Friday, November 8, 2024
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अहमदाबाद नगर निगम ने ‘अफजल खान नो टेकरो’ का नाम बदलकर किया ‘शिवाजी नो टेकरो’: वक्फ समिति ने जताई आपत्ति, कहा- यह 400-500 साल पुरानी दरगाह

किसी भी रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि याचिका में जिस पीर अफजल खान का जिक्र किया गया है, क्या वह वही है, जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने मारा था या फिर यह कोई स्वघोषित सूफी संत का नाम है, जो मजार के साथ सामने आया है।

गुजरात उच्च न्यायालय ने बुधवार (19 अक्टूबर 2022) को अहमदाबाद नगर निगम (AMC) को निर्देश दिया एक आवासीय कॉलोनी का नाम ‘अफजल खान नो टेकरो’ से बदलकर ‘शिवाजी नो टेकरो’ पर मुस्लिम समुदाय की आपत्ति पर विचार करे। अहमदाबाद में। दरअसल, 14 अक्टूबर को AMC की नगर नियोजन समिति ने नाम बदलने का प्रस्ताव रखा और इसे अनुमोदन के लिए स्थायी समिति के पास भेज दिया।

AMC की इस कार्यवाही पर अहमदाबाद सुन्नी मुस्लिम वक्फ समिति ने आपत्ति जताई और कहा कि यह क्षेत्र पिछले 400-500 वर्षों से मौजूद है। याचिकाकर्ता वक्फ ने दावा किया कि न्यू क्लॉथ मार्केट के सामने स्थित सारंगपुर में वह 3,116 वर्ग मीटर भूभाग का वह मालिक है।

इसके अतिरिक्त, उस एरिया में एक कब्रिस्तान, पीर अफजल खान नाम का एक मस्जिद और पीर अफजल खान नाम का एक ‘दरगाह’ होने की बात कही। वक्फ की याचिका के अनुसार, मस्जिद और ‘दरगाह’ का महत्वपूर्ण ऐतिहासिक महत्व है और इसे 400-500 साल पहले बनाया गया था।

याचिका में यह भी कहा गया है कि मस्जिद और दरगाह की सीमा से सटी कुछ झोपड़ियाँ और इमारतें हैं, जो मुस्लिम और हिंदू से संबंधित हैं। इनमें से कुछ अतिक्रमण करने वाले हैं और अन्य वक्फ के किरायेदार हैं। याचिका में दावा किया गया है कि वक्फ की जमीन लंबे समय से ‘अफजल खान नो टेकरो’ के नाम से मशहूर है।

हालाँकि, याचिकाकर्ता ने अदालत की सुनवाई में कहा कि याचिका में उठाए गए मुद्दे को हल किया जा सकता है, यदि निगम सभी प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखते हुए अपने प्रतिनिधित्व के अनुसार निर्णय लेता है। इस पर अदालत ने AMC को एक सप्ताह के भीतर वक्फ समिति के तर्क के बारे में त्वरित निर्णय लेने का आदेश दिया।

क्या यह वही अफजल खान है, जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने मारा था?

किसी भी रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि याचिका में जिस पीर अफजल खान का जिक्र किया गया है, क्या वह वही है, जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने मारा था या फिर यह कोई स्वघोषित सूफी संत का नाम है, जो मजार के साथ सामने आया है।

वक्फ बोर्ड यह दावा कर रहा है कि साइट पर मौजूद मस्जिद लगभग 500 साल पहले की है, जो समय के हिसाब से छत्रपति शिवाजी महाराज से पहले की है। जाहिर सी बात है कि ‘शिवाजी नो टेकरो’ नाम पर आपत्ति केवल इसलिए है, क्योंकि इस हिंदू राजा ने 10 नवंबर 1659 को आदिलशाह के सेनापति अफजल खान को मार डाला था।

यह अफजल खान कभी अहमदाबाद नहीं गया। हालाँकि, छत्रपति शिवाजी महाराज ने मुगलों द्वारा परोक्ष रूप से शासित सूरत पर धन जुटाने के उद्देश्य से दो बार चढ़ाई की। अहमदाबाद के कुछ क्षेत्रों का नाम छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर रखना कम-से-कम विचार करने योग्य है, क्योंकि राजा ने स्वराज्य के विस्तार की भविष्यवाणी की थी।

वहीं, अत्याचारी अफजल खान कभी अहमदाबाद नहीं गया। अफजल खान का सामान्य रूप से भारतीय संस्कृति और सभ्यता से कोई लेना-देना नहीं था और ना ही गुजरात या अहमदाबाद से उसका कोई संबंध था।

छत्रपति शिवाजी महाराज ने प्रतापगढ़ की लड़ाई में एक ‘अफजल खान’ को मारा था

प्रतापगढ़ की लड़ाई 10 नवंबर 1659 को छत्रपति शिवाजी महाराज और आदिलशाही सेनापति अफजल खान की सेनाओं के बीच महाराष्ट्र के सतारा शहर के पास लड़ी गई थी। इस लड़ाई में अफजल खान की सेना अधिक होने के बावजूद शिवाजी महाराज की सेना विजयी हुई थी।

इसके बाद सन 1657 में उदारवादियों द्वारा वर्णित ‘सोने का दिल वाला’ मुगल आक्रांता औरंगजेब दक्कन छोड़कर उत्तर की ओर लौटने के लिए बाध्य हुआ था। छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए कोंकण और अन्य आदिलशाही राज्यों पर जीत हासिल करना शुरू कर दिया। इसके बाद एक साम्राज्य का उदय हुआ था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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