Friday, May 3, 2024
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विकसित भारत के लिए पंच प्रण: लाल किले की प्राचीर से PM मोदी ने दिया मंत्र, बोले – हम वो, जो कंकड़-कंकड़ में देखते हैं शंकर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर 9वीं बार तिरंगा फहराया। उन्होंने इस दौरान अपने संबोधन से देशवासियों में तो ऊर्जा भरी ही। साथ ही पंच प्रणों का जिक्र भी किया जो अगले 25 सालों में भारत को विकसित बनाने के मंत्र होंगे।

स्वतंत्रता दिवस के 75 वर्ष पूरे होने पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर 9वीं बार तिरंगा फहराया। उन्होंने इस दौरान अपने संबोधन से देशवासियों में तो ऊर्जा भरी ही। साथ ही ‘पंच प्रणों’ का जिक्र भी किया जो अगले 25 सालों में भारत को विकसित बनाने के मंत्र होंगे। उन्होंने कहा कि आज विश्व ने भारत को देखने का नजरिया बदल लिया है। विश्व की सोच में यह परिवर्तन 75 वर्ष की यात्रा का परिणाम है। उन्होंने भारत की विभिन्नता को देश की ताकत बताकर आत्मनिर्भर भारत की महत्ता पर बात की।

उन्होंने बताया कि साल 2014 में वह ऐसे पहले पीएम बने थे, जिन्होंने आजाद भारत में जन्म लेकर लाल किले की प्राचीर से झंडे को फहराया था।

अपने संबोधन की शुरुआत में पीएम मोदी ने पहले देशवासियों को आजादी के अमृत महोत्सव की बधाई दी। फिर बताया कि कैसे न सिर्फ हिंदुस्तान का हर कोना, बल्कि दुनिया के हर कोने में आज किसी न किसी रूप में भारतीयों के द्वारा तिरंगा आन-बान-शान के साथ लहराया जा रहा है।

लाल किले से पीएम मोदी ने महापुरुषों को किया याद

उन्होंने कहा, “हिंदुस्तान का कोई कोना, कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैंकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न की हो, जीवन न खपाया हो, यातनाएँ न झेली हों, आहुति न दी हो। आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष को, हर त्यागी और बलिदानी को नमन करने का अवसर है।”

आज के दिन को ऐतिहासिक कहते हुए पीएम मोदी ने मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, असफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल जैसे क्रांति वीरों को याद किया और अंग्रेजों की हुकूमत की नींव हिलाने के लिए उनके प्रति देश की ओर से कृतज्ञता व्यक्त की।

वह बोले, “आजादी की जंग लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने वाले अनेक महापुरुषों को नमन करने का अवसर है।”

आजादी का अमृत महोत्सव

आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर पीएम मोदी ने कहा, “अमृत महोत्सव के दौरान देशवासियों ने देश के हर कोने में लक्ष्यावधि कार्यक्रम किए। शायद इतिहास में इतना विशाल, व्यापक, लंबा एक ही मकसद का उत्सव मनाया गया हो। इस दौरान हिंदुस्तान के हर कोने में उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास किया गया, जिनको किसी न किसी कारणवश इतिहास में जगह न मिली, या उनकों भुला दिया गया था।आज देश ने खोज खोज कर ऐसे वीरों, महापुरुषों, बलिदानियों, सत्याग्रहियों को याद किया, नमन किया।”

पीएम मोदी ने अपने भाषण में ‘आकांक्षी समाज’ को भारत की सबसे बड़ी संपत्ति बताया और कहा कि देश का हर नागरिक चीजों को बदलना चाहता है और बदलाव देखना चाहता है। वे अपनी आँखों के सामने बदलवा देखना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि आजादी के इतने दशकों के बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है। समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर दुनिया खोजने लगी है। विश्व का ये बदलाव, विश्व की सोच में ये परिवर्तन 75 साल की हमारी यात्रा का परिणाम है।

पीएम मोदी ने देश को दिलाए पंच प्रण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा हम अमृत काल में कदम रख रहे हैं और इस मौके पर ‘पंच प्रण’ का संकल्‍प लेते हैं। उन्होंने कहा, “अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा, और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत और उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए। दूसरा प्रण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश हो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना। तीसरी प्रण शक्ति- हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए। चौथा प्रण है- एकता और एकजुटता। 5वाँ प्रण- नागरिकों का कर्तव्य।”

पाँच प्रणों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी बोले इन सबसे न प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री भी बाहर नहीं हैं।

उन्होंने कहा, “हम वो लोग हैं, जो जीव में शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नर में नारायण देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं, जो पौधे में परमात्मा देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नदी को माँ मानते हैं, हम वो लोग हैं, जो कंकड़-कंकड़ में शंकर देखते हैं।”

अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना काल में भारत द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने बताया कि जब विश्व इस संशय में था कि वैक्सीन लें या न लें तब भारत ने 200 वैक्सीन देने का इतिहास रचा।

उन्होंने आत्मनिर्भर भारत को हर नागरिक, हर सरकार, हर ईकाई का दायित्व बताया। उन्होंने कहा ये सरकारी कार्यक्रम नहीं जनआंदोलन है जिसे आगे बढ़ाते जाना है। इसके अलावा देश को अपनी विरासत पर गर्व करना होगा। सरकार का प्रयास है कि देश के युवाओं को असीम अंतरिक्ष से लेकर समुंदर की गहराई तक रिसर्च में मदद मिले, इसलिए डीप ओशियन मिशन और स्पेस मिशन का विस्तार हो रहा है।

पीएम मोदी अपने भाषण में भ्रष्टाचार, परिवारवाद, भाई-भतीजावाद पर भी निशाना साधा और इसे देश की दो सबसे बड़ी चुनौती कहा। उन्होंने कहा कि जब वह इन मुद्दों पर बात करतें हैं तो लगता है कि राजनीति पर बोला जा रहा है, पर सच्चाई यह है कि हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित कर दिया गया है। जब तक भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के प्रति नफरत का भाव पैदा नहीं होता होता, सामाजिक रूप से उसे नीचा देखने के लिए मजबूर नहीं करते, तब तक ये मानसिकता खत्म नहीं होने वाली है।

पीएम मे परिवारवाद को राष्ट्र के लिए घातक कहा। वह बोले, “भाई-भतीजावाद के खिलाफ नफरत पैदा करनी होगी। परिवारवादी राजनीति परिवार की भलाई के लिए होती है, देश के लिए नहीं। आइए, हिंदुस्तान की राजनीति व सभी संस्थाओं के शुद्धिकरण के लिए इससे मुक्ति दिलाकर आगे बढ़ें।”

अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि सबसे पहले लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान-जय किसान’ का मंत्र देश को दिया, जो आज भी देश के लिए प्रेरणा है। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने उसमें ‘जय विज्ञान’ को जोड़ा और अब वह इसमें ‘जय अनुसंधान’ को जोड़ रहे हैं। पीएम के भाषण में नारी शक्ति का भी जिक्र आया जब उन्होंने कहा, “हम महिलाओं और बेटियों को जितना अधिक अवसर देंगे, उनके योगदान से हमें उतना ही अधिक लाभ मिलेगा।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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