Wednesday, July 16, 2025
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ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे महुआ ने ठगा नहीं: कभी राहुल की सिपाही थीं, ‘मेरा भारत जवान’ के बाद ममता से होते हुए अनंत तक पहुँचीं मोइत्रा

जिस राहुल गाँधी का सिपाही बन महुआ मोइत्रा ने पॉलिटिक्स में कदम रखा, प्रभावित होकर 'मेरा भारत जवान' के सपने देखती थीं... उसी 'युवा नेता' को कह दिया कि कॉन्ग्रेस सिर्फ हारने वाली पार्टी है।

महुआ मोइत्रा पिछले काफी समय से चर्चा में हैं। कभी अपने बड़बोलेपन के लिए, तो कभी पासवर्ड शेयरिंग के लिए। फिर संसद से सदस्यता गँवाने की वजह से और इस बीच अपने प्रेम संबंधों के लिए। कभी वकील, तो कभी बिजनेसमैन। कभी राजनेता तो कभी कोई और। ऐसा हाल फिलहाल का मामला नहीं है। जी हाँ, जय अनंत देहद्राई हो या सुहान मुखर्जी, वो अपने ही खास लोगों पर नजर रखने के लिए जानी जाती हैं। वैसे, महुआ मोइत्रा आज भले ही ममता बनर्जी के साथ हैं, लेकिन कभी वो राहुल गाँधी की बेहद करीबी हुआ करती थीं। जी हाँ, साल 2010 तक महुआ मोइत्रा कॉन्ग्रेस पार्टी में थी और बेहद अहम काम संभाल रही थी। फिर कुछ ऐसा हुआ कि महुआ मोइत्रा ने राहुल गाँधी को धोखा दे दिया और ममता बनर्जी का साथ पकड़ लिया।

राहुल गाँधी की टीम से महुआ मोइत्रा का करीबी जुड़ाव

महुआ मोइत्रा ने साल 2008 में नौकरी छोड़ी थी और सीधे यूथ कॉन्ग्रेस ज्वॉइन कर लिया था। उन्होंने राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस की विचारधारा से खुद को जुड़ा पाया था। महुआ मोइत्रा ने कहा था कि देश में दो ही राजनीतिक पार्टियाँ हैं, चूँकि कॉन्ग्रेस पार्टी उस समय केंद्र में सत्ता में थी, ऐसे में उन्होंने कॉन्ग्रेस का ही चुनाव किया था। कॉन्ग्रेस उस समय पश्चिम बंगाल में विपक्ष में थी।

महुआ मोइत्रा पर ‘आम आदमी के सिपाही’ कार्यक्रम की कमान थी। उन्हें नादिया जिले के 9 ब्लॉकों का जिम्मा दिया गया था। महुआ मोइत्रा पर एक स्टोरी इंडिया टुडे ने की थी, जिसमें महुआ मोइत्रा ने बताया था कि वो कॉन्ग्रेस से क्यों जुड़ी और क्यों उन्होंने जेपी मोर्गन जैसे संस्थान में काम छोड़कर पॉलिटिक्स में कदम रखा था। वो राुल गाँधी जैसे युवा नेता से बेहद प्रभावित थीं। तब वो राहुल गाँधी के सिपाही कार्यक्रम से प्रभावित थीं, ‘मेरा भारत जवान’ के सपने देखती थीं।

…फिर साल 2010 में बदल ली निष्ठा

महुआ मोइत्रा हमेशा अपने फायदे को ऊपर रखने में विश्वास रखती हैं। उन्होंने दो सालों में देख लिया कि पश्चिम बंगाल में कॉन्ग्रेस कभी ऊपर नहीं जा सकती। उन्होंने ममता बनर्जी की मौजूदगी में कोलकाता में टीएमसी पार्टी को ज्वॉइन कर लिया। ममता ने उनके पार्टी में जुड़ने के समय एक लाइन ही कहा था, “हमारी युवा महुआ मोइत्रा तृणमूल कॉन्ग्रेस से जुड़ रही हैं।” उस समय महुआ मोइत्रा ने कहा था कि पश्चिम बंगाल के लिए ऐसा करना जरूरी है।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि ममता बनर्जी महुआ मोइत्रा जैसे चेहरों की ‘पहचान’ का फायदा उठाने और पूँजीपतियों के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए टीम में चुना है, इसीलिए शुरुआत में उन्हें कोई पद नहीं दिया जा रहा।

और 2023 में बताया टीएमसी को बीजेपी का विकल्प, कॉन्ग्रेस-राहुल गाँधी पर बोला हमला

महुआ मोइत्रा संसद से अब सस्पेंड हुई हैं। लेकिन वो दिल्ली में कॉन्ग्रेस पार्टी के साथ टीएमसी का कोर्डिनेशन भी देखती थीं। लेकिन फरवरी के आखिरी दिनों में जब मेघालय विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गाँधी ने टीएमसी को बीजेपी का बी टीम कहते हुए आरोप लगाया था कि मेघालय में टीएमसी सिर्फ वोट काटकर बीजेपी को फायदा पहुँचाने के लिए चुनाव लड़ रही हैं, तो महुआ मोइत्रा राहुल गाँधी पर बरस पड़ी थीं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, महुआ मोइत्रा ने टीएमसी को बीजेपी का एकमात्र विकल्प बताया था। उन्होंने कहा था, “कॉन्ग्रेस पार्टी में बीजेपी को हराने का दम होता, तो टीएमसी यहाँ चुनाव ही नहीं लड़ रही होती। लेकिन कॉन्ग्रेस खत्म हो चुकी है। वो बीजेपी को टक्कर देने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में टीएमसी ही बीजेपी को हराने का दम रखती है और हम मजबूती से बीजेपी के सामने खड़े भी हैं। क्या हम घर पर बैठकर कॉन्ग्रेस की एक राज्य से दूसरे राज्य में होती हार को देखते रहें या बीजेपी को हराने के मैदान में उतरें।”

महुआ मोइत्रा ने नॉर्थ शिलॉन्ग में प्रचार करते हुए कॉन्ग्रेस पर जमकर निशाना साधा था। उस चुनाव में बीजेपी को 2 सीटें मिली थी, तो कॉन्ग्रेस और तृणमूल कॉन्ग्रेस दोनों ने ही पाँच-पाँच सीटों पर जीत हासिल की थी। ये अलग बात है कि जिस सीट पर महुआ मोइत्रा ने चुनाव प्रचार किया था, वो सीट न तो कॉन्ग्रेस ही जीत पाई और न ही तृणमूल कॉन्ग्रेस। उस सीट पर नई पार्टी वीपीपी ने जीत दर्ज की और बीजेपी दूसरे नंबर पर रही थी।

महुआ मोइत्रा का राजनीतिक सफर

  • साल 2008 में कॉन्ग्रेस से जुड़ी, पश्चिम बंगाल में तैनाती
  • नादिया जिले में कॉन्ग्रेस के ‘आम आदमी का सिपाही’ कार्यक्रम को किया लीड
  • साल 2010 में टीएमसी से जुड़ीं महुआ मोइत्रा
  • साल 2011 में टीएमसी ने जीता पश्चिम बंगाल में चुनाव
  • ममता की पहली सरकार के दौरान पार्टी की प्रवक्ता
  • साल 2016 में विधानसभा चुनाव लड़ा, करीमपुर विधानसभा सीट से विधायक बनी
  • साल 2019 में कृष्णा नगर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बनी
  • साल 2023 में संसद की सदस्यता गँवाई

महुआ ने अपने फायदे के लिए सभी को दिया दगा

महुआ मोइत्रा जब राजनीति में आई थीं, तो उनका कोई गॉडफादर नहीं था। कॉन्ग्रेस ने उन्हें सहारा दिया और राजनीतिक पहचान दी। इसके बाद उन्होंने ममता बनर्जी का दामन थामा और लगातार आगे बढ़ती गईं। महुआ आजकल अपने एक्स बॉयफ्रेंड की वजह से मुश्किलों में हैं, जिसका उन्होंने नींद-चैन तो चुराया ही था, कुत्ता तक चुरा लिया था। उन पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप लगे। उनका संसद का लॉगिन आईडी एक बिजनेसमैन इस्तेमाल करता था। अब वो संसद की सदस्यता खो चुकी हैं। इस साल लोकसभा चुनाव में पार्टी उन्हें टिकट दे या न दें, अपने 15 साल के राजनीतिक करियर में महुआ मोइत्रा ने दिखा दिया है कि वो कितनी चतुर नेता हैं। तभी तो, जब फायदे का मामला लगा तो राहुल गाँधी से भी जुड़ीं, कभी अभिषेक बनर्जी के साथ होकर ममता से जुड़ीं और कभी हीरानंदानी से जुड़कर अडाणी के पीछे पड़ीं। वाह रे महुआ, तेरे क्या कहने…

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श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
I am Shravan Kumar Shukla, known as ePatrakaar, a multimedia journalist deeply passionate about digital media. Since 2010, I’ve been actively engaged in journalism, working across diverse platforms including agencies, news channels, and print publications. My understanding of social media strengthens my ability to thrive in the digital space. Above all, ground reporting is closest to my heart and remains my preferred way of working. explore ground reporting digital journalism trends more personal tone.

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