सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और राज्य सरकारों से “फ्री की रेवड़ी” की राजनीति पर जवाब माँगा। कोर्ट ने कहा कि यह राजनीति देश के लिए हानिकारक है और इसे रोकने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले की सुनवाई करते हुए बिहार की जातीय जनगणना के आँकड़ों को जारी करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
मुफ्त की रेवड़ियों पर सख्त हुई सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने ‘मुफ्त की रेवड़ी‘ वाले कल्चर पर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ ही, मध्य प्रदेश, राजस्थान और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर शुक्रवार तक जवाब माँगा है। इस केस की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच कर रही है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिका कर्ता से पूछा कि वो सीधे यहाँ क्यों पहुँचे, तो याचिकाकर्ता भट्टूलाल जैन की ओर से कहा गया कि दो राज्यों में चुनाव हैं। दोनों राज्यों पर काफी कर्ज है, उसके बावजूद बड़े वादे किए जा रहे हैं।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनकी याचिका को दूसरों मामलों के साथ जोड़ा जा सकता है, क्योंकि ऐसी याचिकाएँ सुप्रीम कोर्ट में पहले से लंबित हैं, जिनपर सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों और चुनाव आयोग ने शुक्रवार तक जवाब माँगा है, साथ ही अगली सुनवाई के लिए 4 सप्ताह का समय भी दिया है।
बिहार की जातीय जनगणना के आँकड़ों को जारी करने की इजाजत
एक अन्य अहम मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को जातीय जनगणना के और आँकड़े प्रकाशित करने से रोकने से मना कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को नीतिगत फैसले लेने से नहीं रोका जा सकता। जस्टिस संजय खन्ना और जस्टिस एस एन भट्टी की बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई।
Supreme Court issues notice to Bihar Government on the plea relating to caste-based survey in the state and lists the matter for January 2024.
— ANI (@ANI) October 6, 2023
Supreme Court refuses to stay the issue arising due to the publishing of data of the caste-based survey in the state. pic.twitter.com/UClBeLEve5
इसमें एक एनजीओ ने कहा है कि जातीय जनगणना के आँकड़ों को जारी करने से रोका जाए, क्योंकि इससे लोगों की निजी जानकारी बाहर आ जाएगी। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने जातिगत जनगणना पर रोक नहीं लगाई, ये जरूर किया है कि बिहार सरकार को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है।
जदयू ने किया फैसले का स्वागत
वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जदयू ने स्वागत किया है। बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि जातिगत जनगणना का समर्थन करने वालों के लिए ये खुशी का मौका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसका श्रेय जाता है। उन्होंने ही पंचायत राज सिस्टम में महिलाओं और दलितों को आरक्षण भी दिया था।
#WATCH | On Supreme Court refusing to stay Bihar caste-based survey, Bihar Minister Ashok Choudhary says, "…It is a matter of joy for people like us who support this (caste-based survey). It is good. This is delightful for those who support the caste-based census and are in… https://t.co/0ClRxnzlJb pic.twitter.com/aypjGSiixP
— ANI (@ANI) October 6, 2023