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Friday, April 11, 2025
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‘बेटे को बाँधकर रेलवे ट्रैक पर डाल देता’: उदयपुर घटना पर पिता को हो रही शर्मिंदगी, कश्मीरी आतंकियों के अब्बू को होता है ‘फख्र’

साल 2019 में मार गिराए गए आतंकी आदिल अहमद डार ने अपने बेटे की जिहाद के दौरान मौत पर फख्र किया था। आतंकी आदिल अहमद के अब्बू गुलाम डार ने कहा था कि उन्हें बेटे की मौत का ग़म भी है और पुलवामा हमले में बलिदान हुए सीआरपीएफ जवानों और उनके परिवारों से सहानुभूति भी, पर वह यह नहीं मान सकते कि उनके बेटे ने कोई गलती की है।

एक तरफ इस्लामिक आतंकियों के करतूतों को उसके परिजन छिपाने की कोशिश करते हैं या उसे ‘शहीद’ बताकर गर्व करते हैं तो दूसरी तरफ इसी तरह की एक घटना में एक पिता अपने बेटे के लिए फाँसी की सजा माँग रहा है। इतना ही नहीं, वह अपने बेटे की करतूत पर खुद को शर्मिंदा भई महसूस कर रहा है।

राजस्थान के उदयपुर में रेलवे ट्रैक पर हुए ब्लास्ट के मामले में एक आरोपित के पिता ने शर्मिंदगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें पता होता कि उनका बेटा इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने जा रहा है तो वे बेटे को बाँधकर रेलवे ट्रैक पर डाल देते। उन्होंने कहा कि हजारों लोगों की जिंदगी दाँव पर लगाने वाले उसके बेटे को फाँसी दे दी जाए।

आरोपित धूलचंद मीणा के पिता सवाजी मीणा ने बताया, “बेटे की करतूत पर अफसोस है, उसे फाँसी पर चढ़ा देना चाहिए। अगर ट्रेन का हादसा हो जाता तो सैकड़ों लोगों की जान चली जाती। यदि ऐसा होता तो खुद को कभी माफ नहीं कर पाता। पुलिस आई तो मुझे इस घटना के बारे में पता चला।”

उन्होंने दैनिक भास्कर को बताया कि 12 नवंबर देर शाम को ब्लास्ट की आवाज उन्होंने भी सुनी थी। उस रात धूलचंद घर आया तो नॉर्मल था। दो दिन घर में रहने के बाद भी भनक नहीं लगी कि उसने इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे दिया है।

सवाजी का कहना है कि उनके बेटे के कुछ साल पहले मानसिक स्थिति बिगड़ गई थी, लेकिन कई जगह इलाज कराया और दिखाया-सुनवाया, इसके बाद वह पिछले 2 सालों से ठीक है। वह किसी प्रकार का नशा भी नहीं करता है और ना ही उसके कुछ दोस्त हैं। वह किसी से बातचीत भी नहीं करता और अपनी पत्नी से भी कम बोलता है।

उन्होंने कहा कि मुआवजे की बात के लिए उसने धमाका किया, लेकिन ना ही उनके नाम पर और ना ही उनके पिता के नाम पर कोई जमीन थी, जिसका अधिग्रहण हुआ। जिस जमीन का अधिग्रहण हुआ, वह उनके भाई के नाम पर है। धूलचंद उनके जमीनों के दस्तावेज लेकर क्यों घूमता था, पता नहीं। उसे किसी ने चढ़ाया होगा। फिर भी उसने गलती की है और उसकी सजा उसे मिलनी चाहिए।

ध्यान देने वाली बात यह है कि एक आरोपित का पिता किसी ट्रेन दुर्घटना में लोगों के मारे जाने की आशंका से ही लज्जित हो जाता और अपने आरोपित बेटे के लिए कठोर सजा की माँग करता है। वहीं, दूसरी तरफ इस देश में कुछ ऐसे लोग भी हैं, आतंकियों की तरफदारी करते हुए उसे बचाने की कोशिश करते हैं। कुछ तो ऐसे लोग भी हैं जो अपने बेटों पर ‘फख्र’ करते हैं।

साल 2019 में मार गिराए गए आतंकी आदिल अहमद डार ने अपने बेटे की जिहाद के दौरान मौत पर फख्र किया था। आतंकी आदिल अहमद के अब्बू गुलाम डार ने कहा था कि उन्हें बेटे की मौत का ग़म भी है और पुलवामा हमले में बलिदान हुए सीआरपीएफ जवानों और उनके परिवारों से सहानुभूति भी, पर वह यह नहीं मान सकते कि उनके बेटे ने कोई गलती की है।

उन्होंने कहा था, “मुझे फ़िक्र नहीं कि बाकी दुनिया उसे क्या कह रही है। अपने लोगों के लिए वह शहीद है, उसके जनाज़े में 2-3 हज़ार लोगों की भीड़ थी। हम यह नहीं कह सकते कि वह गलत राह पर हैं।” इस तरह के बयान कई कश्मीरी आतंकियों के अब्बू ने दिए हैं।

इतना ही नहीं, मुस्लिमों के मौलाना और कॉन्ग्रेस नेता तौकीर रजा ने बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए आतंकवादी को ‘शहीद’ बता दिया था। उन्होंने कहा था, “हमारे बच्चों को इस तरह आतंकवादी कह कर मार डाला गया।” कॉन्ग्रेस नेता सलमान नियाजी ने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को भी ‘शहीद’ बताकर बचाव किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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