Thursday, March 28, 2024
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‘फर्जी एनकाउंटर केस में ले लो मोदी का नाम’ : अमित शाह ने बताया कैसे UPA कार्यकाल में CBI ने बनाया था दबाव, कोर्ट ने कहा था- ये राजनीतिक प्रतिशोध

अमित शाह ने न्यूज18 राइजिंग इंडिया समिट 2023 के मंच पर दावा किया कि कॉन्ग्रेस नीत यूपीए सरकार के कार्यकाल में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने उन पर पीएम मोदी (उस समय गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री) को फँसाने के लिए दबाव डाला था।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बुधवार (29 मार्च) को न्यूज18 राइजिंग इंडिया समिट 2023 के मंच पर दावा किया कि कॉन्ग्रेस नीत यूपीए सरकार के कार्यकाल में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने उन पर पीएम मोदी (उस समय गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री) को फँसाने के लिए दबाव डाला था। गृहमंत्री ने पीएम मोदी द्वारा केंद्रीय एजेंसियों के कथित दुरुपयोग के खिलाफ विपक्ष के बढ़ते विरोध को लेकर पुरानी घटना को साझा किया।

उन्होंने कहा, “उस वक्त एक फर्जी एनकाउंटर हुआ था। तब मैं राज्य का गृहमंत्री था। मुझ पर केस कर दिया। सीबीआई ने मुझे अरेस्ट कर लिया। सीबीआई के रिकॉर्ड में आज भी वह टेप पड़ा होगा। उस वक्त सीबीआई के अफसरों ने उसे प्रमाणिकता से रिकॉर्ड किया था। वह होगा, अगर कॉन्ग्रेस ने उसे मिटाया नहीं होगा तो। 90 फीसदी सवालों में यही पूछा गया कि काहे को परेशान हो रहे हो। मोदी का नाम दे दो, आपको छोड़ देंगे।”

शाह ने कहा, “इसको लेकर हमने तो काले कपड़े नहीं पहने। कोई विरोध नहीं किया। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जी के खिलाफ एक एसआईटी बनाई। कोई भ्रष्टाचार का मामला नहीं था। दंगों में फर्जी टाइप का इन्वाल्वमेंट किया, जो अंत में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। हमने तो उस समय कभी कोई हाय तौबा नहीं की थी। कभी भी काले कपड़े पहनकर संसद को जाम नहीं किया था।”

उन्होंने आगे कहा, “मैं बताता हूँ आपको इसका क्या नतीजा आया था। उन्होंने मुझे अरेस्ट किया, लेकिन हाईकोर्ट ने मुझे 3 दिन में ही बेल दे दी। हाईकोर्ट ने कहा कि अरेस्ट करने के लिए पर्याप्त प्रूफ ही नहीं हैं। हम इस केस को गुजरात से बाहर ले गए।”

शाह के मुताबिक, “मुंबई की अदालत ने कहा कि राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से सीबीआई ने राजनीतिक इशारों पर यह केस किया है। इसलिए हम अमित शाह के खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को खारिज करते हैं। उस वक्त हमने तो हाय तौबा नहीं मचाई। तब यही लोग थे। यही चिदम्बरम बैठे थे। यही सोनिया गाँधी यूपीए का नेतृत्व करती थीं। यही मनमोहन सिंह थे और यही राहुल गाँधी सांसद थे। अब क्या हो गया? हमने ने इन पर बदजुबानी का केस किया है, कोई फर्जी केस नहीं किया।”

बता दें कि बीते दिनों ‘मोदी’ सरनेम पर विवादित टिप्पणी किए जाने के बाद सूरत की अदालत ने राहुल गाँधी को 2 वर्ष की सज़ा सुनाई। इसके बाद लोकसभा सचिवालय ने उनकी संसद सदस्यता का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इसको लेकर कॉन्ग्रेस के सभी सांसद विरोध जताने के लिए काले कपड़ों में संसद भवन पहुँचे थे। सांसदी जाते ही राहुल को दिल्ली के तुगलक लेन स्थित सरकारी बँगले को खाली करने का नोटिस दिया गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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