Sunday, November 3, 2024
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ST इलाकों में लैंड के लिए लव जिहाद: जनजातीय लड़कियों को दूसरी-तीसरी बीवी बना रहे मुस्लिम, PFI ने इसी ट्रिक से खरीदा था 10000 एकड़ जमीन

PFI के सदस्य आदिवासी लड़कियों से शादी कर उनके नाम से जमीन खरीद रहे हैं। ऐसा करके बांग्लादेशी घुसपैठिए खुद को आसानी से झारखंड का निवासी सकते हैं। दरअसल, मुस्लिमों से शादी करने वाली आदिवासी महिला अपने दस्तावेज में पति का नाम न दिखाकर पिता का नाम दर्ज कराती है। इससे उसकी जमीन का मालिक उसका गैर-जनजातीय पति बन जाता है।

देश के जनजातीय समुदाय की लड़कियों के साथ शादी करके उनकी जमीनों को हड़ने का षडयंत्र देश भर में चल रहा है। अभी हाल ही में इस संबंध में मध्य प्रदेश सरकार ने एक कानून बनाया है, लेकिन इससे सबसे त्रस्त झारखंड वोट बैंक की राजनीति के कारण इसे नजरअंदाज कर रहा है।

झारखंड के विभिन्न इलाकों, खासकर साहिबगंज संताल परगना में जनजातीय युवतियों से मुस्लिम लड़के प्रेम के नाम पर दुष्कर्म, हत्या और उनकी जमीनों हो हड़पने के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। मुस्लिम समुदाय के अनेक युवक शादीशुदा होने के बावजूद जनजातीय युवतियों को प्रेमजाल में फँसाकर शादी कर रहे हैं।

शादी करने के बाद मुस्लिम युवकों द्वारा इन जनजातीय युवतियों को उन क्षेत्रों में चुनाव लड़वाते हैं, जो उनके लिए आरक्षित होते हैं। कई बार आदिवासियों की जमीनों को खरीदने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं। इतना ही नहीं, इस शादी के नाम पर मुस्लिम समुदाय के लोग वनवासियों के बीच अपनी पैठ बढ़ाते हैं और उनकी लड़कियों को नौकरी आदि का लालच देकर मानव तस्करी कर देह व्यापार में धकेल देते हैं।

पहाड़िया आदिवासियों के पास काफी जमीन हैं। ऐसे में अगर कोई मुस्लिम युवक इनकी समुदाय की लड़कियों से शादी करता है तो बाद में उनकी जमीनों पर कब्जा कर लेता है। बोरियो इलाके में पिछले एक साल में 100 से अधिक मुस्लिम युवकों ने जनजातीय युवतियों से प्रेम विवाह किया है। पहाड़िया समुदाय की बोरियो, बरहेट, तालझारी औऱ पतना प्रखंड में अच्छी-खासी आबादी है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 80 प्रतिशत पहाड़िया जनजातीय धर्मांतरण कर ईसाई बन चुके हैं। अब मुस्लिमों की इन पर नजर लगाए हैं। इस तरह इस जनजाति की संख्या दिनों-दिन घटती जा रही है। संताल परगना की प्रमुख आदिवासी जनजाति संताल से पहाड़िया की प्रतिद्वंद्विता है। ऐसे में मौका तलाशने वालों को मौका भी मिल जाता है।

प्रतिबंधित PFI का जमीनों पर कब्जा

अमित मालवीय ने कहा कि जनजातीय महिला की हत्या को PFI के भारत में इस्लामिक सत्ता कायम करने वाले एजेंडे के साथ देखना चाहिए। जनजातीय महिलाओं को दूसरी बीवी की तरह लेना, फिर उनके माध्यम से चुनाव जीतना, ज़मीन पर क़ब्ज़ा करना, रणनीति का हिस्सा है। जनजातीय महिला के बाद संपत्ति गैर-जनजातीय पति की होती है।

भाजपा नेता अमित मालवीय ने भी साहिबगंज में दो दिन पहले पहाड़िया समुदाय की एक युवती रबिका पहाड़न को उसके मुस्लिम शौहर दिलदार अंसारी ने 12 टुकड़ों में काटने का मामला उठाया। दिलदार से रबिका से शादी करने के एक सप्ताह बाद ही उसकी हत्या कर इलेक्ट्रिक कटर से शव को टुकड़े-टुकड़े कर फेंक दिया था।

इस काम में मुस्लिम की मदद प्रतिबंधित इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) भी कर रहा है। इसके आधार पर प्रतिबंध के बावजूद वह अपना आधार लगातार झारखंड में बढ़ा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस तरह की शादियों के जरिए PFI ने झारखंड के करीब 10,000 एकड़ जमीन खरीद कर कब्जा कर लिया है।

करीब चार पहले झारखंड पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने पुलिस मुख्यालय को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि PFI प्रतिबंध के बावजूद पीएफआई पाकुड़, जामताड़ा, साहेबगंज और गोड्‌डा में संगठन का विस्तार कर रहा है।

झारखंड में जिन जगहों पर PFI ने सबसे अधिक जमीनें खरीदी हैं उनमें राजमहल, उधवा, तालझारी और बरहेट प्रखंड के अयोध्या, जोगोटोला, वृंदावन, करमटोला, महाराजपुर, बालूग्राम, गंगटिया, जाेंका, तीन पहाड़ बाजार और पाकुड़ के चंद्रापाड़ा, राशिपुर, जोगाडीह व पादरकोला गाँव शामिल हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कई गाँवों में PFI ने जमीनों पर कब्जा कर लिया और बाद में उसे औने-पौने दामों में खरीद लिया। PFI इस काम के लिए ना सिर्फ स्थानीय मुस्लिमों का इस्तेमाल कर रहा है, अवैध रूप से इन इलाकों में रहने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों को भी फंडिंग कर रही है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि इन जनजातियों युवतियों से शादियों के जरिए ना सिर्फ चुनाव लड़ा कर सत्ता में दखल बढ़ाई जा रही है और जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है, बल्कि इसके जरिए नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजंस (NRC) से बचने का उपाय भी किया जा रहा है। संथाल परगना के चार जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ मिलकर PFI ने वनवासियों की जमीन बड़े पैमाने पर खरीदी है। 

PFI के सदस्य आदिवासी लड़कियों से शादी कर उनके नाम से जमीन खरीद रहे हैं। ऐसा करके बांग्लादेशी घुसपैठिए खुद को आसानी से झारखंड का निवासी सकते हैं। दरअसल, मुस्लिमों से शादी करने वाली आदिवासी महिला अपने दस्तावेज में पति का नाम न दिखाकर पिता का नाम दर्ज कराती है। इससे उसकी जमीन का मालिक उसका गैर जनजातीय पति बन जाता है।

इस पर रोक के लिए मध्य प्रदेश ने PESA कानून बनाया

इस समस्या को देखते हुए पिछले महीने यानी नवंबर 2022 में मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान ने अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार अधिनियम (PESA Act) लागू किया है। इस कानून के तहत जनजातीय क्षेत्र की ग्राम सभाओं को अधिक शक्तियाँ दी गई हैं, ताकि जनजातीय लोगों की जमीन पर कब्जा करने के उद्देश्य से जनजातीय महिलाओं से विवाह एवं धर्मांतरण पर रोक लगाई जा सकें।

इसे लागू करने की घोषणा करते हुए सीएम मुख्यमंत्री चौहान ने कहा था, “कई बार धोखे से, छल-कपट से, हमारी जनजातीय बहनों-बेटियों को लालच देकर विवाह कर लिया जाता है, उनके नाम पर जमीन दे दी जाती है और वह जनजातीय भूमि कहलाती है। कभी-कभी धर्मांतरण का भी उपयोग किया जाता है। अब हम मध्य प्रदेश में ऐसा नहीं दिया जाएगा।”

मध्य प्रदेश में इस कानून के तहत राज्य के 89 जनजातीय ब्लॉकों के अंतर्गत आने वाले 5,212 पंचायतों के 2,350 गाँवों की ग्राम सभाओं को स्व-शासन की अनुमति दिया गया है। मध्य प्रदेश PESA Act लागू करने वाला देश का सातवाँ राज्य बन चुका है। इसके पहले 6 राज्य- हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र पेसा कानून बना चुके हैं।

बता दें कि PFI पर पूरे देश में प्रतिबंध लगने से पहले झारखंड देश का पहला राज्य था, जिसने इस कट्टरपंथी संगठन पर प्रतिबंध लगाया था। झारखंड सरकार ने 21 फरवरी 2018 को PFI पर प्रतिबंध लगा दिया था। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने PFI का अन्य आतंकी संगठनों से जुड़े होने के सबूत मिलने के बाद उस पर और उसके 8 सहयोगी संगठनों पर सितंबर 2022 में पाँच साल के लिए प्रतिबंध लगाया दिया है।

PFI के डॉक्युमेंट में जनजातीय लोगों से नजदीकी का जिक्र

प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने भारत को साल 2047 तक इस्लामी राष्ट्र बनाने के अपने ‘विजन डॉक्युमेंट’ में इस साजिश का उल्लेख किया है। छापेमारी में जब्त किए गए दस्तावेज में कहा गया है,  “पार्टी को ‘राष्ट्रीय ध्वज’, ‘संविधान’ और ‘अंबेडकर’ जैसी अवधारणाओं का उपयोग इस्लामी शासन स्थापित करने के वास्तविक इरादे को ढालने के रूप में और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/ओबीसी तक पहुँचने के लिए करना चाहिए।

PFI ने अपने विजन डॉक्यूमेंट आगे लिखा था, “इस चरण में पीएफआई का कहना है कि पार्टी (PFI) को एससी/एसटी/ओबीसी समुदाय के साथ घनिष्ठ गठबंधन बनाना चाहिए और चुनाव में कम-से-कम कुछ सीटें जीतनी चाहिए। PFI जो गठबंधन बनाना चाहता है, उसमें 50% मुस्लिमों की हिस्सेदारी और 10% एससी/एसटी/ओबीसी की हिस्सेदारी होगी। हमें यह दिखाकर आरएसएस और एससी/एसटी/ओबीसी के बीच एक विभाजन पैदा करने की जरूरत है कि आरएसएस केवल उच्च जाति के हिंदुओं के हित की बात करने वाला संगठन है।”

धर्मांतरण के जरिए जनसंख्या बढ़ाने के साथ-साथ जनजातीय इलाकों में जमीनों की क्यों जरूरत है, इसका खुलासा भी PFI के डॉक्युमेंट में किया गया है। इसमें लिखा है, “हमारे पास एडवांस PE पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए अभी तक उचित एवं एकांत प्रशिक्षण केंद्र/स्थान नहीं हैं। चुनौती का सामना करने के लिए इकाइयों को मुस्लिम बहुल इलाकों या दूरदराज के स्थानों में भूखंडों का अधिग्रहण करना चाहिए, ताकि हथियारों और विस्फोटकों के भंडार के लिए उचित प्रशिक्षण सुविधाएँ और डिपो स्थापित किए जा सकें।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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