Thursday, January 2, 2025
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आसिफ, असलम, असीम, सलीम… ऐसे नाम वाले कुल 28 चंदन गुप्ता की हत्या के दोषी, 3 जनवरी को कोर्ट सुनाएगी सजा: कासगंज में तिरंगा यात्रा के दौरान मारी थी गोली

NIA स्पेशल कोर्ट ने चंदन गुप्ता हत्याकांड में आसिफ कुरैशी उर्फ हिटलर, असलम, असीम, शबाब, साकिब, मुनाजिर रफी, आमिर रफी, सलीम, वसीम, नसीम, बबलू, अकरम, तौफीक, मोहसिन, राहत, सलमान, आसिफ जिम वाला, निशु, वासिफ, इमरान , शमशाद, जफर, शाकिर, खालिद परवेज, फैजान, इमरान, शाकिर, जाहिद उर्फ जग्गा को दोषी माना है।

कासगंज में चंदन गुप्ता हत्याकांड मामले में NIA कोर्ट ने 28 आरोपितों को दोषी माना है। 2 आरोपितों को बरी कर दिया गया है। यह सुनवाई उत्तर प्रदेश के लखनऊ NIA कोर्ट में गुरुवार (2 जनवरी, 2025) को हुई है। इन 28 आरोपितों को शुक्रवार (3 जनवरी, 2025) को सजा सुनाई जाएगी। चंदन गुप्ता हत्याकांड में इस फैसले को लेकर लम्बे समय से परिवार इंतजार कर रहा था। चंदन गुप्ता की हत्या मुस्लिमों ने 26 जनवरी, 2018 को कर दी थी जब वह एक तिरंगा यात्रा में शामिल थे।

NIA स्पेशल कोर्ट ने चंदन गुप्ता हत्याकांड में आसिफ कुरैशी उर्फ हिटलर, असलम, असीम, शबाब, साकिब, मुनाजिर रफी, आमिर रफी, सलीम, वसीम, नसीम, बबलू, अकरम, तौफीक, मोहसिन, राहत, सलमान, आसिफ जिम वाला, निशु, वासिफ, इमरान , शमशाद, जफर, शाकिर, खालिद परवेज, फैजान, इमरान, शाकिर, जाहिद उर्फ जग्गा को दोषी माना है। इन्हें हत्या समेत कई धाराओं में कोर्ट में दोषी ठहराया है। इन्हें शुक्रवार को सजा सुनाई जाएगी।

गणतंत्र दिवस के दिन चंदन गुप्ता बाकी युवाओं के साथ कासगंज में एक बाइक रैली निकाल रहे थे। यह बाइक रैली तिरंगों के साथ निकाली गई थी। जब यह रैली राजकीय बालिका इंटर कॉलेज के पास पहुँची तो यहीं पर मुस्लिम युवकों ने हमला कर दिया। मुस्लिम युवकों ने हिन्दुओं पर फायरिंग की और पत्थर बरसाए। चंदन गुप्ता को निशाना बना कर गोली मारी गई, इसके चलते उनकी मौत हो गई। इसके बाद कासगंज में काफी हिंसा हुई। मामले में वसीम, नसीम समेत कई आरोपित पुलिस ने पकड़े थे। इनमें से एक को छोड़ कर बाकी को जमानत भी मिल गई थी।

मामले में 7 साल बाद चंदन गुप्ता के परिवार को न्याय मिलने जा रहा है। इस बीच चंदन गुप्ता का परिवार आर्थिक और मानसिक रूप से जूझता रहा है। उनके घर में सुरक्षा को लेकर चिंताएँ भी रही हैं। उनके परिवार से किए गए कई वादे भी नहीं पूरे हुए। परिवार को किया गया नौकरी का वादा भी आधा अधूरा रहा और यहाँ तक कि उनके परिवार पर दबाव भी बनाया गया। केस खत्म करने तक के ऑफर दिए गए थे। इसको लेकर ऑपइंडिया ने चंदन गुप्ता के परिवार से 2022 में बात की थी।

चंदन गुप्ता के पिता सुशील गुप्ता ने ऑपइंडिया को बताया था, “चंदन की हत्या के बाद लगभग 1 साल तक मेरे परिवार को पुलिस सुरक्षा मिली थी। बाद में यह हटा ली गई। मेरा बड़ा बेटा विवेक गुप्ता इस केस का गवाह है। पहले वो मेडिकल रिप्रेजेंटिव की नौकरी करता था। लेकिन अब हमने डर से उसकी नौकरी छुड़वा दी है। हमें कई बार धमकियाँ भी मिली है। अब घर के खर्चों की पूरी जिम्मेदारी अकेले मेरे ऊपर है। मैं एक प्राइवेट अस्पताल में कम्पाउंडर हूँ। एक बेटी की शादी की भी जिम्मेदारी है।”

भावुक हो गए थे पिता

सुशील गुप्ता ने ऑपइंडिया को बताया था कि चंदन की हत्या में आरोपित 29 नामजदों में से 28 जेल से बाहर आ गए हैं। हाई कोर्ट से इन सबको जमानत मिल गई थी। सुशील गुप्ता ने बताया था कि आरोपित आर्थिक तौर पर मजबूत हैं, इसके कारण उन्हें मुकदमा लड़ने में सहूलियत है।

गुप्ता ने कहा था, “कासगंज कोर्ट में जब सुनवाई होती थी तो हमारी तरफ से 3-4 लोग होते थे, जबकि आरोपितों की तरफ से 100-200 लोग जमा हो जाते थे। वे दवाब बनाने की कोशिश करते थे। इसलिए हमने अपने पैसे से हाई कोर्ट में मुकदमा लड़ा और केस लखनऊ ट्रांसफर करवाया है। अब हम पैरवी के लिए लखनऊ बिना सुरक्षा के जाते हैं।”

सुशील गुप्ता के मुताबिक, “चंदन की हत्या के केस में आधे दर्जन से अधिक गवाह थे। लेकिन, अब एकाध को छोड़ अन्य गवाही देने से पीछे हट रहे हैं। अब उनका ही बेटा चश्मदीद गवाह बचा है। इसलिए परिवार उसकी सुरक्षा को लेकर भी चिंतित रहता है।”

सुशील गुप्ता लोग इस बातचीत में भावुक भी हो गए थे। रोते हुए उन्होंने बताया, “चंदन के न रहने के बाद वादों की झड़ी लगा दी गई थी। मेरी बेटी को सरकारी नौकरी और शहर के एक चौराहे का नाम चंदन के नाम पर रखने की बात कही गई थी। मेरी बेटी MSc की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। उसको ब्लॉक स्तर पर एक नौकरी दी गई जो 5 महीने बाद खत्म कर दी गई।”

रक्षाबंधन के दिन नहीं बना घर में खाना

सुशील गुप्ता ने बताय, “रक्षाबंधन के दिन मेरी बेटी अपने भाई को याद कर लगातार रोती रही। उस दिन दुःख में हमारे घर में खाना नहीं बना। बहन ने अपने भाई की फोटो के आगे राखी और मिठाई रखी हुई है। चंदन की माता अक्सर उस दिन को याद करते हुए बीमार पड़ जाती हैं। सरकार ने तब हमें 20 लाख रुपए की मदद की थी, वो पैसे इस केस की पैरवी और आरोपितों को सजा दिलाने में ही काम आ रहे हैं।”

सुशील गुप्ता ने आरोप लगाया था कि लेकिन उन पर केस खत्म करने का दबाव बनाने के लिए जो लोग भेजे जा रहे हैं, वे हिन्दू ही हैं। वे उनके पास तमाम तरह के ऑफर और प्रलोभन लेकर आते हैं। उन्होंने बताया था कि मेरा बेटा नहीं रहा तो मैं भी मरने को तैयार हूँ लेकिन दोषियों को सजा दिलाने के लिए अंतिम साँस तक लड़ूँगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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