दिशा सालियान की मौत के मामले में उनके पिता सतीश सालियान ने मुंबई पुलिस में लिखित शिकायत देकर शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे, एक्टर डिनो मोरिया, सूरज पंचोली और कुछ पुलिस वालों के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। सतीश का दावा है कि उनकी बेटी के साथ गैंगरेप हुआ और फिर उसकी हत्या कर दी गई। इस शिकायत में आदित्य ठाकरे को मुख्य आरोपित बताया गया है, साथ ही तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर सच को दबाने का इल्जाम लगाया गया है। वकील नीलेश ओझा ने कहा कि ये शिकायत जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस ने स्वीकार कर ली है और इसमें परमबीर सिंह का नाम भी है, जो उस वक्त मुंबई पुलिस कमिश्नर थे। ओझा का कहना है कि परमबीर ने सबूत मिटाने और मामले को रफा-दफा करने में अहम रोल निभाया।
परमबीर सिंह को इस FIR में कवरअप का मास्टरमाइंड कहा गया है। शिकायत में दावा है कि उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके झूठ बोला और आदित्य ठाकरे को बचाने की कोशिश की। सतीश सालियान और उनके वकील का आरोप है कि परमबीर ने पुलिस की ताकत का गलत इस्तेमाल किया और सच को सामने आने से रोका। ये पहली बार नहीं है जब परमबीर सिंह किसी विवाद में फँसे हों। परमबीर का नाम पहले भी कई बड़े मामलों में आ चुका है, जहाँ उन पर गंभीर इल्जाम लगे हैं।
कर्नल पुरोहित को यातनाएँ देने में परमबीर सिंह रहा आगे
साल 2008 के मालेगांव बम धमाके में कर्नल श्रीकांत पुरोहित को आरोपित बनाया गया था। कर्नल ने कोर्ट में बताया कि परमबीर सिंह और ATS के अफसरों ने उन्हें टॉर्चर किया। उनके साथ मारपीट, गालियाँ और प्राइवेट पार्ट्स पर हमला किया गया, ताकि वो ‘भगवा आतंकवाद’ का नैरेटिव कबूल लें। कर्नल का कहना है कि परमबीर ने कॉन्ग्रेस की शह पर उन्हें फँसाया और उनकी जिंदगी बर्बाद कर दी।
सलमान खान के साथ पार्टी करता था परमबीर
साल 2012 में सलमान खान के हिट एंड रन केस में समन नहीं पहुँचा, क्योंकि पुलिस ने कहा वो शहर से बाहर हैं। बाद में खुलासा हुआ कि सलमान उस वक्त मुंबई में ही थे और परमबीर सिंह के साथ पार्टी कर रहे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, परमबीर ने सलमान को बचाने की कोशिश की। इसने सवाल उठाया कि क्या परमबीर बड़े लोगों को फायदा पहुँचाने में लगे थे।
परमबीर ने छिपाया 26/11 हमले के दोषी कसाब का फोन
रिटायर्ड ACP शमशेर खान पठान ने दावा किया कि 26/11 हमले में कसाब के पास से मिला फोन परमबीर ने अपने पास रख लिया। इस फोन से पाकिस्तान के हैंडलर्स का पता चल सकता था, लेकिन परमबीर ने इसे जाँच टीम को नहीं दिया। पठान ने मुंबई पुलिस कमिश्नर को लिखे पत्र में कहा था कि 26/11 के बाद कसाब के पास से मिले जिस फोन को परमबीर सिंह ने जब्त किया, कथित तौर पर उसी फ़ोन पर कसाब को उसके आका पाकिस्तान से ऑर्डर दे रहे थे।
साध्वी प्रज्ञा पर भी किया अत्याचार
परमबीर सिंह पर साध्वी प्रज्ञा को प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप हैं। प्रज्ञा ने कहा था कि मालेगांव केस में उन्हें हिरासत में टॉर्चर किया गया, उन्हें बेल्ट से इस तरह पीटा गया कि उन्हें वेंटीलेटर तक पर जाना पड़ा। उनकी रीढ़ की हड्डी भी टूट गई। उन्हें पोर्न दिखाकर भद्दे सवाल पूछे गए। साध्वी का दावा है कि परमबीर ने ‘भगवा आतंक’ का झूठा नैरेटिव बनाने के लिए ये सब किया।
26/11 हमले के समय नहीं निभाया फर्ज
मुंबई अटैक 26/11 के दौरान परमबीर सिंह पर आतंकियों से मुकाबला करने से इनकार करने का आरोप लगा। तत्कालीन कमिश्नर हसन गफूर ने कहा कि परमबीर और कुछ अफसर ड्यूटी से पीछे हट गए। एक PIL में भी दावा किया गया कि उनकी लापरवाही से कई जानें बचाई जा सकती थीं। बता दें कि 2009 में 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के तुरंत बाद हमले के दौरान कर्तव्य की लापरवाही के आरोप में परमबीर सिंह और तीन अन्य अतिरिक्त पुलिस कमिश्नरों के खिलाफ याचिका दायर की गई थी।
सिंचाई घोटाले में अजित पवार को दी थी क्लीनचिट
महाराष्ट्र में ACB के डीजी रहते हुए परमबीर ने अजित पवार को सिंचाई घोटाले में क्लीनचिट दे दी। इस घोटाले में अजित पर करोड़ों के गबन का आरोप था। परमबीर के इस फैसले पर सवाल उठे कि क्या उन्होंने राजनीतिक दबाव में ऐसा किया।
ड्रग केस में सलिल चतुर्वेदी को फँसाने का आरोप
साल 2009 में परमबीर पर प्रोवोग के को-ओनर सलिल चतुर्वेदी को ड्रग केस में फँसाने का इल्जाम लगा। CID की जाँच में पता चला कि परमबीर की टीम ने चतुर्वेदी के घर में कोकीन प्लांट की थी। बाद में चतुर्वेदी बरी हो गए।
जबरन वसूली के केस में कोर्ट में घोषित किया था भगोड़ा
2021 में परमबीर पर होटल कारोबारी बिमल अग्रवाल से 11 लाख की वसूली का केस दर्ज हुआ। समन के बावजूद वो पेश नहीं हुए। मुंबई कोर्ट ने उन्हें भगोड़ा घोषित किया और संपत्ति कुर्क करने की बात कही।
परमबीर सिंह का करियर विवादों से भरा रहा। 2021 में मुंबई कोर्ट ने उन्हें भगोड़ा घोषित किया था, लेकिन बाद में महाराष्ट्र सरकार ने कुछ केस वापस ले लिए। आज वो मुंबई के लीलावती अस्पताल में डायरेक्टर हैं। पुलिस की वर्दी से अस्पताल के बोर्डरूम तक का उनका सफर सवाल उठाता है कि क्या सच को दबाने और विवादों से बचने की उनकी कला ही उन्हें आगे ले गई। दिशा सालियान केस में उनका नाम फिर से चर्चा में है, लेकिन क्या इस बार सच सामने आएगा, ये वक्त ही बताएगा।