उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 24 नवंबर 2024 को शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा मामले में 11वीं चार्जशीट दाखिल हो गई है। संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जियाउर्रहमान बर्क, सपा विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल सहित 23 लोगों के खिलाफ चंदौसी की MP-MLA कोर्ट में 1000 से ज्यादा पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है।
इस चार्जशीट में हिंसा की साजिश, भड़काऊ भाषण और भीड़ को उकसाने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। बता दें कि संभल हिंसा ने पूरे राज्य में सनसनी मचा दी थी। इस घटना में चार लोगों की मौत हुई थी, जबकि 29 पुलिसकर्मी और कई आम नागरिक घायल हो गए थे।
हिंसा की शुरुआत तब हुई जब कोर्ट के आदेश पर शाही जामा मस्जिद और श्रीहरिहर मंदिर के बीच विवादित स्थल का सर्वेक्षण करने के लिए एडवोकेट कमिश्नर की टीम पहुँची थी। हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद उस जगह बनी है, जहाँ पहले हरिहर मंदिर था। सर्वे के विरोध में सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हो गई और देखते ही देखते हालात बेकाबू हो गए। भीड़ ने पथराव, आगजनी और गोलीबारी शुरू कर दी।
इस दौरान कई पुलिस वाहन जलकर खाक हो गए, और डिप्टी कलेक्टर रमेश बाबू सहित कई अधिकारी घायल हो गए। डिप्टी कलेक्टर ने अपनी शिकायत में कहा कि भीड़ ने उन्हें जान से मारने की नीयत से हमला किया था।
पुलिस ने इस मामले में अब तक 90 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें जामा मस्जिद के सदर जफर अली भी शामिल हैं। जफर अली ने पूछताछ में दावा किया कि 23 नवंबर 2024 की रात को सपा सांसद बर्क ने उनसे फोन पर बात की थी।
पुलिस का कहना है कि इस बातचीत में हिंसा की साजिश रची गई। चार्जशीट में यह भी उल्लेख है कि सुहैल इकबाल ने भीड़ को उकसाते हुए कहा था, “सांसद बर्क हमारे साथ हैं, अपने मंसूबे पूरे करो।” इसके बाद पथराव और गोलीबारी शुरू हो गई, जिसमें एक गोली सीओ के पैर में लगी।
सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है कि वह घटना के दौरान संभल में मौजूद नहीं थे और यह सब राजनीति से प्रेरित है। बर्क ने यह भी कहा कि वह कानून और संविधान में विश्वास रखते हैं और जाँच में पूरा सहयोग कर रहे हैं।
8 अप्रैल 2025 को एसआईटी ने बर्क से नखासा थाने में ढाई घंटे तक पूछताछ की थी। इस दौरान बर्क 10 वकीलों के साथ थाने पहुँचे थे। हालाँकि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी है, लेकिन जाँच में सहयोग करने का आदेश दिया है।
पुलिस की जाँच में यह भी सामने आया कि हिंसा में इस्तेमाल हुए हथियारों में 315 बोर की गोलियाँ शामिल थीं, जो आमतौर पर तमंचों में इस्तेमाल होती हैं। पुलिस ने कुछ घरों से धारदार हथियार भी बरामद किए, जिनमें एक अनोखा हथियार था, जिससे दोनों तरफ से वार किया जा सकता था।
पुलिस का दावा है कि यह हिंसा सुनियोजित थी और शुक्रवार (22 नवंबर) को जुमे की नमाज के बाद भड़काऊ बयानों से भीड़ को उकसाया गया था। बर्क ने कहा था कि मस्जिद हमेशा रहेगी। अगर हम इसे नहीं बचाएँगे, तो दुनिया हम पर थूकेगी। बर्क ने कहा था, ‘जामा मस्जिद का सर्वे हुआ तो कौम (मुस्लिम) हम पर ही थूकेगी।’
संभल हिंसा मामले में 12 एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें से 10 में पहले ही चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। ये 11वाँ केस है, जिसमें चार्जशीट दाखिल की गई थी। इन एफआईआर में दंगा भड़काने, हत्या के प्रयास, सरकारी कार्य में बाधा डालने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने जैसे अपराध शामिल हैं। चार्जशीट में 700-800 अज्ञात लोगों को भी आरोपित बनाया गया है।