Monday, June 9, 2025
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प्लास्टर से छिपाए मंदिर होने के सबूत, घंटे वाली जगह पर झूमर लटकाया: संभल के जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में पेश, भीतर मिला वटवृक्ष, कुआँ और कलाकृतियाँ

संभल के कोट गर्वी में स्थित शाही जामा मस्जिद मुगल काल की है। यह जिले के सबसे पुराने स्मारकों में से एक है। मस्जिद के बारे में दावा किया जाता है कि इसे मीर बेग ने बाबर के निर्देश पर 1529 में बनवाया था। हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद हिंदुओं के हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। इसको लेकर कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। कोर्ट के आदेश पर यहाँ सर्वे किया गया था।

उत्तर प्रदेश के संभल में विवादित शाही जामा मस्जिद ढाँचे की सर्वे रिपोर्ट कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने सीलबंद लिफाफे में चंदौसी कोर्ट को सौंप दी है। यह रिपोर्ट 45 पन्नों की है। सूत्रों के अनुसार, सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आदित्य सिंह की अदालत में पेश किए गए रिपोर्ट में ढाँचे वाली जगह पर हिंदू मंदिर होने के पुख्ता सबूत हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस सीलबंद लिफाफे को खोला जाएगा।

जानकारी के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद परिसर में दो बरगद के पेड़ हैं, जो आमतौर पर हिंदू मंदिरों से जुड़े होते हैं और वहाँ उनकी पूजा होती है। इसके अलावा, वहाँ एक कुआँ भी है, जिसका एक हिस्सा परिसर में और दूसरा बाहर स्थित है। कुएँ के बाहरी हिस्से को ढक दिया गया था। सर्वे रिपोर्ट में लगभग साढ़े चार घंटे की वीडियोग्राफी शामिल थी, जिसके दौरान लगभग 1,200 तस्वीरें ली गई थीं।

सर्वेक्षण के पहले दिन 19 नवंबर 2024 को करीब डेढ़ घंटे की वीडियोग्राफी की गई थी। इसके बाद 24 नवंबर को तीन घंटे की वीडियोग्राफी की गई थी। जामा मस्जिद के अंदर पचास से ज़्यादा फूलों के पैटर्न की पहचान की गई है। इसके अलावा, मूल संरचना में बदलाव के साथ-साथ नए निर्माण के संकेत भी मिले हैं। मंदिर के स्वरूप पर प्लास्टर चढ़ा दिया गया है और उस पर रंग-रोगन किया गया है।

कहा जा रहा है कि विवादित मस्जिद में ऐसे प्रतीक हैं, जो उस ऐतिहासिक काल के मंदिरों और हिंदू स्थलों पर हुआ करते थे। मंदिर की मूल वास्तुकला को उसके दरवाजों, खिड़कियों और विस्तृत रूप से सजाए गए दीवारों पर प्लास्टर और पेंट के जरिए छिपा दिया गया है। गुंबद के बीच घंटा लटकाने वाली लोहे की जंजीर भी मिली है। इस पर फिलहाल झूमर लटकाया गया है।

इस तरह की जंजीर आमतौर पर मंदिरों में घंटा लटकाने या शिवलिंग पर 24 घंटे जलाभिषेक करने वाले घड़े को टाँगने के लिए किया जाता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गुंबद के हिस्से को प्लेन कर दिया गया है। मंदिर के दीवारों, झरोखों और विभिन्न तरह से अलंकृत दीवारों पर करीब 50 कलाकृतियाँ मिली हैं। इन कलाकृति को ढकने के लिए उन पर प्लास्टर चढ़ा दिया गया है।

कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने कहा, “19 नवंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें दावा किया गया था कि शाही जामा मस्जिद मूल रूप से हरिहर मंदिर है। उसी दिन मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। जब यह पूरा नहीं हो सका तो कोर्ट कमिश्नर ने DM और SP के साथ आगे के सर्वेक्षण कार्य के लिए 24 नवंबर को फिर से मस्जिद का दौरा किया।”

उन्होंने बताया, “इस दौरान हिंसा भड़क गई, जिसमें करीब चार लोगों की मौत हो गई। रिपोर्ट पहले 9 दिसंबर को कोर्ट में पेश की जानी थी, लेकिन कोर्ट कमिश्नर ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए 15 दिन का अतिरिक्त समय माँगा। आज करीब 40 से 45 पन्नों की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई है।” बता दें कि सर्वे के बाद कट्टरपंथियों द्वारा हमला कर दिया गया था, जिससे संभल में सांप्रदायिक तनाव हो गया था।

संभल में पुलिस और सर्वे टीम पर हमला करके हिंसा भड़काने वाले लोगों के खिलाफ़ कार्रवाई जारी है। इस मामले में अब तक 50 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है। इनमें से कई लोग दिल्ली तक से गिरफ्तार हुए हैं। हिंसा में शामिल अन्य करीब 90 लोगों को पकड़ने के लिए पुलिस टास्क फोर्स का गठन किया गया है। इस मामले में अभी तक 11 मामले दर्ज किए गए हैं।

कहा जाता है कि संभल के कोट गर्वी में स्थित शाही जामा मस्जिद मुगल काल की है। यह जिले के सबसे पुराने स्मारकों में से एक है। मस्जिद के बारे में दावा किया जाता है कि इसे मीर बेग ने बाबर के निर्देश पर 1529 में बनवाया था। हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद हिंदुओं के हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। इसको लेकर कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। कोर्ट के आदेश पर यहाँ सर्वे किया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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