहा है कि आग भी इस नकदी में ही लगी थी।

इसके पहले रिपोर्ट आई थी कि बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के बाद अग्निशमन अधिकारियों ने पुलिस को इसकी जानकारी दी। पुलिस ने यह जानकारी संबंधित एजेंसियों तक आगे पहुँचाई। यह मामला आखिरकार भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना तक पहुँचा। रिपोर्ट के मुताबिक, यह भी कहा जा रहा है कि CJI खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय से इसमें फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट माँगी है।

न्यूज एजेंसी PTI के हवाले से से कई मीडिया हाउस ने रिपोर्ट चलाई कि दिल्ली फायर चीफ अतुल गर्ग ने कहा था कि आग बुझाने के दौरान अग्निशमन सेवा के कर्मियों को कोई नकदी नहीं मिली थी। हालाँकि, कुछ समय के बाद अतुल गर्ग ने PTI की रिपोर्ट का खंडन कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने PTI को उन्होंने कभी ये नहीं कहा कि जस्टिस वर्मा के घर नकदी नहीं मिली है।

न्यूज एजेंसी IANS से बातचीत में भी अतुल गर्ग ने PTI की रिपोर्ट का खंडन किया। अतुल गर्ग ने कहा कि पता नहीं क्यों उनके नाम से यह खबर चलाई गई। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने कहा कि PTI की रिपोर्ट फर्जी थी। उन्होंने कहा कि PTI को बताना चाहिए कि उसकी रिपोर्ट का स्रोत कौन था। इससे न्याय और सच्चाई को बाधित करने की कोशिश करने वालों की पहचान उजागर हो जाएगी।

इससे पहले दिल्ली पुलिस के सूत्रों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने कहा था, “आग की घटना 14 मार्च को रात करीब 11.30 बजे हुई। स्टोर रूम में आग लगने की सूचना मिली। यह एक छोटी सी आग थी। दमकल की दो गाड़ियाँ भेजी गईं और 15 मिनट में आग पर काबू पा लिया गया। तुगलक रोड थाने में एक दैनिक डायरी दर्ज की गई, लेकिन हमने रिपोर्ट में किसी वित्तीय बरामदगी का उल्लेख नहीं किया है।”

इससे पहले यह खबर आई थी कि जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर अचानक मिले भारी कैश की बात भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना तक पहुँची। इसके बाद उन्होंने कॉलेजियम की बैठक बुलाई। बैठक में कॉलेजियम के जजों ने मामले को बेहद चिंताजनक माना। इसके बाद सर्वसम्मति से जस्टिस वर्मा को वापस इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापस स्थानांतरण करने की सिफारिश की गई।

कॉलेजियम के सदस्यों ने मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सुझाव दिया कि वे इसे जल्द-से-जल्द प्राप्त करने का प्रयास करें, क्योंकि इससे यह निर्णय लेने में मदद मिलेगी कि आंतरिक जाँच का आदेश दिया जाए या नहीं। यह भी कहा जा रहा है कि CJI खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय से इन-हाउस जाँच की सिफारिश कर रिपोर्ट माँगी थी।

दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने अपनी रिपोर्ट भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सौंप दी है। जस्टिस उपाध्याय ने यह रिपोर्ट शुक्रवार (21 मार्च) को सौंपी। जस्टिस उपाध्याय ने घटना के संबंध में साक्ष्य और जानकारी एकत्र करने के लिए आंतरिक जाँच प्रक्रिया शुरू की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम रिपोर्ट की जाँच करेगा और आगे की कार्रवाई शुरू कर सकता है।

कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा?

जस्टिस यशवंत वर्मा साल 2021 से दिल्ली हाई कोर्ट में जज के रूप में सेवाएँ दे रहे थे। इससे पहले 2014-21 तक वह इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज थे। जस्टिस यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को इलाहाबाद में हुआ था। कुछ रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि इलाहाबाद से सटे मध्य प्रदेश के रीवा में उनका जन्म हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बी.कॉम की डिग्री ली है।

इसके बाद उन्होंने साल 1992 में रीवा विश्वविद्यालय से लॉ में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद 8 अगस्त 1992 को उन्होंने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में एडवोकेट के रूप में नामांकन कराया। उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में संवैधानिक, श्रम एवं औद्योगिक कानूनों के साथ-साथ कॉर्पोरेट कानून, टैक्स आदि कानूनों पर अभ्यास किया। साल 2006 में उन्हें हाई कोर्ट का विशेष वकील बना दिया गया।

इसके बाद साल 2012 से साल 2013 तक वे उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख स्थायी अधिवक्ता भी रहे। साल 2013 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता (सीनियर एडवोकेट) के रूप में नामित किया गया। 56 वर्षीय जस्टिस वर्मा को 13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद हाई कोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया था। उन्हें 1 फरवरी 2016 को हाई कोर्ट का स्थायी जज बना दिया गया। साल 2021 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट का जज बना दिया गया।

(नोट: मीडिया रिपोर्टों को अतुल गर्ग द्वारा खारिज किए जाने के बाद हमने इस रिपोर्ट में जरूरी बदलाव किए हैं।)

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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