नक्सलियों की तरह DSP का काटा सर-पाँव, सभी 8 लाशों को चौराहे पर जलाने का था प्लान: विकास दुबे की दरिंदगी

नक्सलियों की तरह किया पुलिसवालों पर हमला

कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों को बेरहमी से मारने वाला विकास दुबे अभी भी फरार है। पुलिस उससे जुड़ी हर चीज की जाँच पड़ताल कर रही है। सिर्फ कानपुर ही नहीं, पूरे उत्तर प्रदेश की पुलिस इस वक़्त हाई अलर्ट पर है। वहीं अब मुड़भेड़ की रात से जुड़े नए तथ्य भी सामने आ रहे हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला है कि कुख्यात बदमाश विकास दुबे और उसके साथी बदमाशों ने माओवादियों की तरह पुलिस पर हमला किया था।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार बदमाशों ने DSP देवेंद्र मिश्रा पर सिर्फ गोली ही नहीं चलाई बल्कि उनका सर और पाँव भी कुल्हाड़ी से काट दिया था, उनकी लाश को क्षत-विक्षत भी किया था। वहीं एक सब इंस्पेक्टर को पॉइंट ब्लैक रेंज से गोलियों से छलनी कर दिया। और एक कॉन्स्टेबल पर एके-47 से गोलियों की बौछार की गई थी। विकास दुबे के सभी आदमी आधुनिक हथियारों से लैस थे।

एसटीएफ यूनिट और फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने बताया कि गैंगेस्टर विकास दुबे के साथ लगभग 60 लोग थे। ये सभी पुलिस पर हमला करने के लिए पहले से घात लगाए बैठे थे। जिस तरह से उन लोगों ने हमला किया है, ऐसे हमले अक्सर माओवादियों और नक्सलियों को करते हुए देखा गया है।

ऑटोप्सी रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टरों ने सब-इंस्पेक्टर अनूप सिंह के शरीर से सात गोलियाँ निकालीं। इसके अलावा शिवराजपुर के स्टेशन अधिकारी महेश यादव के चेहरे, सीने और कंधे पर गोलियाँ लगी थीं। फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने बताया कि कॉन्स्टेबल जितेंद्र पाल के शरीर पर एके-47 की गोलियों से घातक हमला किया गया था, जिससे उनका शरीर फट गया था। वहीं राहुल, बबलू और सुल्तान पर .315 बोर राइफल की गोलियों से बौछार की गई थी।

नक्सलियों की तरह पुलिसकर्मियों के शव के साथ दुर्व्यवहार करने वाले बदमाश सिर्फ़ इतने पर ही नहीं रुके। वे शव के ऊपर शव रख कर उसे जलाने की तैयारी में भी जुटे थे। पुलिस की दूसरी टीम जिस समय घटनास्थल पर पहुँची, ये बदमाश शव को जलाने के लिए घर में मौजूद ट्रैक्टर से डीजल निकाल रहे थे। मगर मौके पर पहुँची पुलिस को देख कर सभी भाग खड़े हुए।

आजतक के रिपोर्ट के अनुसार विकास दुबे सरेआम आठों पुलिसवालों के शवों को गाँव के चौराहे पर जलाना चाहता था। और इस घिनौने करतूत में उसका साथ गाँव वाले दे रहे थे। गाँव वाले विकास दुबे के ख़ौफ के नीचे वर्षों से दबे हुए हैं।

विकास दुबे ने कानपुर में इतनी दहशतगर्दी मचा रखी है कि अभी भी कोई उसके खिलाफ अपना मुँह खोलने को तैयार नहीं। पुलिसवालों के पूछने के बाद भी किसी ने कुछ भी उस रात की घटना या विकास से जुड़ी जानकारी उनसे साझा नहीं की। प्रशासन की तरफ से विकास के घर को तोड़ते वक्त भी कोई गाँव वाला घर से बाहर निकल कर देखने नहीं आया। इतने बड़े हत्याकांड पर भी इलाके के सभी लोगों ने चुप्पी साधी हुई है।

गौरतलब है कि इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस को आशंका है कि उसे प्रशासन और राजनीति में पैठ किए लोगों से मदद मिल रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस बात को समझा है और आपराधिक नेटवर्क को जड़ से ख़त्म करने के लिए विकास दुबे को संरक्षण और समर्थन देने वाले हर उस व्यक्ति की सूची बनाई जा रही है, जिसने उसकी मदद की है।

ये मामला मुख्यमंत्री और उनके सरकार की छवि को भी नुकसान पहुँचाने वाला बन गया है, इसीलिए सीएम योगी सख्त हैं। विकास दुबे से जुड़े सारे नेताओं की लिस्ट तैयार की जा रही है, चाहे वो किसी भी राजनीतिक पार्टी में क्यों न हों। इस काम में प्रशासनिक तंत्र के साथ-साथ ख़ुफ़िया विभाग भी लगा हुआ है। यहाँ तक कि भाजपा के भी जिन नेताओं के विकास दुबे से सम्बन्ध हैं, उनका भी ब्यौरा जुटा कर आगे की कार्रवाई तैयार की जा रही है।

इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है कि सब कुछ एकदम गोपनीय तरीके से हो। जिन भी नेताओं पर शक की सूई घूमेगी, उन्हें स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तलब करेंगे और उनसे स्पष्टीकरण माँगा जाएगा। सरकार के भी एक मंत्री के साथ विकास दुबे की तस्वीर वायरल हो रही है, जिसे लेकर सीएम योगी सख्त हैं। विकास दुबे के संरक्षण गैंग पर पुलिस-प्रशासन की टेढ़ी नज़र है और उन्हें बेनकाब किया जाना है।

इधर विकास दुबे पर इनामी राशि भी बढ़ा दी गई है। उस पर 1 लाख रुपए का इनाम रखा गया है। साथ ही उसके 18 अन्य गुर्गों पर भी 25-25 हज़ार रुपए का इनाम रखा गया है। यह भी पता चला है कि विकास दुबे ने पहले ही पुलिस विभाग को धमकी दी थी, जिसे उतनी गंभीरता से नहीं लिया गया। अपनी धमकी में उसने पुलिसिया कार्रवाई के बाद बागी हो जाने की बात कही थी। पुलिस बल में कम ही जवान थे, जिससे उसे फरार होने का मौका मिल गया।

कानपुर मुठभेड़ के आरोपित विकास दुबे को पकड़ने के लिए यूपी पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है और इसमें कई टीमें लगाई गई हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसे ‘ब्राह्मण बनाम ठाकुर’ बना कर पेश करते हुए उसके समर्थन में लिख रहे हैं। सोशल मीडिया में लोग पुलिस के जवानों के बलिदान का अपमान करते हुए विकास दुबे के कृत्य को सही ठहरा रहे हैं, जिसके कारण कई केस दर्ज किए गए हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया