Thursday, May 2, 2024
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इमरजेंसी का काला दौर कोई नहीं भूल सकता: PM मोदी ने ‘मन की बात’ में साधा कॉन्ग्रेस पर निशाना; बताया- इस बार UN हेडक्वार्टर के योग कार्यक्रम में होंगे शामिल

पीएम मोदी ने इंदिरा गाँधी द्वारा थोपे गए आपातकाल को भारतीय इतिहास का काल दौर बताया। उन्होंने यह भी कहा है कि देश को 2025 तक टी. बी. मुक्त बनाने का संकल्प लिया गया है। इसके अलावा, PM ने मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए जापान की मियावाकी तकनीक और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को लेकर भी बात की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने रविवार (18 जून, 2023) को मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) के जरिए देश को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने इंदिरा गाँधी द्वारा थोपे गए आपातकाल को भारतीय इतिहास का काल दौर बताया। उन्होंने यह भी कहा है कि देश को 2025 तक टी. बी. मुक्त बनाने का संकल्प लिया गया है। इसके अलावा, PM ने मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए जापान की मियावाकी तकनीक और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को लेकर भी बात की।

यह प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम का 102वाँ एपिसोड था। इस कार्यक्रम में पीएम ने कहा है, “बड़े से बड़ा लक्ष्य हो या कठिन-से-कठिन चुनौती हो भारत के लोगों का सामूहिक बल, सामूहिक शक्ति, हर चुनौती का हल निकाल देता है। अभी दो-तीन दिन पहले आए चक्रवात बिपरजॉय ने कच्छ में कितना कुछ तहस-नहस कर दिया। लेकिन, कच्छ के लोगों ने जिस हिम्मत और तैयारी के साथ इतने खतरनाक चक्रवात का मुकाबला किया वह अभूतपूर्व है। दो दशक पहले आए भीषण भूकंप को लेकर कहा जाता था कि कच्छ के लोग नहीं उबर पाएँगे। लेकिन कच्छ के लोग वापस खड़े हो गए। मुझे विश्वास है कि इस चक्रवात से भी कच्छ के लोग बहुत तेजी से उबर जाएँगे।”

उन्होंने यह भी कहा है, “प्राकृतिक आपदाओं पर किसी का जोर नहीं होता। लेकिन, बीते वर्षों में भारत ने आपदा प्रबंधन की जो ताकत विकसित की है वह आज एक उदाहरण बन रही है। प्राकृतिक आपदाओं से मुकाबला करने का एक बड़ा तरीका है, प्रकृति का संरक्षण। मानसून के समय में इस दिशा में हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। यही कारण है कि आज देश, ‘Catch The Rain’ जैसे अभियानों के जरिए सामूहिक प्रयास कर रहा है।”

पीएम मोदी ने आगे कहा है, “ये नदी, नहर, सरोवर केवल जल-स्त्रोत ही नहीं होते हैं। बल्कि इनसे जीवन के रंग और भावनाएँ भी जुड़ी होती हैं। ऐसा ही एक दृश्य अभी कुछ ही दिन पहले महाराष्ट्र में देखने को मिला। ये इलाका ज्यादातर सूखे की चपेट में रहता है। पाँच दशक के इंतजार के बाद यहाँ निलवंडे डैम की नहर का काम अब पूरा हो रहा है। कुछ दिन पहले टेस्टिंग के दौरान नहर में पानी छोड़ा गया था। इस दौरान जो तस्वीरें आयी, वो वाकई भावुक करने वाली थी। गाँव के लोग ऐसे झूम रहे थे, जैसे होली-दिवाली का त्योहार हो।”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा है कि भारत ने 2025 तक टी.बी. मुक्त भारत बनाने का संकल्प लिया। यह लक्ष्य बहुत बड़ा जरूर है। एक समय था जब टी.बी. का पता चलने के बाद परिवार के लोग ही दूर हो जाते थे। लेकिन आज के समय में टी.बी. के मरीज को परिवार का सदस्य बनाकर उनकी मदद की जा रही है। टी.बी. को जड़ से समाप्त करने के लिए, निक्षय मित्रों ने, मोर्चा संभाल लिया है। देश में बहुत बड़ी संख्या में विभिन्न सामाजिक संस्थाएँ निक्षय मित्र बनी हैं। इसी वजह से आज देश में 10 लाख से ज्यादा टी.बी. मरीजों को गोद लिया जा चुका है और ये पुण्य का काम करीब 85 हजार निक्षय मित्रों ने किया है।

पीएम ने यह भी कहा है कि अगर किसी जगह की मिट्टी उपजाऊ नहीं रही हो तो जापान की मियावाकी तकनीक उस क्षेत्र को फिर से हरा-भरा करने का बहुत अच्छा तरीका होती है। मियावाकी तकनीक से विकसित किए गए जंगल तेजी से फैलते हैं और दो-तीन दशक में जैव विविधता का केंद्र बन जाते हैं। अब इसका प्रसार बहुत तेजी से भारत के भी अलग-अलग हिस्सों में हो रहा है। कच्छ में भी 2001 के भूकंप में मारे गए लोगों की याद में मियावाकी पद्धति से स्मृति वन बनाया गया है। कच्छ जैसी जगह पर इसका सफल होना ये बताता है कि मुश्किल से मुश्किल प्राकृतिक परिवेश में भी ये तकनीक कितनी प्रभावी है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा है कि इस बार विश्व के कोने-कोने में लोग अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। इस वर्ष योग दिवस की थीम ‘योगा फॉर वसुधैव कुटुंबकम’ है। यानि ‘एक विश्व-एक परिवार’ के रूप में सबके कल्याण के लिए योग। हर बार की तरह, इस बार भी देश के कोने-कोने में, योग से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगें। उन्होंने आगे कहा है, “इस बार मुझे न्यूयॉर्क के संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में होने वाले योग दिवस कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिलेग। मैं देख रहा हूँ कि सोशल मीडिया पर भी योग दिवस को लेकर गजब का उत्साह दिख रहा है।”

PM ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी द्वारा लगाए आपातकाल को भारतीय इतिहास का काला दौर बताते हुए कहा है कि भारत लोकतंत्र की जननी है। हम अपने लोकतांत्रिक आदर्शों को सर्वोपरि मानते हैं। अपने संविधान को सर्वोपरि मानते हैं। इसलिए हम 25 जून को भी कभी भुला नहीं सकते यह वही दिन है जब हमारे देश पर आपातकाल थोपा गया था। यह भारत के इतिहास का काला दौर था। लाखों लोगों ने आपातकाल का पूरी ताकत से विरोध किया था।

उन्होंने यह भी कहा है, “लोकतंत्र के समर्थकों पर उस दौरान इतना अत्याचार किया गया, इतनी यातनाएँ दी गईं कि आज भी मन सिहर उठता है। मैं चाहूँगा कि आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो देश की आजादी को खतरे में डालने वाले ऐसे अपराधों का भी जरुर अवलोकन करें। इससे आज की युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के मायने और उसकी अहमियत समझने में और ज्यादा आसानी होगी।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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